भीलवाड़ा में अवैध खनन के खिलाफ ग्रामीणों का प्रदर्शन
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में ग्रामीणों ने कलेक्टर कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन बनास नदी में अवैध खनन पर रोक लगाने की मांग को लेकर किया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि उच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद, लीजधारक कंपनियां खनन कार्य जारी रखे हुए हैं, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि स्थानीय निवासियों की आजीविका भी प्रभावित हो रही है।
प्रदर्शन में शामिल ग्रामीण ट्रैक्टर ट्रॉली में भरकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर अवैध खनन के खिलाफ ठोस कदम उठाने की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि इस पर रोक नहीं लगी, तो यह उनकी और उनके पशुओं की जिंदगी पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।
हाईकोर्ट के आदेशों की अनदेखी
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि उच्च न्यायालय में दायर की गई सिविल पिटीशन के बावजूद, महादेव एनक्लेव प्राइवेट लिमिटेड द्वारा खनन कार्य जारी है। जबकि न्यायालय ने खनन पर रोक लगाने का आदेश दिया था, लीजधारक कंपनी के लोग जेसीबी और क्रेशर की मदद से लगातार खनन कर रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार, ब्लॉक नंबर 7 में खनन की गहराई **8 से 10 मीटर** तक पहुँच गई है, जबकि अनुमति केवल **0.5 मीटर** की ही थी। इससे राज्य को प्रतिदिन करोड़ों रुपए का राजस्व का नुकसान हो रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि खनन की गतिविधियों के कारण चारागाह भूमि पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है। उनके मवेशी भूखे रहने की स्थिति में हैं, जिससे उनकी आजीविका पर संकट आ गया है।
पुलिस और माइनिंग डिपार्टमेंट पर मिलीभगत के आरोप
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस और माइनिंग विभाग के अधिकारी लीजधारक कंपनियों के साथ मिलीभगत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस की मौजूदगी में अवैध खनन कार्य जारी है और विरोध करने वाले ग्रामीणों को धमकाया जाता है। ठेकेदार के कर्मचारी हथियार लेकर घूमते हैं और ग्रामीणों को मारपीट की धमकी देते हैं।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर अवैध खनन को नहीं रोका गया, तो नदी की गहराई कुओं से भी अधिक हो जाएगी, जिससे सिंचाई और पीने के पानी की समस्या उत्पन्न होगी। उन्होंने कहा कि बनास नदी उनके लिए एक मां के समान है, और वे इसे बचाने के लिए अपने प्राणों की भी परवाह नहीं करेंगे।
ग्रामीणों की प्रमुख मांगें
भीलवाड़ा कलेक्टर कार्यालय में प्रदर्शन करते हुए ग्रामीणों ने कई मांगें उठाई हैं। इनमें शामिल हैं:
- ब्लॉक नंबर 7 की लीज को निरस्त किया जाए।
- हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सख्ती से पालन कराया जाए।
- अवैध मशीनों और डंपरों पर कार्रवाई की जाए।
- माइनिंग विभाग और लीजधारक के बीच की मिलीभगत की जांच की जाए।
- पर्यावरण और चारागाह भूमि की बहाली की व्यवस्था की जाए।
इस प्रदर्शन में कई गांवों के लोग शामिल हुए, जिनमें चांदगढ़, अकोला, जीवा खेड़ा, खजाना, धोनी होलिराड़ा, गीगा का खेड़ा और बड़लियास शामिल हैं। ग्रामीणों ने कहा कि अगर खनन किया जाता है, तो वह केवल पारंपरिक तरीके से मजदूरों द्वारा किया जाना चाहिए, ताकि नदी का स्वरूप और पर्यावरण सुरक्षित रहे।
निष्कर्ष
भीलवाड़ा में चल रहा यह आंदोलन न केवल अवैध खनन के खिलाफ है, बल्कि यह स्थानीय निवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए भी है। ग्रामीणों की यह एकजुटता यह दर्शाती है कि वे अपने प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए कितने गंभीर हैं। अब यह देखना होगा कि प्रशासन उनकी मांगों पर क्या कदम उठाता है।