भागलपुर में छात्रा की आत्महत्या: डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह गया
भागलपुर से एक दुखद खबर सामने आई है, जहां डॉक्टर बनने का सपना देखने वाली 24 वर्षीय छात्रा ने आत्महत्या कर ली। यह घटना बरारी थाना क्षेत्र के रिफ्यूजी कॉलोनी में हुई, जहां छात्रा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी। बताया जा रहा है कि वह एनटीपीसी परीक्षा में सफलता न मिलने के कारण मानसिक तनाव में थी।
मृतक छात्रा की पहचान पूर्णिया जिले के रूपौली थाना क्षेत्र के कांप गांव निवासी दीप्ति कुमारी के रूप में हुई है। दीप्ति अपने परिवार में सबसे बड़ी थी और पिछले चार साल से भागलपुर में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी। उसके इस कदम ने उसके परिवार और दोस्तों में शोक का माहौल पैदा कर दिया है।
परिवार का बयान: परीक्षा में असफलता से थी परेशान
दीप्ति के पिता अमन प्रीत ने बताया कि वे अपने दांतों का इलाज कराने भागलपुर आए थे और अपनी बेटी से मिलने गए थे। उन्होंने कहा कि दोपहर लगभग ढाई बजे दोनों ने साथ में खाना खाया। इसके बाद, वे दोनों बरारी स्थित अपनी बुआ के घर गए। लेकिन दीप्ति बिना किसी को बताए वहां से निकल गई। इसके कुछ देर बाद, उन्होंने अपने बहनोई से फोन पर घटना की जानकारी प्राप्त की।
पिता ने बताया कि जब वह नवगछिया से वापस लौटे, तो दीप्ति को अपने कमरे में फांसी के फंदे पर लटका हुआ पाया। उन्होंने तुरंत उसे मायागंज अस्पताल ले जाया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। यह घटना न केवल परिवार के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है।
पुलिस की कार्रवाई और जांच
घटनास्थल पर पहुंची बरारी थानाध्यक्ष बिट्टू कुमार ने शव को कब्जे में लेकर आगे की कार्रवाई शुरू की। फॉरेंसिक टीम को बुलाया गया, जिसने फांसी में इस्तेमाल की गई रस्सी और अन्य महत्वपूर्ण वस्तुओं को एकत्र किया। पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि दीप्ति ने आत्महत्या करने का निर्णय क्यों लिया।
परीक्षा के परिणाम और मानसिक स्वास्थ्य
दीप्ति के पिता ने बताया कि हाल ही में उसने एनटीपीसी का एग्जाम दिया था, जिसमें उसे 62 नंबर प्राप्त हुए थे। वह इस अंक से काफी निराश थी और फेल होने के बाद मानसिक तनाव में आ गई थी। उन्होंने कहा कि मैंने दीप्ति के चेहरे पर कोई उदासी नहीं देखी थी, अन्यथा मैं घर नहीं लौटता।
यह घटना इस बात की ओर भी इशारा करती है कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल कितनी महत्वपूर्ण है। कई बार, परीक्षाओं के परिणाम छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालते हैं, जिससे वे तनाव और अवसाद का शिकार हो जाते हैं।
समाज का उत्तरदायित्व
इस घटना ने समाज के सभी वर्गों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि मानसिक स्वास्थ्य की समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। आज की पीढ़ी पर प्रतियोगी परीक्षाओं का दबाव इतना अधिक है कि कई छात्र इस तनाव को सहन नहीं कर पाते।
- परीक्षा का दबाव और मानसिक स्वास्थ्य
- परिवार और दोस्तों की भूमिका
- समाज और शिक्षा प्रणाली की जिम्मेदारी
इसलिए, यह आवश्यक है कि समाज इस दिशा में जागरूकता फैलाए और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे। दीप्ति की इस दुखद घटना से हमें यह सीखने की आवश्यकता है कि हमें एक-दूसरे का समर्थन करना चाहिए और किसी भी संकट के समय में मदद के लिए आगे आना चाहिए।
दीप्ति की आत्महत्या ने एक बार फिर इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया है कि प्रतियोगी परीक्षाओं के तनाव को कैसे कम किया जाए और छात्रों को बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए क्या कदम उठाने की आवश्यकता है।