Rajasthan News: Fraud – विदेश में बैठे सरगना के लिए किराए पर ढूंढते खाते, ठगी की राशि को अलग-अलग खातों में करवाते ट्रांसफर, पुलिस ने दो आरोपियों को पकड़ा



जोधपुर पुलिस ने साइबर ठगी के मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया राजस्थान के जोधपुर में साइबर ठगी के एक बड़े मामले का खुलासा करते हुए पुलिस ने दो…

Rajasthan News: Fraud – विदेश में बैठे सरगना के लिए किराए पर ढूंढते खाते, ठगी की राशि को अलग-अलग खातों में करवाते ट्रांसफर, पुलिस ने दो आरोपियों को पकड़ा

जोधपुर पुलिस ने साइबर ठगी के मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया

राजस्थान के जोधपुर में साइबर ठगी के एक बड़े मामले का खुलासा करते हुए पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ये आरोपी देशभर में ऑनलाइन ठगी की वारदातों को अंजाम देने के लिए किराए पर बैंक खाते का उपयोग करते थे। पुलिस ने इस मामले में तकनीकी जांच के आधार पर दोनों आरोपियों को पकड़ा और उनके पास से कई मोबाइल नंबर, बैंक खातों के दस्तावेज और फर्जी आधार कार्ड भी बरामद किए हैं।

आरोपी की पहचान और उनके कार्यशैली

गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान संजय (23) और कालूराम (34) के रूप में हुई है। संजय भीमसागर सामराऊ का निवासी है और वर्तमान में पृथ्वीपुरा में किराए पर रह रहा है, जबकि कालूराम चंद्र नगर लोहावट का निवासी है। पूछताछ में दोनों ने बताया कि वे अन्य गिरोहों को किराए पर बैंक खाते उपलब्ध करवाते थे, जिनका उपयोग साइबर ठगी के लिए किया जाता था। इन ठगों ने अपने काम के लिए बैंक खातों का उपयोग करने के लिए स्थानीय लोगों से संपर्क किया और उन्हें कमीशन पर यह खातें किराए पर दिए।

किराए पर बैंक खाता देने की प्रक्रिया

पुलिस की जांच में यह सामने आया है कि आरोपी प्रति खाता **5000 से 20,000 रुपये** तक की राशि लेते थे। इन खातों का मुख्य उद्देश्य ठगी से प्राप्त धन को छिपाना था। पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार, आरोपी जोधपुर से किराए पर लिए गए बैंक खातों के पासबुक, डेबिट कार्ड और सिम कार्ड को देशभर में विभिन्न ग्राहकों को भेजा करते थे। इस प्रक्रिया के माध्यम से वे आसानी से ठगी की रकम को दूसरे खातों में ट्रांसफर करते थे।

प्रमुख साथी का खुलासा

पुलिस ने जब संजय से पूछताछ की, तो उसने बताया कि उसका एक साथी राजेश गोदारा नाम का व्यक्ति कंबोडिया में रह रहा है। राजेश विभिन्न राज्यों से किराए पर खाते खरीदता है और उन खातों में साइबर ठगी की राशि डलवाता है। इसके बाद संजय और उसके साथी अलग-अलग खातों में ठगी की राशि ट्रांसफर कर देते थे। इस काम के लिए उन्हें प्रति **1 लाख रुपये** पर **5000 रुपये** का कमीशन भी मिलता था। अब तक आरोपी करीब **15 से 20** फर्जी खातों से पैसे निकालकर अलग-अलग स्थानों पर जमा करवा चुके हैं।

गिरफ्तारी की प्रक्रिया और बरामदगी

गिरफ्तारी के दौरान, पुलिस ने आरोपियों को **9 अक्टूबर** को एक पार्सल लेने के लिए डीटीडीसी के कोरियर ऑफिस में पकड़ा। वहां से पार्सल लेकर वे रोडवेज बस स्टैंड जा रहे थे, तभी पुलिस ने उन्हें धर दबोचा। आरोपियों के पास से कई अलग-अलग कंपनियों के मोबाइल और दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं। पुलिस ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ **आईटी एक्ट** की धारा **66(D)**, **66(C)** और भादंस की धारा **420**, **120B** के तहत मामला दर्ज किया गया है।

पुलिस की आगे की कार्रवाई

पुलिस अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों और बैंक खाते किराए पर लेने वाले अन्य लोगों की तलाश कर रही है। यह मामला साइबर अपराध के खिलाफ एक महत्वपूर्ण पहल है, जो यह दर्शाता है कि पुलिस ऐसे अपराधों पर कड़ी नजर रख रही है और अपराधियों को पकड़ने के लिए सक्रिय है। खाता किराए पर देने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी ताकि इस तरह की ठगी को रोका जा सके।

इस मामले ने एक बार फिर यह साबित किया है कि साइबर ठगी का नेटवर्क कितना जटिल और संगठित हो सकता है। पुलिस की इस कार्रवाई से न केवल ठगों को सजा मिलेगी, बल्कि आम जनता को भी जागरूक किया जाएगा कि वे ऐसे ठगों से सावधान रहें।

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