Crisis: ‘अधिकारियों की आत्महत्याओं से टूटा व्यवस्था में भरोसा’, कुमारी शैलजा का तीखा वार



हरियाणा में अधिकारियों की आत्महत्या पर कांग्रेस सांसद की तीखी प्रतिक्रिया डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा ने बुधवार को हरियाणा सरकार की नीतियों पर कड़ी टिप्पणी की है।…

Crisis: ‘अधिकारियों की आत्महत्याओं से टूटा व्यवस्था में भरोसा’, कुमारी शैलजा का तीखा वार

हरियाणा में अधिकारियों की आत्महत्या पर कांग्रेस सांसद की तीखी प्रतिक्रिया

डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा ने बुधवार को हरियाणा सरकार की नीतियों पर कड़ी टिप्पणी की है। यह टिप्पणी तब आई जब एक और सरकारी अधिकारी की आत्महत्या की घटना सामने आई। शैलजा ने इसे हरियाणा सरकार की “सबसे बड़ी विफलता” करार दिया और जोर दिया कि इस तरह की घटनाएँ राज्य में प्रशासनिक अविश्वास को दर्शाती हैं।

कुमारी शैलजा ने कहा, “वाई पूरन कुमार के बाद एक और अधिकारी की आत्महत्या ने साफ कर दिया है कि सरकारी तंत्र में भरोसा खत्म हो चुका है। यह हरियाणा सरकार की सबसे बड़ी विफलता है कि अधिकारी इस प्रकार आत्महत्या कर रहे हैं। यदि सरकार वास्तव में स्वतंत्र और निष्पक्ष न्याय की पक्षधर है, तो यह जानने की आवश्यकता है कि ऐसी परिस्थितियाँ बार-बार क्यों उत्पन्न हो रही हैं। इस सरकार को जवाब देना होगा।”

अधिकारियों की आत्महत्या की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं

मंगलवार को रोहतक के लाढोत गाँव में एक और अधिकारी, एएसआई संदीप, संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए। पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र सिंह भोरिया ने बताया कि संदीप हरियाणा पुलिस में सहायक उप-निरीक्षक के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने कहा कि घटना की सूचना मिलने के बाद फोरेंसिक टीम को घटनास्थल पर बुला लिया गया है और जांच जारी है।

सुरेंद्र सिंह भोरिया ने बताया, “संदीप हमारे पुलिस विभाग का एक मेहनती एएसआई था। वह बहुत ईमानदार था। उसका शव घटनास्थल पर मिला है और जांच जारी है। वह साइबर सेल में तैनात था।” यह घटना हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के कुछ दिन बाद हुई, जिनकी 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ में अपने आवास पर आत्महत्या की गई थी।

आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के पीछे का विवाद

वाई पूरन कुमार ने 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ में अपने आवास पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या की थी। उनके द्वारा छोड़े गए ‘अंतिम नोट’ में उन्होंने हरियाणा के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर सहित आठ उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए थे। इन आरोपों में “जाति-आधारित भेदभाव, लक्षित मानसिक उत्पीड़न, सार्वजनिक अपमान और अत्याचार” शामिल हैं।

इस विवाद के बाद, आईपीएस वाई पूरन कुमार की मौत से जुड़े आरोपों के चलते डीजीपी शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेज दिया गया था। इसके बाद आईपीएस ओम प्रकाश सिंह को हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

हरियाणा सरकार की नीतियों पर उठ रहे सवाल

इन घटनाओं ने हरियाणा सरकार की नीतियों और अधिकारियों के कल्याण पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे को उठाते हुए सरकार से मांग की है कि वह अधिकारियों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के लिए ठोस कदम उठाए।

कुमारी शैलजा ने यह भी कहा कि यदि ऐसी घटनाएँ लगातार होती रहीं, तो इससे न केवल प्रशासनिक तंत्र का विश्वास टूटेगा, बल्कि आम जनता का भी विश्वास सरकार पर से उठ जाएगा। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से ले और अधिकारियों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए।

समाज में गहरा संकट और सरकार की ज़िम्मेदारी

इस तरह की घटनाएँ न केवल सरकारी अधिकारियों के लिए चिंता का विषय हैं, बल्कि ये समाज में गहरे संकट का संकेत भी हैं। जब एक अधिकारी आत्महत्या करता है, तो यह केवल उसके व्यक्तिगत जीवन का मामला नहीं होता, बल्कि यह एक संकेत है कि समाज में कुछ गलत हो रहा है। सरकारी तंत्र को चाहिए कि वह इस पर गहन अध्ययन करे और इसके कारणों का पता लगाए।

हरियाणा सरकार को इस स्थिति को गंभीरता से लेना होगा और अधिकारियों के कल्याण के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे। यह आवश्यक है कि सरकार न केवल अपने अधिकारियों का समर्थन करे, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य के प्रति भी संवेदनशील रहे। इसके बिना, ऐसी घटनाएँ भविष्य में भी होती रहेंगी, जो कि किसी भी प्रगतिशील समाज के लिए चिंता का विषय है।

हरियाणा में चल रहे इन घटनाक्रमों ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि सरकार को अपने अधिकारियों की सुरक्षा और कल्याण को प्राथमिकता देनी होगी, ताकि ऐसी दुखद घटनाएँ दोबारा न हों।

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