शिवपुरी जिले में माता की मूर्ति विसर्जन जुलूस के दौरान मारपीट, आदिवासी समुदाय के लोगों का आरोप
शिवपुरी जिले के मायापुर थाना क्षेत्र में स्थित कालीखेड़ी कंचनपुर गांव में माता की मूर्ति विसर्जन के दौरान एक गंभीर घटना घटित हुई है। इस घटना में आदिवासी समुदाय के लोगों के साथ दबंगों द्वारा मारपीट की गई, जिससे स्थानीय लोगों में भय और असुरक्षा का माहौल बन गया है। पीड़ितों का कहना है कि पुलिस ने मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है, जिसके कारण वे न्याय की उम्मीद में परेशान हैं।
घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी
यह घटना 1 अक्टूबर की रात की है, जब आदिवासी समुदाय के लोग ढबोरे तालाब में माता की मूर्ति के विसर्जन के लिए जुलूस निकाल रहे थे। रात लगभग 11:30 बजे, जब जुलूस तेहरई गांव से गुजर रहा था, तभी यादव समुदाय के कुछ लोग, जिनमें इंद्रवीर यादव, शिवराज यादव, डाकू यादव, गोपाल यादव, रघुराज यादव, रामवीर यादव, बंटी यादव, सोनू यादव, मोनू यादव, मंगल सिंह यादव और नरेश यादव शामिल थे, नशे की हालत में जुलूस में घुस आए और नाचने लगे।
आदिवासियों ने जब इसका विरोध किया, तो इन लोगों ने लाठी-डंडों से उन पर हमला कर दिया। पीड़ितों ने किसी तरह अपनी जान बचाई और वहां से भाग खड़े हुए। घटना के बाद पीड़ित गांव के मायापुर थाने पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई, लेकिन उनका कहना है कि पुलिस ने इस मामले में कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की। इसके बाद दबंगों ने गांव में आकर हवाई फायरिंग की, टपरियां जलाने और जान से मारने की धमकी दी, जिससे स्थानीय लोगों में डर का माहौल बन गया।
पीड़ितों की पुलिस प्रशासन से शिकायत
पुलिस की निष्क्रियता के कारण पीड़ितों ने बाबू आदिवासी, विनोद आदिवासी, गोपाल आदिवासी, बाली आदिवासी, शंकर आदिवासी, राजकुमार आदिवासी सहित कुल 16 आदिवासी शनिवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे। उन्होंने वहां अपनी शिकायत दर्ज कराई और तत्काल कार्रवाई की मांग की। पीड़ितों ने स्पष्ट किया कि उन्हें न्याय दिलाने के लिए वे हर संभव प्रयास करेंगे और प्रशासन से उम्मीद रखते हैं कि उनकी आवाज सुनी जाएगी।
पुलिस का बयान
इस मामले पर मायापुर थाना प्रभारी नीतू सिंह अहिरवार ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 1 अक्टूबर की रात कुछ आदिवासी थाने आए थे और उनका मेडिकल चेकअप कराया गया था। हालांकि, कुछ लोगों का एक्स-रे होना बाकी था, जिसके लिए उन्हें 2 अक्टूबर को फिर से बुलाया गया था, लेकिन वे थाने नहीं आए और सीधे एसपी कार्यालय पहुंच गए। थाना प्रभारी ने आश्वस्त किया कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने की तैयारी कर रखी है और शिकायतकर्ता के आने पर एफआईआर दर्ज कर ली जाएगी।
स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया
स्थानीय आदिवासी समुदाय इस घटना को लेकर अत्यंत आक्रोशित है। उनका मानना है कि प्रशासन की निष्क्रियता ने दबंगों के हौसले को बढ़ाया है। उन्होंने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने का निर्णय लिया है और न्याय की मांग को लेकर सड़कों पर उतरने की योजना बनाई है। इस घटना ने स्थानीय समुदाय में एकता और जागरूकता बढ़ाई है, जिससे वे अपने हक के लिए अधिक संगठित और दृढ़ निश्चय के साथ खड़े हैं।
इस मामले से स्पष्ट होता है कि जब तक प्रशासन प्रभावी कार्रवाई नहीं करता, तब तक समाज में भय और असुरक्षा का माहौल बना रहेगा। स्थानीय लोगों की मांग है कि प्रशासन तुरंत हस्तक्षेप करे और उन दबंगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, जिन्होंने उनके साथ अत्याचार किया है।
यह घटना न केवल एक सामाजिक समस्या है, बल्कि यह कानून व्यवस्था और प्रशासन की जिम्मेदारी पर भी प्रश्न उठाती है। क्या प्रशासन अपने कर्तव्यों का पालन कर रहा है? क्या पीड़ितों को न्याय मिलेगा? इन सवालों के जवाब स्थानीय समुदाय और पुलिस दोनों को तलाशने होंगे।