“Formula: कांग्रेस में 50 प्रतिशत पद एससी, एसटी, ओबीसी व माइनॉरिटी से भरेंगे”



राजस्थान में कांग्रेस जिलाध्यक्षों के लिए रायशुमारी का दौर शुरू राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्षों के चयन के लिए रायशुमारी का कार्य एक सप्ताह से चल रहा है। इस…

“Formula: कांग्रेस में 50 प्रतिशत पद एससी, एसटी, ओबीसी व माइनॉरिटी से भरेंगे”

राजस्थान में कांग्रेस जिलाध्यक्षों के लिए रायशुमारी का दौर शुरू

राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्षों के चयन के लिए रायशुमारी का कार्य एक सप्ताह से चल रहा है। इस प्रक्रिया के दौरान प्रदेश के विभिन्न जिलों में भारी गुटबाजी की स्थिति उत्पन्न हो रही है। खासकर उन जिलों में जो कद्दावर नेताओं के प्रभाव में हैं, वहां गुटबाजी की स्थिति अधिक चिंताजनक है। यह संगठन के लिए एक चुनौती बनती जा रही है, क्योंकि इससे कार्यकर्ताओं के बीच असहमति और तनाव पैदा हो सकता है।

इस बीच, पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा पदों को भरने की एक नई आंतरिक नीति भी सामने आई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में जो निर्णय लिए गए थे, उनके अनुसार संगठन के पदों का वितरण किया जाएगा। इस नई नीति के तहत, संगठन के 50 प्रतिशत या उससे अधिक पद अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को दिए जाएंगे। हालांकि, इस प्रक्रिया में स्थानीय कार्यकर्ताओं की राय भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

राजस्थान बन गया 10वां राज्य

कांग्रेस पार्टी की जिलाध्यक्षों के लिए रायशुमारी अब तक 9 राज्यों में हो चुकी है, और राजस्थान इस प्रक्रिया में शामिल होने वाला 10वां राज्य बन गया है। इससे पहले, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों में भी यह प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। इस रायशुमारी में वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ ब्लॉक, मंडल और बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से भी बातचीत की जा रही है, ताकि जिले के सबसे सक्रिय नेता का चयन किया जा सके।

22 अक्टूबर तक सबमिट करना होगा नाम

राजस्थान के सभी जिलों के जिलाध्यक्ष के चयन के लिए रायशुमारी की रिपोर्ट पर्यवेक्षकों को 22 अक्टूबर तक सबमिट की जाएगी। अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के निर्देशों के अनुसार, पर्यवेक्षकों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर पार्टी का हाईकमान नवंबर के पहले या दूसरे हफ्ते तक नए जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा कर सकता है। यह समय कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इससे उनकी संगठनात्मक स्थिति का आकलन होगा और आगे की रणनीति तय की जाएगी।

गुटबाजी और संगठन की चुनौतियाँ

राजस्थान में कांग्रेस के भीतर गुटबाजी का यह मुद्दा बेहद गंभीर है। पार्टी के भीतर विभिन्न गुटों के बीच मतभेदों के कारण कई बार निर्णय लेने में समस्या उत्पन्न होती है, जिससे कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ता है। इस स्थिति से निपटने के लिए पार्टी नेतृत्व को एकजुटता पर जोर देना होगा और सभी कार्यकर्ताओं को एक साथ लाने के प्रयास करने होंगे।

राजस्थान में राजनीतिक माहौल को देखते हुए, यह रायशुमारी केवल एक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह पार्टी के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि कांग्रेस पार्टी इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करती है, तो यह न केवल संगठनात्मक मजबूती लाएगी, बल्कि आने वाले चुनावों में भी उनकी स्थिति को मजबूत करेगा।

समापन विचार

कांग्रेस की यह नई नीति और जिलाध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया राज्य में राजनीतिक समीकरणों को बदलने में सक्षम हो सकती है। अगर पार्टी अपने कार्यकर्ताओं के बीच सामंजस्य बनाए रखने में सफल होती है, तो यह न केवल उनकी संगठनात्मक शक्ति को बढ़ाएगी, बल्कि यह आगामी चुनावों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस समय कांग्रेस के लिए एकजुटता और सहमति बनाना सबसे बड़ी चुनौती है।

कांग्रेस पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवधि है, जिसमें उन्हें अपनी भूमिका को समझते हुए आगे बढ़ना होगा। इस प्रक्रिया के सफलतापूर्वक पूर्ण होने से न केवल पार्टी की छवि में सुधार होगा, बल्कि यह राजस्थान की राजनीति में भी एक नई दिशा देने में सहायक सिद्ध हो सकता है।

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