सेबी ने पारिवारिक कार्यालयों पर नियामकीय निगरानी की खबरों का खंडन किया
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शनिवार को स्पष्ट किया कि वह पारिवारिक कार्यालयों पर किसी भी प्रकार की नियामकीय निगरानी पर विचार नहीं कर रहा है। हाल ही में मीडिया में आई खबरों को खारिज करते हुए सेबी ने कहा कि ऐसी रिपोर्टें “तथ्यात्मक रूप से गलत” हैं और वर्तमान में इस पर कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
सेबी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, “सेबी को यह जानकारी मिली है कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह कहा गया है कि सेबी पारिवारिक कार्यालयों पर नियामकीय निगरानी की योजना बना रहा है। ये रिपोर्टें तथ्यात्मक रूप से गलत हैं। सेबी इस मामले की जांच या पीछा नहीं कर रहा है।” इस बयान ने उन अटकलों को समाप्त कर दिया जो पिछले कुछ समय से चल रही थीं।
पारिवारिक कार्यालय: एक नजर
3 अक्टूबर को कई मीडिया प्लेटफार्मों ने रिपोर्ट किया था कि सेबी पारिवारिक कार्यालयों को नियामकीय ढांचे के अंतर्गत लाने पर विचार कर रहा है। पारिवारिक कार्यालय एक निजी धन प्रबंधन फर्म होती है जो उच्च नेटवर्थ व्यक्तियों या परिवारों को व्यापक वित्तीय और निवेश सेवाएं प्रदान करती है।
पारंपरिक धन प्रबंधकों के विपरीत, पारिवारिक कार्यालय कई प्रकार की व्यक्तिगत सेवाएं प्रदान करते हैं, जिसमें निवेश प्रबंधन, कर योजना, संपत्ति योजना, परोपकारिता, और कभी-कभी जीवनशैली और कंजियर्ज सेवाएं शामिल होती हैं। इनका मुख्य उद्देश्य परिवार की संपत्ति को पीढ़ियों तक संरक्षित और बढ़ाना होता है।
पारिवारिक कार्यालयों के प्रकार
पारिवारिक कार्यालयों के दो मुख्य प्रकार होते हैं: सिंगल-फैमिली ऑफिस (SFOs), जो एक ही समृद्ध परिवार की सेवा करते हैं, और मल्टी-फैमिली ऑफिस (MFOs), जो कई परिवारों को सेवाएं प्रदान करते हैं, जिससे लागत को कम किया जा सके। भारत में, पारिवारिक कार्यालयों की लोकप्रियता में वृद्धि हो रही है, विशेष रूप से व्यापारिक परिवारों और स्टार्टअप संस्थापकों के बीच, जो अपनी व्यक्तिगत संपत्ति के संरचित और पेशेवर प्रबंधन की तलाश कर रहे हैं।
भारत में पारिवारिक कार्यालयों का विकास
हाल ही में जारी की गई EY-Julius Baer रिपोर्ट ने यह उजागर किया है कि जबकि 25 प्रतिशत भारतीय पारिवारिक कार्यालय संपत्ति के संरक्षण को प्राथमिकता देते हैं, कई अब वैश्विक और वैकल्पिक संपत्तियों में सक्रिय रूप से विविधता ला रहे हैं। इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि कैसे भारत के उच्च नेटवर्थ परिवार अपनी संपत्ति को बढ़ाने और प्रबंधित करने के लिए विविधीकरण के नए तरीकों की तलाश कर रहे हैं।
रिपोर्ट में दिखाया गया है कि भारत के अल्ट्रा-हाई-नेट-वर्थ परिवारों में संपत्ति प्रबंधन के दृष्टिकोण में एक परिवर्तनशील बदलाव आया है। वे अब अपनी संपत्तियों को बढ़ाने और अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए नई रणनीतियों को अपनाने लगे हैं।
निष्कर्ष
सेबी का यह स्पष्ट बयान उन सभी अटकलों को समाप्त करता है जो पारिवारिक कार्यालयों पर नियामकीय निगरानी की संभावना के बारे में उठ रही थीं। पारिवारिक कार्यालयों का विकास भारत में एक महत्वपूर्ण विषय है, क्योंकि यह उच्च नेटवर्थ परिवारों की वित्तीय रणनीतियों और उनके धन प्रबंधन पर प्रभाव डालता है।
अभी के लिए, पारिवारिक कार्यालयों को स्वतंत्र रूप से संचालित करने की अनुमति है, लेकिन भविष्य में क्या बदलाव आएंगे, यह देखने की बात होगी। ऐसे में सेबी का यह कदम पारिवारिक कार्यालयों के लिए एक सकारात्मक संकेत है कि वे अपनी गतिविधियों को स्वतंत्रता से जारी रख सकते हैं।