Empowerment: बेटी बोझ नहीं, बेटी गौरव है — डॉ. जुगल का संदेश



नागौर में “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” विषय पर कार्यशाला का आयोजन नागौर के जिला मुख्यालय स्थित स्वास्थ्य भवन के सभागार में बुधवार को “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” विषय पर एक…

Empowerment: बेटी बोझ नहीं, बेटी गौरव है — डॉ. जुगल का संदेश

नागौर में “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” विषय पर कार्यशाला का आयोजन

नागौर के जिला मुख्यालय स्थित स्वास्थ्य भवन के सभागार में बुधवार को “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” विषय पर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला की अध्यक्षता नागौर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जुगल किशोर सैनी ने की। यह कार्यक्रम चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य समाज में बेटियों के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करना था।

कार्यशाला के दौरान डॉ. सैनी ने अपने संबोधन में कहा, “बेटी किसी से कम नहीं होती, यदि उसे अवसर मिले तो वह हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा सकती है।” उन्होंने समाज में बेटा-बेटी के भेदभाव को समाप्त करने का आह्वान करते हुए कहा कि हमें अपनी सोच में बदलाव लाना होगा, ताकि बेटियां बोझ नहीं, बल्कि गौरव का प्रतीक बन सकें।

राज्य सरकार की “लाडो प्रोत्साहन योजना” की चर्चा

डॉ. सैनी ने इस अवसर पर बताया कि राज्य सरकार द्वारा संचालित “लाडो प्रोत्साहन योजना” के तहत “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अभियान को नई दिशा दी जा रही है। इस योजना के अंतर्गत बेटी के जन्म से लेकर स्नातक तक की शिक्षा हेतु कुल ₹1,50,000 की राशि प्रदान की जाती है, जो सात चरणों में जारी की जाती है। यह योजना न केवल बेटियों के शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है, बल्कि उनके उत्थान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

उन्होंने महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और नागौर अर्बन क्षेत्र की आशा सहयोगिनियों से आग्रह किया कि वे प्रत्येक घर में यह संदेश पहुँचाएँ कि गर्भ में लिंग परीक्षण न करवाएँ और अपनी बेटियों को शिक्षित करने के लिए प्रोत्साहित करें। उनका यह कदम समाज में लिंग भेदभाव को समाप्त करने में सहायक होगा।

पीसीपीएनडीटी अधिनियम पर विस्तृत जानकारी

कार्यशाला में जिला पीसीपीएनडीटी समन्वयक श्री सत्येंद्र पालीवाल ने स्लाइड प्रेजेंटेशन के माध्यम से उपस्थित लोगों को पीसीपीएनडीटी अधिनियम, बाल लिंगानुपात एवं मुखबिर योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह अधिनियम गर्भ में लिंग परीक्षण की रोकथाम के लिए लागू किया गया है, जिससे समाज में बेटियों के प्रति सकारात्मक सोच विकसित हो सके।

  • छोटे-छोटे प्रयासों से बदलाव संभव है।
  • समाज में लिंग भेदभाव को समाप्त करने की आवश्यकता।
  • बेटियों को शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाना।

कार्यशाला में उपस्थित गणमान्य लोग

इस अवसर पर सांख्यिकी अधिकारी हेमलता शर्मा, सांख्यिकी निरीक्षक दीपिका कंसारा, (पीसीपीएनडीटी सेल) के नंदकिशोर पुरोहित तथा पवन सैन सहित जिले की अनेक आशा सहयोगिनियाँ और महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सभी ने इस कार्यशाला को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और समाज में बेटियों के प्रति जागरूकता फैलाने का संकल्प लिया।

इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बेटियों के अधिकारों और उनके उत्थान के लिए जागरूकता फैलाना था। इस तरह के कार्यक्रम न केवल समाज में भेदभाव को समाप्त करने में मदद करते हैं, बल्कि बेटियों को अपने हक के लिए खड़े होने का साहस भी देते हैं।

इस तरह की पहलें न केवल बेटियों के भविष्य को उज्जवल बनाती हैं, बल्कि समाज के समग्र विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। हमें सभी को मिलकर इस दिशा में काम करने की आवश्यकता है ताकि हम एक समान और सशक्त समाज का निर्माण कर सकें।

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