Nursing छात्रा बोली- फीस के लिए खेत गिरवी रखा: एमपी में नर्सिंग एजुकेशन के बुरे हाल, पहले रिजल्ट का इंतजार, अब काउंसलिंग का



मध्य प्रदेश में नर्सिंग शिक्षा की स्थिति गंभीर, सरकारी कॉलेजों को मिली केवल 8 मान्यता मध्य प्रदेश में नर्सिंग शिक्षा की हालत अत्यंत चिंताजनक है। प्रदेश के 21 सरकारी नर्सिंग…

Nursing छात्रा बोली- फीस के लिए खेत गिरवी रखा: एमपी में नर्सिंग एजुकेशन के बुरे हाल, पहले रिजल्ट का इंतजार, अब काउंसलिंग का

मध्य प्रदेश में नर्सिंग शिक्षा की स्थिति गंभीर, सरकारी कॉलेजों को मिली केवल 8 मान्यता

मध्य प्रदेश में नर्सिंग शिक्षा की हालत अत्यंत चिंताजनक है। प्रदेश के 21 सरकारी नर्सिंग कॉलेजों में से केवल 8 कॉलेजों को ही मान्यता प्राप्त हुई है, जबकि 13 कॉलेजों को अमान्य घोषित कर दिया गया है। इस स्थिति के चलते छात्र-छात्राओं को प्राइवेट कॉलेजों में भारी शुल्क देकर अपनी डिग्री पूरी करनी पड़ रही है। इसके अलावा, वर्ष 2022 के प्री नर्सिंग सिलेक्शन टेस्ट (PNST) के 60,000 छात्र अभी भी काउंसलिंग का इंतजार कर रहे हैं, जिससे उनकी शिक्षा का भविष्य अधर में लटक गया है।

छात्रों ने इस समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पिछले छह सालों में मध्य प्रदेश में नर्सिंग शिक्षा की व्यवस्था बिगड़ चुकी है। इसके साथ ही, नर्सिंग कॉलेजों में घोटाले की जांच सीबीआई द्वारा की जा चुकी है, लेकिन इसके बावजूद हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है। इस साल के सत्र में भी नर्सिंग की लगभग **40 प्रतिशत** सीटें खाली रह गईं हैं, जो कि नर्सिंग शिक्षा के प्रति छात्रों की उम्मीदों पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करती हैं।

छात्रों की समस्याएं: तीन केस से समझें कैसे हो रहा भविष्य से खिलवाड़

छात्रों की स्थिति को समझने के लिए हम तीन प्रमुख मामलों पर नजर डालते हैं, जो इस गंभीर समस्या का प्रतिनिधित्व करते हैं।

  • केस 1: बालाघाट की नंदिनी ने 2023 में PNST-2022 परीक्षा दी और 404वीं रैंक हासिल की। लेकिन परिणाम पर रोक लगने के कारण उनका दाखिला नहीं हो पाया। नंदिनी ने बताया कि उनके परिवार ने एक-एक पैसा जोड़कर उन्हें कोचिंग करवाई थी। उन्होंने और उनकी सहेलियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन काउंसलिंग अब तक नहीं हुई है।
  • केस 2: मंदसौर की रवीना सूर्यवंशी ने भी इसी परीक्षा में भाग लिया और परिणाम में देरी के कारण उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, जिससे उनकी उम्मीदें टूट गईं। उन्हें अब केवल ‘सैटिस्फैक्शन’ के लिए रिजल्ट दिया गया।
  • केस 3: बालाघाट की रक्षा बोपचे ने भी तीन सालों तक रिजल्ट का इंतजार किया, लेकिन उन्हें केवल ‘सैटिस्फैक्शन’ के लिए रिजल्ट दिया गया। उन्होंने बताया कि वे इतनी बुरी आर्थिक स्थिति में भी अपने भविष्य के लिए लड़ाई लड़ रही हैं, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है।

नर्सिंग कॉलेजों का घोटाला: सीबीआई जांच में भ्रष्टाचार की परतें खुलीं

मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की संख्या 2019 में लगभग 450 थी, लेकिन 2020 में कोरोना महामारी के दौरान यह संख्या तेजी से बढ़ी। केवल दो साल में 200 से ज्यादा नए कॉलेज खोले गए, जिनमें से अधिकांश में आवश्यक सुविधाएं नहीं थीं। इस पर जबलपुर और ग्वालियर के वकीलों ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिकाएं दायर कीं, जिसके बाद सीबीआई को जांच का जिम्मा सौंपा गया।

सीबीआई ने प्रारंभिक जांच में 700 से अधिक कॉलेजों में से 308 का निरीक्षण किया। जांच में पता चला कि कुछ कॉलेज संचालकों ने मान्यता के बदले में रिश्वत दी थी। इस खुलासे ने सीबीआई की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए, और एक सीबीआई इंस्पेक्टर को 10 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया।

नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता और प्रक्रिया में देरी

इस वर्ष की नर्सिंग कॉलेजों की प्रवेश प्रक्रिया भी निर्धारित समय से देरी से शुरू हुई। पहले यह प्रक्रिया 30 सितंबर तक पूरी होनी थी, लेकिन इसकी शुरुआत 22 सितंबर को हुई। अब इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) के अनुसार, राज्य नर्सिंग काउंसिल को 30 अक्टूबर तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी करनी है।

इस साल 21 में से केवल 8 सरकारी कॉलेजों को मान्यता मिली है, जबकि प्राइवेट कॉलेजों को बीएससी नर्सिंग के 196 और जीएनएम नर्सिंग के 247 कॉलेजों को मान्यता दी गई है। इस बारे में नर्सिंग काउंसिल के रजिस्ट्रार मुकेश सिंह ने कहा कि मान्यता की तारीख और नियम आईएनसी द्वारा तय किए जाते हैं।

छात्र संगठनों का आरोप: नर्सिंग माफिया का प्रभाव

छात्र संगठनों का आरोप है कि मध्य प्रदेश में नर्सिंग माफिया सक्रिय हैं, जो सभी प्रक्रियाओं को नियंत्रित कर रहे हैं। उनका कहना है कि नामांकन से लेकर परीक्षा तक की पूरी प्रक्रिया माफिया के इशारे पर होती है। इस वर्ष की प्रवेश प्रक्रिया में भी केवल एक राउंड की संभावना दिखाई देती है, जिससे छात्रों की उम्मीदें और भी कम होती जा रही हैं।

मध्य प्रदेश में नर्सिंग शिक्षा की स्थिति सुधारने की आवश्यकता है, ताकि छात्रों का भविष्य सुरक्षित हो सके। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

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