राजस्थान के मंडी व्यापारियों का यूजर चार्ज के विरोध में धरना प्रदर्शन
राजस्थान सरकार के द्वारा 13 अगस्त को जारी किए गए एक आदेश के तहत कृषि उपज मंडी प्रांगण में 0.50 प्रतिशत यूजर चार्ज लगाए जाने के खिलाफ प्रदेशभर के मंडी व्यापारियों ने धरना प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन शहीद स्मारक पर आयोजित किया गया, जहां व्यापारियों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर इस चार्ज को तत्काल निरस्त करने की मांग की।
व्यापारियों का मानना है कि इस निर्णय के कारण मंडियों में व्यापार ठप होने की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिससे व्यापारी वर्ग बेरोजगारी की कगार पर पहुंच गया है। उनका कहना है कि यह कदम किसानों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं तीनों के हितों के खिलाफ है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि इस कानून को निरस्त नहीं किया गया, तो वे उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
व्यापारियों की चिंताएं और सरकार से अपील
व्यापारियों ने बताया कि इस यूजर चार्ज के लागू होने से मंडियों में सभी वस्तुएं महंगी हो गई हैं, जिससे ग्राहकों की संख्या में कमी आ रही है। उनका तर्क है कि जब वस्तुएं महंगी बिकेंगी, तो ग्राहक मंडी से दूर हो जाएंगे, जिससे सरकार को किसी प्रकार की अतिरिक्त आय भी नहीं होगी।
उन्होंने यह भी चिंता व्यक्त की कि इस निर्णय से मंडियों में भ्रष्टाचार बढ़ेगा और निरीक्षण का दौर पुनः शुरू हो जाएगा। व्यापारियों का कहना है कि पिछले 60-70 वर्षों में इस प्रकार का कोई शुल्क पहले कभी नहीं लगाया गया था, जबकि राज्य सरकार को पहले से ही टैक्सों के माध्यम से पर्याप्त राजस्व मिलता रहा है।
धरने में शामिल व्यापारियों की संख्या और उनकी मांगें
एक दिवसीय धरना प्रदर्शन में प्रदेशभर से कई व्यापारी शामिल हुए। ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वालों में राजधानी उपज कृषि मंडी के अध्यक्ष रामचरण नाटाणी, मंत्री अविनाश जैन, सहमंत्री सतीश पापडीवाल और मंडी व्यापार संघ के अध्यक्ष प्रदीप अग्रवाल शामिल हैं।
- व्यापारियों ने पहले से ही मंडी टैक्स (1.60 प्रतिशत), कल्याण सेस (0.50 प्रतिशत), दुकान किराया, यू.डी. टैक्स, जी.एस.टी., और इनकम टैक्स जैसे कई करों का बोझ उठाया हुआ है।
- मंडियों में मुख्य रूप से कृषि से जुड़े खाद्य पदार्थ जैसे तेल, दाल, चीनी आदि का व्यापार होता है, जिन पर पहले से टैक्स वसूला जा रहा है।
किसानों और व्यापारियों की स्थिति पर प्रभाव
मंडी व्यापारियों ने यह भी बताया कि उनका कार्य मुख्य रूप से खरीफ और रबी के सीजन में दो महीनों के लिए ही सक्रिय रहता है। बाकी समय वे सीमित व्यापार के माध्यम से अपनी आजीविका चलाते हैं, जिससे सैकड़ों कर्मचारियों, मुनीमों और पल्लेदारों को रोजगार मिलता है।
कुछ मंडियों में तो केवल बायो-प्रोडक्ट्स का व्यापार होता है, ऐसे में यदि यूजर चार्ज लागू होता है, तो वे व्यापारी पूरी तरह बेरोजगार हो जाएंगे। व्यापारियों ने आशंका जताई कि स्थानीय व्यापारी हाशिए पर चले जाएंगे और विदेशी कंपनियां और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म इसका लाभ उठाएंगे।
भाजपा सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते व्यापारी
व्यापारियों ने यह भी उल्लेख किया कि पूर्व में कांग्रेस सरकार के समय भी ऐसा प्रयास किया गया था, तब भाजपा ने व्यापारी हित में इसका विरोध किया था। अब भाजपा सरकार द्वारा इसे लागू करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। मंडी में कार्यरत अधिकांश व्यापारी भाजपा समर्थक हैं, जो वर्षों से पार्टी के साथ जुड़े रहे हैं।
व्यापारियों ने चेतावनी दी कि यदि इस निर्णय को लागू रहने दिया गया, तो प्रदेश में बेरोजगारी और महंगाई दोनों बढ़ेंगी, जिससे मंडियों का स्वरूप भी नष्ट हो जाएगा। उन्होंने सरकार से अपील की कि उनके हितों की अनदेखी न की जाए और इस चार्ज को तुरंत वापस लिया जाए।
समापन
राजस्थान के मंडी व्यापारियों का यह आंदोलन न केवल उनके आर्थिक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। यदि सरकार इस मुद्दे पर ध्यान नहीं देती, तो व्यापारियों का उग्र आंदोलन प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है।