तीसरे IIM प्रमुख का इस्तीफा: बोर्ड के साथ मतभेद के कारण प्रशासनिक स्वायत्तता पर दबाव
भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) रायपुर के निदेशक राम कुमार काकानी ने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह घटना पिछले पांच वर्षों में तीसरी बार हुई है जब किसी IIM प्रमुख ने बोर्ड के साथ मतभेद के चलते इस्तीफा दिया है। काकानी ने केंद्र को बताया था कि उनकी स्वायत्तता पर दबाव बढ़ रहा है, जिसके कारण उन्होंने यह निर्णय लिया।
इस्तीफे का कारण: अनुशासनात्मक कार्रवाई का विवाद
काकानी का इस्तीफा एक अनुशासनात्मक कार्रवाई के बाद हुआ, जिसमें उन्होंने एक फैकल्टी सदस्य के खिलाफ कार्रवाई की थी। हालांकि, यह कार्रवाई अप्रैल 2024 में अदालत द्वारा रद्द कर दी गई थी। इस निर्णय के बाद काकानी ने महसूस किया कि उनकी कार्यप्रणाली और निर्णय लेने की स्वतंत्रता पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। उन्होंने अपनी स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि “स्वायत्तता का संकट” उनके स्थान पर और भी अधिक दबाव पैदा कर रहा है।
IIM रायपुर की स्थिति और स्वायत्तता की चुनौतियाँ
IIM रायपुर की स्थापना 2010 में हुई थी और तब से यह संस्थान शिक्षा और प्रबंधन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में, संस्थान के प्रमुखों के इस्तीफे ने स्वायत्तता और प्रशासनिक नियंत्रण को लेकर सवाल उठाए हैं। काकानी के इस्तीफे से पहले, दो अन्य IIM प्रमुखों ने भी इसी तरह की परिस्थितियों के कारण अपने पद छोड़े थे, जो इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है।
शिक्षा मंत्रालय की प्रतिक्रिया
काकानी के इस्तीफे ने शिक्षा मंत्रालय को भी चिंतित किया है। मंत्रालय ने कहा है कि वे इस स्थिति का गंभीरता से अध्ययन करेंगे और IIMs की स्वायत्तता को सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाएंगे। इस मुद्दे पर मंत्रालय का ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसी समस्याएं न उत्पन्न हों।
शिक्षा क्षेत्र में स्वायत्तता का महत्व
शिक्षा संस्थानों की स्वायत्तता उनके विकास और गुणवत्ता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब प्रमुखों को निर्णय लेने में स्वतंत्रता नहीं होती है, तो इससे न केवल संस्थान की छवि प्रभावित होती है, बल्कि छात्रों की शिक्षा और विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए, शिक्षा क्षेत्र में स्वायत्तता को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
निष्कर्ष
राम कुमार काकानी का इस्तीफा इस बात का संकेत है कि IIMs में स्वायत्तता को लेकर गंभीर चिंताएँ हैं। यह समय है कि शिक्षा मंत्रालय और संस्थान के बोर्ड इस मुद्दे पर ध्यान दें और सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसी समस्याएँ उत्पन्न न हों। अगर IIMs को अपनी पहचान और गुणवत्ता बनाए रखनी है, तो उन्हें अपने अधिकारियों को निर्णय लेने की स्वतंत्रता प्रदान करनी होगी।
उपयुक्त कदम उठाने की आवश्यकता
शिक्षा मंत्रालय को चाहिए कि वह IIMs के लिए एक स्पष्ट नीति बनाये, जिससे भविष्य में किसी भी प्रमुख को ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े। इससे न केवल शिक्षा का स्तर ऊँचा होगा, बल्कि संस्थान की स्थिरता भी बनी रहेगी। सभी संबंधित पक्षों को एक साथ आकर इस दिशा में काम करने की आवश्यकता है।
- काकानी का इस्तीफा तीसरा है पिछले पांच वर्षों में।
- अनुशासनात्मक कार्रवाई के विवाद ने स्थिति को और जटिल बना दिया।
- स्वायत्तता पर दबाव ने प्रमुखों को असुरक्षित महसूस कराया है।
- शिक्षा मंत्रालय को स्थिति का गंभीरता से अध्ययन करने की आवश्यकता है।