झालावाड़ में रीछवा ग्रामवासियों का टोल वसूली के खिलाफ ज्ञापन
झालावाड़ जिले के रीछवा गांव के निवासियों ने इकवासा टोल प्लाजा पर टोल वसूली के खिलाफ विरोध जताते हुए कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ को ज्ञापन सौंपा है। ग्रामीणों की मुख्य मांग यह है कि ग्राम रीछवा के निजी वाहनों के लिए टोल शुल्क को वापस फ्री किया जाए। यह मामला तब उठकर सामने आया जब स्थानीय लोगों ने देखा कि टोल वसूली की प्रक्रिया में अचानक परिवर्तन आया है, जिससे उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
ज्ञापन में बताया गया कि टोल प्लाजा ग्राम रीछवा से केवल 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पिछले तीन वर्षों में रीछवा वासियों को इस टोल पर छूट मिलती रही थी। लेकिन 1 अक्टूबर से नए ठेकेदार द्वारा टोल वसूली का कार्य शुरू कर दिया गया है, जिससे ग्रामीणों में नाराजगी फैल गई है। ग्रामीणों का कहना है कि यह टोल उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।
ग्रामीणों का टोल कर्मियों से संवाद
ग्रामीणों ने टोल प्लाजा कर्मियों के साथ संवाद स्थापित करने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी। उनका कहना है कि टोल कर्मियों ने उनकी बातों को सुनने में कोई रुचि नहीं दिखाई और अभद्र व्यवहार करते हुए गाली-गलौज की। इस घटना ने ग्रामीणों के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है और उन्होंने कलेक्टर से अपनी समस्याओं का समाधान करने की अपील की है।
रीछवा वासियों ने कलेक्टर से आग्रह किया कि टोल शुल्क को उनकी सुविधा के अनुसार पुनः फ्री किया जाए। कलेक्टर अजय सिंह राठौड़ ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि उनकी समस्या का जल्द समाधान किया जाएगा। यह सुनकर ग्रामीणों को थोड़ी राहत मिली है, लेकिन वे अब भी अपनी मांग को लेकर विभिन्न स्तरों पर दबाव बना रहे हैं।
ज्ञापन सौंपने वाले ग्रामीणों की सूची
ज्ञापन सौंपने वालों में कई प्रमुख लोग शामिल थे, जिनमें शरीफ मोहम्मद, ऐफ़ाज मोहम्मद, अशफाक खान, शोभाराम मीणा, राजेश कुमार, महावीर गुर्जर, बनवारी और बड़ी संख्या में अन्य ग्रामीण शामिल थे। इन सभी ने मिलकर एकजुटता का परिचय दिया और अपनी आवाज को उचित मंच पर पहुंचाने का प्रयास किया।
ग्रामीणों की एकजुटता और समर्थन
इस मुद्दे पर ग्रामीणों की एकजुटता ने यह साबित कर दिया है कि जब वे एक साथ आते हैं, तो उनकी आवाज़ को अनसुना नहीं किया जा सकता। रीछवा के लोग अब अपने अधिकारों के लिए और अधिक संगठित होकर संघर्ष करने का मन बना चुके हैं। उनका यह कदम अन्य ग्रामवासियों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन सकता है, जो अपने अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं।
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि स्थानीय प्रशासन को ग्रामीणों की समस्याओं का संज्ञान लेना आवश्यक है। अगर समय पर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह मुद्दा और भी गंभीर रूप धारण कर सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो वे और भी बड़े स्तर पर आंदोलन करने के लिए तैयार हैं।
आने वाले समय में यह देखना होगा कि कलेक्टर और प्रशासन इस मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं और क्या रीछवा वासियों की मांगों को मान्यता मिलेगी। स्थानीय निवासियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए यह एक महत्वपूर्ण मामला बन गया है, जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
इस प्रकार, रीछवा ग्रामवासियों का यह कदम न केवल उनकी समस्याओं का समाधान करने की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय प्रशासन को भी यह संदेश देता है कि ग्रामीणों की आवाज़ को अनदेखा नहीं किया जा सकता।