दिल्ली एनसीआर में दवा व्यापारियों की समस्याओं पर चर्चा
दिल्ली एनसीआर में सदर अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार की नियमित कार्यक्रम “कॉफी विद एसडीएम” के तहत बुधवार को एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में ड्रगिस्ट एवं केमिस्ट एसोसिएशन के सदस्यों और स्थानीय दवा व्यापारियों ने भाग लिया। व्यापारियों ने अपने व्यवसाय से जुड़ी समस्याएं, सुझाव और जनहित के मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की।
इस बैठक में दवा व्यापारियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे जीवन-रक्षा से जुड़े एक पवित्र व्यवसाय से जुड़े हैं, लेकिन उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनमें औषधि विभाग की अनावश्यक जांच, नए गैर-लाइसेंसी दुकानों का खुलना और चिकित्सकों की अस्पष्ट लिखावट जैसी परेशानियां शामिल हैं। व्यापारियों ने मांग की कि डॉक्टरों को दवा लिखते समय प्रिंटेड या स्पष्ट अक्षरों में लिखने का निर्देश दिया जाए, ताकि मरीजों और विक्रेताओं को सुविधा हो सके।
दवा व्यापारियों की चिंताएं और मांगें
बैठक के दौरान कई व्यापारियों ने आरोप लगाया कि औषधि विभाग के कुछ अधिकारी निरीक्षण के समय अनुचित दबाव डालते हैं, जिससे व्यापारिक माहौल खराब होता है। इसके अलावा, गैर-मानक दवाओं की बिक्री और डिस्काउंट के नाम पर भ्रामक विज्ञापन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की मांग भी उठाई गई।
रघुवीर प्रसाद कश्यप ने कहा कि कई बार दूरदराज क्षेत्रों में जीवनरक्षक परिस्थिति में बिना प्रिस्क्रिप्शन दवा देनी पड़ती है। ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ दुकानों द्वारा कम गुणवत्ता की दवाएं बेची जाती हैं, जो मरीजों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं और ईमानदार व्यापारियों की साख पर असर डालती हैं।
जनऔषधि केंद्रों की स्थिति
सुरेन्द्र कश्यप ने सुझाव दिया कि जनऔषधि केंद्रों में केवल जनरिक दवाएं उपलब्ध होनी चाहिए, जबकि सरकारी अस्पतालों में ब्रांडेड दवाओं की बिक्री पर रोक लगाई जानी चाहिए। उन्होंने इस पर कार्रवाई की मांग की।
अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि कुछ महीने पहले टाउन हॉल में जिला प्रशासन द्वारा जो नियम-कानून बताए गए थे, उनका सभी दवा विक्रेता पालन कर रहे हैं। दीपक तिवारी ने बताया कि गरीब वर्ग के लोग डॉक्टर के पास नहीं जा पाते और छोटे-मोटे रोगों में सीधे मेडिकल स्टोर से सस्ती दवा खरीदते हैं। ऐसे मामलों में बिना प्रिस्क्रिप्शन दवा देना अपराध नहीं माना जाना चाहिए।
औषधि निरीक्षक का बयान
इस बैठक में उपस्थित औषधि निरीक्षक कैलाश मुंडा ने दवा नियंत्रण से संबंधित विधिक प्रावधानों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हाल में देशभर में चर्चा में रहे कफ सिरप विक्रय नियमों में बदलाव हुए हैं। कैलाश मुंडा ने स्पष्ट किया कि औषधि विभाग पर लगाए गए शोषण के आरोप सही नहीं हैं; विभाग केवल अपने दायित्व का निर्वहन कर रहा है।
एसडीएम का आश्वासन
बैठक के अंत में एसडीएम संजय कुमार ने कहा कि प्रशासन दवा व्यापारियों की समस्याओं के समाधान के लिए संवेदनशील है। उन्होंने आश्वासन दिया कि चिकित्सकों द्वारा स्पष्ट लिखावट में दवा लिखने, स्थानीय औषधि विभाग की पारदर्शिता बढ़ाने और गैर-मानक दवाओं की बिक्री पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
इस प्रकार, यह बैठक दवा व्यापारियों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुई, जहां उन्होंने अपनी समस्याएं साझा कीं और प्रशासन से सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद जताई। दवा व्यापारियों की सभी समस्याओं को गंभीरता से लिया जाएगा, जिससे उनके व्यवसाय को सुगम बनाया जा सके।