Waste Alert: रीवा में दूसरे राज्यों का कचरा, 108 गायों की मौत



रीवा में कचरा प्लांट और गोशाला की परेशानी मध्य प्रदेश के रीवा जिले के पहाड़िया गांव में स्थित कचरा प्लांट, शासकीय गोशाला और आसपास के ग्रामीणों के लिए एक बड़ी…

Waste Alert: रीवा में दूसरे राज्यों का कचरा, 108 गायों की मौत

रीवा में कचरा प्लांट और गोशाला की परेशानी

मध्य प्रदेश के रीवा जिले के पहाड़िया गांव में स्थित कचरा प्लांट, शासकीय गोशाला और आसपास के ग्रामीणों के लिए एक बड़ी समस्या बन चुका है। कचरा प्लांट और गोशाला के बीच की दूरी मात्र **50 मीटर** है, जिससे गोशाला की गायों के लिए खतरा बढ़ गया है। अब तक **108** से अधिक गायों की मौत हो चुकी है, जिसका मुख्य कारण कचरा प्लांट से निकलने वाला काला पानी बताया जा रहा है।

कचरा प्लांट की अनियमितताएँ और अवैध गतिविधियाँ

जब भास्कर ने इस मामले की पड़ताल की, तो कई हैरान कर देने वाली जानकारियाँ सामने आईं। जानकारी के अनुसार, इस कचरा प्लांट में केवल विंध्य क्षेत्र के तीन जिलों का कचरा फेंकने का अनुबंध था, लेकिन यहाँ **यूपी, बिहार, झारखंड** और **छत्तीसगढ़** जैसे चार राज्यों का अवैध कचरा लाया जा रहा है। जब भास्कर ने कलेक्टर को सभी साक्ष्य सौंपे, तो उन्होंने इसे नियमों का उल्लंघन और अनुबंध का वायलेशन बताया।

कचरा प्लांट और गोशाला की स्थिति

कचरा प्लांट रीवा शहर से लगभग **20 किलोमीटर** दूर, बक्क्षेरा, सगरा और पहाड़िया गांवों की सीमा पर स्थित है। यह प्लांट **5 एकड़** क्षेत्र में फैला हुआ है और यहाँ पर **100 से अधिक कर्मचारी** कार्यरत हैं। यह प्लांट **158 करोड़** की लागत से निर्मित है, जिसका उद्देश्य **28 नगरीय निकायों** से प्राप्त कचरे से प्रतिदिन **6 मेगावाट** बिजली का उत्पादन करना है। हालांकि, प्लांट द्वारा कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निष्पादन नहीं किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है।

अन्य राज्यों से कचरा आने का कारण

कचरा प्लांट में मप्र के तीन जिलों के कचरे के अलावा, अन्य राज्यों का कचरा भी लाया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि अवैध तरीके से पहाड़िया ग्राम पंचायत और आसपास के क्षेत्रों में सैकड़ों टन कचरा रोज फेंका जा रहा है। जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ और कौशांबी से कचरा यहाँ लाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ से भी कचरा ट्रकों के माध्यम से पहुँचाया जा रहा है।

गोशाला में गायों की लगातार मौत

गांव की पंचायत और सरपंच सहित ग्रामीणों का कहना है कि अब तक **102 से अधिक** गायें मर चुकी हैं। कचरा प्लांट से निकलने वाले काले पानी के कारण गायों की मौत की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। जनवरी 2024 से यह सिलसिला शुरू हुआ, जिसमें हर महीने **10 से अधिक** गायें मर रही हैं। इस समस्या के समाधान के लिए प्रशासन ने कई बार उपाय करने का दावा किया, लेकिन गोशाला को स्थानांतरित नहीं किया गया और न ही काले पानी का प्रबंध किया गया।

ग्रामीणों की पीड़ा और निराशा

ग्राम पंचायत के बुजुर्गों का कहना है कि अब गांव की स्थिति में सुधार की उम्मीद नहीं रही। पहले यह गांव खुशहाल था, लेकिन कचरा प्लांट की स्थापना के बाद से हालात बदतर हो चुके हैं। लोग अब शहरों की ओर भागने को मजबूर हैं। एक महिला ने बताया कि उसके बच्चों को स्कूल जाने से रोकना पड़ रहा है क्योंकि कचरा प्लांट की गंदगी से बच्चे बीमार हो जाते हैं।

कचरा प्लांट और सामाजिक समस्याएँ

कचरा प्लांट की गंदगी के कारण गांव में लोगों के लिए रिश्ते आना भी मुश्किल हो गया है। युवा शादी-ब्याह के लिए परेशान हैं क्योंकि लोग यहाँ अपनी बेटियों को देने से कतराते हैं। इसी तरह की समस्याओं के चलते ग्रामीणों में निराशा और असहायता की भावना घर कर गई है।

सरपंच की स्वीकार्यता और प्रशासन की लापरवाही

सरपंच लक्ष्मीकांत तिवारी ने स्वीकार किया कि कचरा प्लांट से सटाकर गोशाला बनाना एक बड़ी गलती थी। उन्होंने कहा कि काले पानी के कारण न केवल गोशाला की गायें, बल्कि आसपास की गायें भी प्रभावित हो रही हैं। प्रशासन की लापरवाही के कारण यह समस्या और गंभीर हो चुकी है।

भास्कर की पड़ताल और निष्कर्ष

भास्कर की जांच में यह भी सामने आया है कि कचरा प्लांट से निकलने वाले दूषित पानी को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। स्थानीय लोगों ने पर्याप्त सबूतों के साथ मामले में **एफआईआर** दर्ज करने की मांग की है, ताकि दोषियों को सजा मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

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