अरेरा कॉलोनी में शराब दुकान के खिलाफ रहवासियों की आपत्ति, NHRC ने भेजा समन
राजधानी भोपाल की अरेरा कॉलोनी में स्थित सोम ग्रुप की शराब दुकान के खिलाफ रहवासियों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में सुनवाई चल रही है, जिसके तहत भोपाल कलेक्टर और आबकारी आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए समन भेजा गया था। आयोग ने यह सुनिश्चित करने के लिए समन जारी किया कि मामले की गंभीरता को समझा जा सके और रहवासियों की शिकायतों का सही तरीके से समाधान किया जा सके।
आयोग को भेजे गए प्रतिवेदन में जिला प्रशासन ने अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की, लेकिन अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति नहीं हो पाई। रहवासियों का आरोप है कि जांच प्रतिवेदन में उनके पक्ष को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है। उनका मानना है कि इस तरह की असंवेदनशीलता से उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता।
कांग्रेस प्रवक्ता ने उठाई समस्याएं
कांग्रेस प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा कि रहवासियों की बार-बार की गई शिकायतों के बावजूद जिला प्रशासन ने उचित कार्रवाई नहीं की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अरेरा कॉलोनी में स्थित यह शराब दुकान आर्य समाज मंदिर और अनुश्री नर्सिंग होम के निकट है, जिससे स्थानीय निवासियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
त्रिपाठी ने बताया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 28 जुलाई 2025 को मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 12 के तहत मामले का संज्ञान लिया था। आयोग ने जिला प्रशासन से 15 दिनों के भीतर कार्रवाई का प्रतिवेदन मांगा था। हालांकि, आयोग द्वारा 19 अगस्त को स्मरण पत्र भेजे जाने के बावजूद प्रतिवेदन समय पर प्राप्त नहीं हुआ, जिसके कारण समन जारी किया गया।
रहवासियों की चिंताएं और मांगें
रहवासी लवनीश भाटी, सुनीता शर्मा, डॉ. अनुश्री गुप्ता और आचार्य शास्त्री ने भी आयोग को भेजे गए पत्र में स्पष्ट किया कि जांच के दौरान उनसे कोई बयान नहीं लिया गया। उन्होंने आयोग से इस शराब दुकान को बंद करने की मांग की है। उनका कहना है कि इस दुकान के कारण न केवल उनकी शांति भंग हो रही है, बल्कि यह उनके बच्चों और परिवारों के लिए भी खतरा बन चुका है।
विवेक त्रिपाठी ने मांग की है कि इस शराब दुकान का लाइसेंस निरस्त किया जाए और जांच प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए। उनका कहना है कि जब तक रहवासियों की आवाज को सुना नहीं जाएगा, तब तक उनके अधिकारों का सम्मान नहीं किया जा सकता।
आगे की कार्रवाई
आयोग की कार्रवाई और जिला प्रशासन की प्रतिक्रिया के बाद अब यह देखना है कि क्या रहवासियों की चिंताओं का सही समाधान किया जा सकेगा। स्थानीय निवासियों की मांगों को ध्यान में रखते हुए आयोग को अपनी सुनवाई में उचित कदम उठाने होंगे। यह मामला न केवल अरेरा कॉलोनी के निवासियों के लिए, बल्कि पूरे भोपाल के लिए एक उदाहरण बन सकता है कि कैसे प्रशासन को नागरिकों की आवाज सुननी चाहिए।
कुल मिलाकर, यह मामला मानवाधिकारों और नागरिकों के अधिकारों के संरक्षण का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो यह दर्शाता है कि स्थानीय प्रशासन को अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए रहवासियों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए।