Trump के BRICS बाहर निकलने के दावे उल्टे: 2025 में भारत करेगा BRICS विस्तार का नेतृत्व



ब्रिक्स का विस्तार: ट्रंप के दावों के विपरीत बढ़ते सदस्य अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावों के बावजूद कि कई देश ब्रिक्स से बाहर हो रहे हैं, भारत के नेतृत्व…

Trump के BRICS बाहर निकलने के दावे उल्टे: 2025 में भारत करेगा BRICS विस्तार का नेतृत्व

ब्रिक्स का विस्तार: ट्रंप के दावों के विपरीत बढ़ते सदस्य

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावों के बावजूद कि कई देश ब्रिक्स से बाहर हो रहे हैं, भारत के नेतृत्व में इस अंतर-सरकारी संगठन में देशों की बढ़ती रुचि देखी जा रही है। ट्रंप ने ब्रिक्स को डॉलर के खिलाफ एक हमले के रूप में चित्रित किया है, यह कहते हुए कि, “ब्रिक्स एक डॉलर पर हमला था और मैंने कहा, अगर आप यह खेल खेलना चाहते हैं, तो मैं आपके सभी उत्पादों पर अमेरिका में टैक्स लगा दूंगा।” उनका यह बयान वास्तविकता के विपरीत प्रतीत होता है, क्योंकि ब्रिक्स दुनिया की 55 प्रतिशत जनसंख्या और 46 प्रतिशत जीडीपी का प्रतिनिधित्व करता है।

ट्रंप ने आगे कहा, “मैंने किसी को भी कहा जो ब्रिक्स में शामिल होना चाहता है, ठीक है, लेकिन हम आपके देश पर टैक्स लगाने जा रहे हैं। सभी ने बाहर निकलने का निर्णय लिया है। वे सभी ब्रिक्स से बाहर जा रहे हैं।” उनके इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में एक नई बहस छेड़ दी है।

ब्रिक्स का विकास और नया सदस्यता

ब्रिक्स समूह, जो मूलतः ब्राजील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका से मिलकर बना था, हाल के वर्षों में नए सदस्यों के साथ विस्तार कर चुका है। यह समूह उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक महत्वपूर्ण समूह माना जाता है, जिसने हाल ही में मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान, और संयुक्त अरब अमीरात को शामिल किया है। यह विस्तार ट्रंप के दावों के विपरीत स्पष्ट करता है कि ब्रिक्स का प्रभाव बढ़ता जा रहा है।

इससे पहले, ट्रंप ने ब्रिक्स को अमेरिकी हितों के खिलाफ काम करने वाली एक संधि के रूप में वर्णित किया था। लेकिन भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया है कि “डॉलर की भूमिका के संबंध में, हम यथार्थवादी हैं। हमें डॉलर से कोई समस्या नहीं है, और हमारे अमेरिका के साथ संबंध सर्वोत्तम हैं। हमें डॉलर को कमजोर करने में कोई रुचि नहीं है।”

ब्रिक्स मुद्रा की अवधारणा

ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा ने 2023 में जोहान्सबर्ग में एक शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिक्स मुद्रा का विचार पेश किया था, जिससे समूह की डॉलर के विनिमय दर में निर्भरता को कम किया जा सके। इस विचार ने ट्रंप को आहत किया है, क्योंकि उन्होंने पिछले वर्ष व्हाइट हाउस की दौड़ जीतने से पहले ही चेतावनी दी थी कि यदि ब्रिक्स सदस्य देश डॉलर को रिजर्व मुद्रा के रूप में बदलने पर विचार करते हैं, तो वह उन पर 100 प्रतिशत टैक्स लगाने का इरादा रखते हैं।

ट्रंप के बयान और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

ट्रंप के बयान और उनकी व्यापार नीतियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। कई देश अब ब्रिक्स के साथ जुड़ने के लिए उत्सुक हैं, जो कि आर्थिक सहयोग का एक नया मंच प्रदान कर सकते हैं। इसके अलावा, यह स्पष्ट हो रहा है कि ट्रंप की नीतियां और बयान केवल अमेरिका के दृष्टिकोण को दर्शाते हैं, जबकि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अन्य देशों की स्थिति तेजी से बदल रही है।

इस प्रकार, ब्रिक्स का विस्तार और नए देशों का शामिल होना स्पष्ट करता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में विविधता और सहयोग की आवश्यकता बढ़ रही है। ट्रंप के बयान इस बात को नहीं बदल सकते हैं कि ब्रिक्स एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली संगठन बन चुका है, जो आने वाले समय में और भी मजबूत होगा।

निष्कर्ष

इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि ब्रिक्स का विस्तार और नए सदस्य देशों की बढ़ती रुचि ट्रंप के दावों के विपरीत है। यह संगठन वैश्विक आर्थिक संतुलन को प्रभावित करने की क्षमता रखता है और आने वाले समय में वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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