Bihar News: Seat Sharing फाइनल, NDA में JDU नहीं है बड़ा भाई, BJP-JDU 101-101 सीटों पर लड़ेंगी, मांझी बोले- आलाकमान ने हमारी अहमियत 6 सीटें देकर आंकी है



बिहार विधानसभा चुनाव में NDA की सीट शेयरिंग की घोषणा बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने रविवार को सीट शेयरिंग की घोषणा की है। भारतीय जनता…

Bihar News: Seat Sharing फाइनल, NDA में JDU नहीं है बड़ा भाई, BJP-JDU 101-101 सीटों पर लड़ेंगी, मांझी बोले- आलाकमान ने हमारी अहमियत 6 सीटें देकर आंकी है

बिहार विधानसभा चुनाव में NDA की सीट शेयरिंग की घोषणा

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने रविवार को सीट शेयरिंग की घोषणा की है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 101 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि जनता दल (यूनाइटेड) यानी जदयू भी 101 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। इसके साथ ही चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 29 सीटों पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतारेगी।

इस बार बिहार NDA में जदयू की स्थिति पहले जैसी नहीं रही है। जदयू और भाजपा अब समान रूप से बराबर खड़ी हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में जदयू हमेशा भाजपा से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ती रही है, लेकिन इस बार दोनों पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा समान है।

जीतन राम मांझी की पार्टी की स्थिति

वहीं, सीट शेयरिंग के मामले में जीतन राम मांझी की पार्टी ने 40 सीटों की डिमांड की थी, लेकिन उन्हें केवल 6 सीटें दी गईं। मांझी ने इसे स्वीकार करते हुए कहा कि वे संतुष्ट हैं, लेकिन उनके तेवर में तीखापन भी नजर आया। उन्होंने कहा, “आलाकमान का जो फैसला है, वह स्वीकार है, लेकिन 6 सीटें देकर हमारी अहमियत को कम आंका गया है। इसका असर NDA पर पड़ सकता है।”

मांझी की पार्टी ने संभावित 4 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों का भी ऐलान किया है। सूत्रों के अनुसार, इमामगंज से दीपा मांझी, बाराचट्टी से ज्योति देवी, टेकारी से अनिल कुमार, और सिकंदरा से प्रफुल्ल कुमार मांझी संभावित प्रत्याशी हो सकते हैं।

बीजेपी और जदयू के बीच बराबरी की स्थिति

2005 से लेकर पिछले विधानसभा चुनाव तक जदयू ने हमेशा भाजपा से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा है। जदयू पिछले चार चुनावों में हमेशा बड़े भाई की भूमिका में रहा है। उदाहरण के लिए, 2020 में जदयू ने 115 और भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि इस बार दोनों पार्टियां 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही हैं। यह स्थिति दोनों पार्टियों के बीच समानता को दर्शाती है।

पिछले विधानसभा चुनाव की समीक्षा

2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 74 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। वहीं, जदयू ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 43 सीटों पर सफलता मिली थी। इस बार सीटों का बंटवारा दोनों पार्टियों के बीच बराबरी के स्तर पर किया गया है, जो चुनावी रणनीति में एक नया बदलाव दिखाता है।

इस बार की सीट शेयरिंग में जदयू और भाजपा के बीच की यह नई स्थिति यह संकेत देती है कि दोनों दलों को अपने-अपने वोट बैंक को मजबूत करने की दिशा में काम करना होगा। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस बदलाव से बिहार की राजनीति में नई दिशा मिल सकती है और यह चुनावी परिणामों पर भी असर डाल सकता है।

NDA की रणनीति और संभावनाएं

अब जब बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर है, NDA की यह नई रणनीति राजनीतिक पंडितों के लिए चर्चा का विषय बन गई है। दोनों पार्टियों के बीच सीटों का बराबरी से बंटवारा यह दर्शाता है कि जदयू अब पहले की तरह एकतरफा नहीं है।

इस चुनाव में अन्य छोटे दलों की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो सकती है। चिराग पासवान और जीतन राम मांझी जैसे नेताओं के बयानों से साफ है कि वे अपने-अपने वोटरों को साधने की कोशिश कर रहे हैं। इस बार चुनावी मुकाबला काफी रोचक होने की उम्मीद है, जिसमें विजेता का निर्धारण न केवल सीटों की संख्या पर, बल्कि चुनावी रणनीतियों पर भी निर्भर करेगा।

समग्रता में, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में NDA का यह नया समीकरण और राजनीतिक रणनीति यह संकेत देती है कि बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ आ सकता है। सभी दलों को अपनी रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना होगा ताकि वे चुनावी मैदान में मजबूती से खड़े रह सकें।

लेखक –