राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा में अंकिता पाराशर ने किया प्रदेश का गौरव बढ़ाने का काम
राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) परीक्षा में पुष्कर की बेटी अंकिता पाराशर ने अपनी मेहनत और लगन के बल पर पूरे प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल कर एक नई मिसाल पेश की है। उनके इस ऐतिहासिक सफलता ने न केवल पुष्कर बल्कि अजमेर संभाग का नाम भी रोशन किया है। यह परिणाम उनके लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो उन्होंने अपने संघर्ष और समर्पण से प्राप्त किया है।
अंकिता के पिता, जो अब हमारे बीच नहीं हैं, सत्यनारायण पाराशर, राजकीय चिकित्सा सेवा में कार्यरत थे। उनका सपना था कि उनकी बेटी प्रशासनिक सेवा में जाकर समाज की सेवा करे। अंकिता ने अपने पिता के असामयिक निधन के बाद भी उनके सपनों को साकार करने का संकल्प लिया और पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने अपनी मेहनत के बल पर यह मुकाम हासिल किया।
अंकिता का संघर्ष और सफलता का सफर
अंकिता ने चार प्रयासों के संघर्ष के बाद चौथे प्रयास में यह सफलता प्राप्त की। इससे पहले, तीसरे प्रयास में उनका चयन RAS एलाइड सर्विस में हुआ था और वे वर्तमान में जयपुर जिले के दूदू में खंड विकास अधिकारी (BDO) के पद पर कार्यरत थीं। हालांकि, उन्होंने यहीं ठहरना स्वीकार नहीं किया और अपनी सेवा के साथ-साथ अध्ययन जारी रखा। उनके इस प्रयास ने यह सिद्ध कर दिया कि कठिनाइयों के बावजूद सफलता प्राप्त की जा सकती है।
अंकिता ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को दिया है। उनकी माता, मंजू पाराशर, पुष्कर के राजकीय विद्यालय में तृतीय श्रेणी की अध्यापिका हैं। उनके भाई, विकास पाराशर, पुष्कर के राजकीय चिकित्सालय में सेवाएं दे रहे हैं। परिवार के इस समर्थन ने अंकिता को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
शिक्षक के रूप में करियर की शुरुआत
अंकिता ने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की थी। उन्होंने बताया कि इस सेवा काल में उन्होंने कर्तव्यनिष्ठा, अनुशासन और समर्पण के महत्व को गहराई से समझा। उनके अनुभव ने उन्हें प्रशासनिक सेवा की तैयारी में मदद की।
उनकी यह उपलब्धि न केवल पुष्कर के लिए, बल्कि पूरे राजस्थान के लिए प्रेरणादायक बन गई है। यह दिखाता है कि यदि मन में दृढ़ संकल्प हो, तो किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। अंकिता ने साबित कर दिया है कि किसी भी बाधा को पार करके अपने सपनों को साकार करना संभव है।
समाज को प्रेरणा देने वाली कहानी
अंकिता की सफलता की कहानी इस बात का प्रमाण है कि मेहनत, समर्पण और दृढ़ इच्छाशक्ति से किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। उन्होंने न केवल अपने परिवार का नाम रोशन किया है, बल्कि युवाओं को भी प्रेरित किया है कि वे अपने लक्ष्यों को पाने के लिए कभी हार न मानें। अंकिता का यह सफर सभी के लिए एक सीख है कि कैसे कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को साकार किया जा सकता है।
- अंकिता का जन्म और पालन-पोषण पुष्कर में हुआ।
- उनके पिता का सपना था कि उनकी बेटी समाज की सेवा करे।
- अंकिता ने चार प्रयासों के बाद सफलता प्राप्त की।
- वर्तमान में वह जयपुर जिले के दूदू में बीडीओ के रूप में कार्यरत हैं।
- उनकी माता और भाई भी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में योगदान दे रहे हैं।
अंकिता पाराशर की यह कहानी हर उस युवा के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है। उनकी मेहनत और समर्पण ने साबित किया है कि कठिनाइयों के बावजूद, सफलता हमेशा आपके दरवाजे पर दस्तक दे सकती है।