राजस्थान: खैरथल-तिजारा जिले के नाम बदलने का विवाद जारी
खैरथल-तिजारा जिले का नाम ‘भर्तृहरि नगर’ करने की चर्चा के बाद शुरू हुआ विवाद अब भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार शाम को आंदोलन के 66वें दिन खैरथल की सड़कों पर “जिला बचाओ–खैरथल बचाओ” के नारों के बीच मशाल जुलूस निकाला गया। यह जुलूस स्थानीय लोगों में बढ़ते आक्रोश को दर्शाता है और उनकी मांगों को सामने लाता है।
जुलूस शहीद भगत सिंह चौक से शुरू होकर पुरानी अनाज मंडी स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर तक पहुंचा। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने अपनी एकजुटता और संघर्ष के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया। मशाल जुलूस ने न केवल जिला प्रशासन के प्रति असंतोष को व्यक्त किया, बल्कि स्थानीय लोगों के बीच एकजुटता की भावना को भी बढ़ावा दिया।
सरकार पर आरोप: जनता को भ्रमित कर रही है
संघर्ष समिति के सदस्य सर्वेश गुप्ता, गिरीश डाटा और कौशिक ने आरोप लगाया कि सरकार जनता को भ्रमित कर रही है। उन्होंने कहा कि यह मशाल जुलूस अब जनआक्रोश और परिवर्तन की शुरुआत है। उनका मानना है कि अगर सरकार ने इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया, तो आंदोलन और तेज हो सकता है।
मशाल जुलूस से पहले धरना स्थल पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता हनुमान प्रसाद यादव भी पहुंचे। उन्होंने कहा कि खैरथल-तिजारा जिला पूर्व सरकार द्वारा नियम और व्यवस्था के तहत विधायक दीपचंद खैरिया की पहल पर बनाया गया था। उन्होंने चेतावनी दी कि भाजपा सरकार द्वारा नाम या मुख्यालय बदलने का कोई औचित्य नहीं है।
विधायक का स्पष्ट संदेश: संघर्ष जारी रहेगा
किशनगढ़बास विधायक दीपचंद खैरिया ने कहा कि जब तक खैरथल-तिजारा जिले का मुख्यालय खैरथल में स्थापित नहीं हो जाता, तब तक संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने इसे सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि जनता की अस्मिता का आंदोलन बताया। उनका कहना है कि पूर्व सरकार द्वारा तय की गई व्यवस्थाओं को पलटने की कोशिश जनता के साथ धोखा है।
नगर परिषद खैरथल के नेता प्रतिपक्ष विक्की चौधरी ने भाजपा नेताओं पर झूठे वादों और खोखले आश्वासनों का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा जिला अध्यक्ष, जिला प्रमुख और नगर परिषद अध्यक्ष ने दावा किया था कि सात दिन में जिला मुख्यालय के लिए भूमि आवंटन हो जाएगा, लेकिन अब 66 दिन बीत चुके हैं और कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कांग्रेस नेताओं की चेतावनी: संघर्ष का सिलसिला जारी
कांग्रेस नेता गिरीश डाटा ने कहा कि जब तक सरकार यह स्पष्ट नहीं करती कि खैरथल ही रहेगा मुख्यालय और नाम यथावत रहेगा, तब तक संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और भाजपा नेताओं की चुप्पी को सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए देखा।
संघर्ष समिति का आरोप: गुपचुप तैयारी
संघर्ष समिति के प्रमुख गिरीश डाटा और सर्वेश गुप्ता ने दावा किया कि सरकार चुपचाप भिवाड़ी में मुख्यालय शिफ्ट करने की तैयारी में है। अगर ऐसा नहीं है तो केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव खुद धरना स्थल पर आकर घोषणा करें कि जिला मुख्यालय खैरथल में ही रहेगा। यह मांग अब स्थानीय लोगों के बीच तेजी से बढ़ रही है।
मुंडावर विधायक ललित यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री की मंजूरी और केंद्रीय मंत्री के ट्वीट के बाद अब सरकार विधानसभा में कह रही है कि नाम परिवर्तन का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार का इरादा साफ है, तो मंत्री भूपेंद्र यादव सार्वजनिक रूप से घोषणा करें कि खैरथल ही जिला मुख्यालय रहेगा।
धरना स्थल पर मौजूद लोग
धरना स्थल पर विधायक दीपचंद खैरिया, गिरीश डाटा, ओमप्रकाश रोघा, विक्की चौधरी, सर्वेश गुप्ता, शिवचरण गुप्ता, वीरसिंह ढिल्लन, कामरेड रामचंद्र और अन्य सैकड़ों लोग मौजूद रहे। यह दिखाता है कि यह आंदोलन केवल कुछ लोगों का नहीं, बल्कि पूरे समुदाय का है, जो अपनी पहचान और अधिकारों के लिए लड़ने को तत्पर हैं।
यह आंदोलन स्थानीय राजनीति की दिशा को प्रभावित कर सकता है और यह स्पष्ट करता है कि जनता अब अपनी आवाज को उठाने के लिए तैयार है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि यदि सरकार ने जनता की अपेक्षाओं को न समझा, तो यह आंदोलन और भी व्यापक रूप ले सकता है।