Dream Project: आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी पर 30 मुकदमे, 50 महीने जेल, 600 करोड़ का नुकसान, चुनाव लड़ने पर बैन



आजम खान का राजनीतिक सफर: ताकत से बेबसी तक 21 सितंबर 2016: “मुझे इस देश का प्रधानमंत्री बना दो, मैं दिखा दूंगा कि देश कैसे चलाया जाता है। मुझमें प्रधानमंत्री…

Dream Project: आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी पर 30 मुकदमे, 50 महीने जेल, 600 करोड़ का नुकसान, चुनाव लड़ने पर बैन

आजम खान का राजनीतिक सफर: ताकत से बेबसी तक

21 सितंबर 2016: “मुझे इस देश का प्रधानमंत्री बना दो, मैं दिखा दूंगा कि देश कैसे चलाया जाता है। मुझमें प्रधानमंत्री बनने के सारे गुण हैं – राजनीतिक अनुभव है, शिक्षा है। सिर्फ एक कमी है कि मैं मुसलमान हूं, इसके अलावा मुझमें कोई कमी नहीं।” यह बयान समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार में मंत्री रहे आजम खान का है। यह बयान आजम की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को दर्शाता है।

ठीक 9 साल बाद, 23 सितंबर 2025 को आजम खान ने कहा, “पत्ता-पत्ता, बूटा-बूटा हाल हमारा जाने है। अब अपनी सेहत पर ध्यान देंगे और बुरे दौर को कभी नहीं भूलेंगे।” यह बयान आजम की जेल से रिहाई के बाद आया, जब उन्होंने 23 महीने जेल में बिताए थे। इन दो बयानों में आजम के राजनीतिक उत्थान से लेकर उनकी बेबसी तक का सफर साफ दिखाई देता है।

जेल में बिताए गए 50 महीने और उनके प्रभाव

यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे आजम खान ने पिछले 5 वर्षों में अपनी जिंदगी के 50 महीने जेल में बिताए। योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद, आजम को दो बार जेल जाना पड़ा – पहली बार फरवरी 2020 से मई 2022 तक और दूसरी बार अक्टूबर 2023 से सितंबर 2025 तक।

जेल में रहते हुए आजम की करोड़ों की संपत्ति पर बुलडोजर चला, उनके स्कूलों को बंद किया गया, और उनके ड्रीम प्रोजेक्ट जौहर यूनिवर्सिटी में एक बड़ा घोटाला सामने आया। रामपुर का यह शेर, जो कभी राजनीतिक ताकत का प्रतीक था, अब अपनी खोई हुई शक्ति को वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहा है।

जौहर यूनिवर्सिटी: एक सपने का अंत

जौहर यूनिवर्सिटी का निर्माण 2005 में हुआ था, जब आजम खान ने इसे यूपी का सबसे बड़ा शिक्षण संस्थान बनाने का सपना देखा था। इस यूनिवर्सिटी की नींव मुलायम सिंह यादव ने रखी थी। लेकिन अब यह यूनिवर्सिटी विवादों के घेरे में आ गई है।

यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए 25 कोर्स शुरू हुए, लेकिन योगी सरकार के आने के बाद इसे लेकर कई कानूनी मामले सामने आए। यूनिवर्सिटी के छात्रों ने बताया कि कॉलेज में पढ़ाई में रुकावट आ गई है और पुलिस की दखल से उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

आजम खान के रिसॉर्ट और स्कूलों पर कार्रवाई

आजम खान का हमसफर रिसॉर्ट भी उनकी राजनीतिक स्थिति के गिरने का एक उदाहरण है। यह रिसॉर्ट अब सुनसान है, जहां जुलाई 2024 में प्रशासन ने बुलडोजर कार्रवाई की थी। रिसॉर्ट पर अवैध निर्माण के आरोप में कार्रवाई हुई, जिसके निशान आज भी मौजूद हैं।

इसके अलावा, आजम के ट्रस्ट के अंतर्गत चलने वाले स्कूलों पर भी कार्रवाई की गई है। रामपुर पब्लिक स्कूल और RPS गर्ल्स विंग को सील कर दिया गया है, जिससे हजारों छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

सियासी रंजिश का शिकार आजम खान

आजम खान के करीबी रिश्तेदारों का कहना है कि आजम को राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार बनाया गया है। आसिम खान, जो आजम खान के करीबी रिश्तेदार हैं, ने कहा, “जिन इमारतों को सील किया गया, उनमें आजम खान का कोई अजीज नहीं रहता था। ये स्कूल बच्चों की तालीम के लिए खोले गए थे।”

इस संबंध में सीनियर जर्नलिस्ट फजल शाह का कहना है कि आजम का सबसे बड़ा नुकसान जौहर यूनिवर्सिटी का बदनाम होना था। उन्होंने कहा कि सरकार की कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है, और इससे आजम खान के साम्राज्य को बहुत नुकसान हुआ है।

आजम खान का भविष्य: राजनीतिक और आर्थिक संकट

आजम खान की राजनीतिक स्थिति अब दांव पर है। 2012 से 2017 तक रामपुर में उनकी ताकत थी, लेकिन 2017 के बाद उनकी स्थिति में गिरावट आई है। उन्हें हेट स्पीच के मामले में सजा हुई और उनकी विधायकी चली गई। अब वे 2028 तक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।

उनके बेटे अब्दुल्ला का भी यही हाल है, जो 2023 में विधायक बने थे, और वे भी 2029 तक चुनाव नहीं लड़ सकते। ऐसे में आजम परिवार का राजनीतिक रसूख भी संकट में है।

निष्कर्ष

आजम खान का राजनीतिक सफर एक तरफ जहां ताकत और सफलता का प्रतीक रहा है, वहीं अब यह उनकी बेबसी और संघर्ष का भी प्रतीक बन चुका है। जौहर यूनिवर्सिटी, रिसॉर्ट और स्कूलों पर हुई कार्रवाई ने उनके साम्राज्य को बुरी तरह प्रभावित किया है। अब देखना यह है कि क्या आजम खान अपने खोए हुए राजनीतिक रसूख को वापस पाने में सफल होंगे या उनका नाम केवल अतीत की यादों में रह जाएगा।

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