मध्य प्रदेश में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का अनिश्चितकालीन धरना
मध्य प्रदेश के शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के बाहर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने मंगलवार को दोपहर 1 बजे से अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। इस धरने का मुख्य कारण कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. जेके श्रीवास्तव पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप हैं। परिषद ने मांग की है कि उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। परिषद के सदस्यों का आरोप है कि डॉ. श्रीवास्तव के कार्यकाल में वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं, जिसके संबंध में उन्होंने पहले ही शासन को ज्ञापन सौंपा था।
इस धरने का नेतृत्व महानगर मंत्री सिद्धार्थ यादव कर रहे हैं। परिषद ने 1 सितंबर को शासन को एक ज्ञापन भी सौंपा था जिसमें आरोप लगाया गया था कि पूर्व प्राचार्य के कार्यकाल के दौरान कॉलेज के वित्तीय मामलों में गंभीर अनियमितताएं हुई हैं। हालांकि, इस ज्ञापन के बाद से अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने पर परिषद ने धरना देने का निर्णय लिया।
जांच टीम द्वारा दस्तावेजों की समीक्षा
धरने के दौरान, परिषद ने यह भी बताया कि शासन की ओर से कोई ठोस कदम न उठाए जाने के कारण यह धरना किया जा रहा है। बुधवार को भोपाल से एक जांच टीम कॉलेज पहुंची, जिसमें एडिशनल डायरेक्टर रवि नगाईज, एडिशनल डायरेक्टर फायनेंस संजय कुमार, भोपाल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. राव और जीएसआईटी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. पुरोहित शामिल थे। इस टीम ने कॉलेज में लगभग 9 घंटे तक दस्तावेजों की जांच की। जांच टीम ने रिपोर्ट तैयार कर विभाग के आयुक्त को भेज दी है, जिसके बाद संबंधित विभाग में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
जांच टीम ने परिषद से अनुरोध किया कि वे धरना समाप्त कर दें, लेकिन परिषद ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक उनके अनुरोध पर कार्रवाई नहीं होती, धरना जारी रहेगा। महानगर मंत्री सिद्धार्थ यादव ने चेतावनी दी है कि यदि गुरुवार तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो वे तकनीकी शिक्षा मंत्री और विभाग आयुक्त का पुतला जलाने पर मजबूर होंगे।
परिषद की मांगें और भविष्य की रणनीति
ABVP के सदस्यों का कहना है कि इस प्रकार के भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनका मानना है कि सरकारी संस्थानों में पारदर्शिता और उत्तरदायिता सुनिश्चित करने के लिए इस मामले में सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। परिषद ने इस धरने को एक आंदोलन के रूप में देखा है, जिससे न केवल इस मामले में बल्कि अन्य कॉलेजों में भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई जा सके।
धरने में शामिल छात्रों ने कहा है कि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे और अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अपने आंदोलन को और विस्तार देंगे। इसके अलावा, परिषद ने छात्रों से अपील की है कि वे इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लें और भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुटता दिखाएं।
स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया
स्थानीय प्रशासन और कॉलेज प्रशासन ने इस धरने पर ध्यान दिया है और स्थिति को संभालने के लिए प्रयास कर रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि वे जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई करेंगे। इस समय, स्थिति को शांति से संभालने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि छात्रों के बीच कोई हंगामा न हो।
इस धरने से पहले, परिषद ने कई बार प्रशासन से संपर्क किया था, लेकिन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया। अब जब धरना शुरू हो गया है, तो प्रशासन को मजबूरन इस पर ध्यान देना पड़ रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि क्या प्रशासन इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई करता है या नहीं।
इस पूरे घटनाक्रम ने कॉलेज के छात्रों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है। छात्रों का मानना है कि यदि भ्रष्टाचार के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई की जाती है, तो इससे कॉलेज के शैक्षणिक माहौल में सुधार होगा और भविष्य में ऐसे मामलों से निपटने के लिए एक मजबूत संदेश जाएगा।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की यह कार्रवाई इस बात का संकेत देती है कि छात्र संगठनों का प्रभाव और उनकी आवाज आज भी महत्वपूर्ण है। छात्रों की एकजुटता और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए उनकी मुहिम जारी रहेगी।