सिवनी में पुलिस और हवाला कारोबारी के बीच 3 करोड़ की डील का खुलासा
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में पुलिस और हवाला कारोबारी के बीच हुई विवादास्पद डील ने एक बार फिर से पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सिवनी की निलंबित एसडीओपी पूजा पाण्डेय और एक हवाला कारोबारी के बीच हुई बातचीत में यह स्पष्ट हुआ कि उन्होंने 3 करोड़ रुपए में से 1.50 करोड़ रुपए अपने हिस्से में रखने की योजना बनाई थी। लेकिन हवाला कारोबारी ने मात्र 45 लाख रुपए देने की बात कही, जिससे मामला और भी विवादास्पद हो गया।
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब सिवनी पुलिस ने नागपुर के एक व्यक्ति से 3 करोड़ रुपए जब्त किए। लेकिन रिपोर्ट में यह रकम केवल 1 करोड़ 45 लाख रुपए दिखायी गई। आरोप है कि पुलिस ने हवाला कारोबारी को बिना किसी कार्रवाई के छोड़ दिया और वरिष्ठ अधिकारियों को भी इस मामले की जानकारी नहीं दी।
पुलिसकर्मियों का निलंबन और जांच की प्रक्रिया
मामला सामने आने के बाद, 9 अक्टूबर</strong की रात को आईजी प्रमोद वर्मा ने थाना प्रभारी अर्पित भैरम समेत 9 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया। इसके बाद 10 अक्टूबर को डीजीपी कैलाश मकवाना ने एसडीओपी पूजा पाण्डेय को भी निलंबित कर दिया। इस पूरे मामले की जांच जबलपुर एएसपी आयुष गुप्ता को सौंपी गई है।
एएसपी आयुष गुप्ता ने बताया कि पुलिस से बरामद 1.45 करोड़ रुपए की पुष्टि की गई है, लेकिन उन्होंने इस बात की जानकारी होने से इनकार किया कि व्यापारी को कितनी रकम लौटाई गई। गुप्ता ने माना कि इसमें पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है और उनके बयान दर्ज किए जा रहे हैं।
मुखबिर से मिली सूचना और पुलिस का ऑपरेशन
यह पूरा मामला 8 और 9 अक्टूबर की दरम्यानी रात का है। एसडीओपी पूजा पाण्डेय को एक मुखबिर से सूचना मिली थी कि एक क्रेटा कार में हवाला के 3 करोड़ रुपए कटनी से महाराष्ट्र के जालना ले जाए जा रहे हैं। पुलिस ने इस सूचना के आधार पर तुरंत कार्रवाई करते हुए एसडीओपी पूजा पाण्डेय ने अपने गनमैन और कुछ भरोसेमंद स्टाफ के साथ मिलकर एक टीम बनाई।
पुलिस ने 1:30 बजे के करीब सिवनी के पास सीलादेही इलाके में घेराबंदी की और उस क्रेटा कार को रोक लिया। सूत्रों के अनुसार, पुलिस को पता था कि कार की ड्राइवर सीट के नीचे चेंबर में 3 करोड़ रुपए रखे हैं। पुलिस ने रकम अपने कब्जे में ले ली और हवाला कारोबारी को वहीं छोड़ दिया।
पुलिस की मिलीभगत और डील का भंडाफोड़
पुलिस का अनुमान गलत साबित हुआ जब 9 अक्टूबर को हवाला कारोबारी सोहन परमार ने थाने में शिकायत दर्ज कराई कि रात में पुलिस ने उनसे 3 करोड़ रुपए लूट लिए हैं। इस पर एसडीओपी पूजा पाण्डेय ने उन्हें अपने दफ्तर बुलवाया, जहां घंटों तक बातचीत हुई।
इस बातचीत में हवाला कारोबारी ने कहा कि वह 1.50 करोड़ रुपए नहीं देगा और 45 लाख रुपए पर डील करने की बात की। अंततः दोनों पक्षों के बीच 50-50 के फॉर्मूले पर सौदा तय हुआ, जिसमें 3 करोड़ में से 1.50 करोड़ रुपए पुलिस रखेगी और 1.50 करोड़ रुपए कारोबारी को वापस किए जाएंगे।
हवाला कारोबारी की शिकायत और मीडिया की भूमिका
डील पक्की होने के बाद, हवाला कारोबारी ने जब गाड़ी में रखी रकम गिनी तो उन्हें पता चला कि 1.50 करोड़ में से 25 लाख 60 हजार रुपए कम हैं। यह धोखा देखकर वह फिर से थाने पहुंचा और पूरी घटना की सूचना दी। इस मामले की भनक मीडिया को भी लग गई और खबर तेजी से फैलने लगी।
मामला बढ़ता देख, हवाला कारोबारी के अन्य साथी रकम लेकर वहां से निकल गए, लेकिन सोहन परमार वहीं अड़ा रहा। इस बीच, डीआईजी राकेश सिंह को घटना की जानकारी मिली, जिसके बाद आईजी प्रमोद वर्मा ने तुरंत कार्रवाई करते हुए जांच का आदेश दिया।
जांच की दिशा और आगे की प्रक्रिया
जांच के दौरान पुलिस अधिकारियों की कॉल डिटेल रिपोर्ट (सीडीआर) निकाली गई, जिससे पता चला कि एसडीओपी पूजा पाण्डेय 8-9 अक्टूबर की दरम्यानी रात घटनास्थल पर मौजूद थीं। साथ ही, यह भी पुष्टि हुई कि सीएसपी की अलमारी में पैसे रखे गए थे। एएसपी आयुष गुप्ता ने इस मामले में कई अहम खुलासे किए हैं और जल्द ही एक रिपोर्ट पेश करने का आश्वासन दिया है।
यह मामला न केवल सिवनी की पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कानून के रखवाले ही जब कानून का उल्लंघन करते हैं, तो समाज में कितना बड़ा संकट उत्पन्न होता है। ऐसे मामलों की जांच करके ही समाज में विश्वास बहाल किया जा सकता है।