सरकारी स्कूलों में Bhagavad Gita श्लोक अनिवार्य करने पर Chandrashekhar का विरोध, कहा- यह संविधान के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के खिलाफ



उत्तराखंड में स्कूलों में श्रीमद्भगवद गीता के श्लोकों का पाठ अनिवार्य उत्तराखंड सरकार ने सरकारी और निजी विद्यालयों में श्रीमद्भगवद गीता के श्लोकों के पाठ को अनिवार्य कर दिया है।…

सरकारी स्कूलों में Bhagavad Gita श्लोक अनिवार्य करने पर Chandrashekhar का विरोध, कहा- यह संविधान के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के खिलाफ

उत्तराखंड में स्कूलों में श्रीमद्भगवद गीता के श्लोकों का पाठ अनिवार्य

उत्तराखंड सरकार ने सरकारी और निजी विद्यालयों में श्रीमद्भगवद गीता के श्लोकों के पाठ को अनिवार्य कर दिया है। शिक्षा विभाग द्वारा इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। नई शिक्षा नीति के तहत माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने यह आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार अब प्रार्थना सभा में प्रतिदिन कम से कम एक गीता श्लोक अर्थ सहित पढ़ाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, सप्ताह में एक दिन एक मूल्य आधारित श्लोक को ‘सप्ताह का श्लोक’ घोषित कर सूचना पट्टी पर अर्थ सहित लिखा जाएगा[1][2]।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

सरकार के इस निर्णय पर आजाद पार्टी के अध्यक्ष और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद रावण ने आपत्ति जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि सरकारी स्कूलों में गीता के श्लोकों को अनिवार्य करना संविधान के धर्मनिरपेक्ष ढांचे पर आघात है। उन्होंने प्रश्न उठाया कि क्या अब सरकारी स्कूलों को धर्मशाला बनाया जाएगा और क्या अन्य धार्मिक ग्रंथों जैसे बाइबल, कुरान और गुरु ग्रंथ साहिब को भी स्कूलों में पढ़ाया जाएगा, या यह केवल एक धर्म विशेष के एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि वे संविधान के साथ हैं, न कि किसी धर्म विशेष की राजनीति के साथ।

चंद्रशेखर ने आगे लिखा कि भारत का संविधान एक धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना करता है। अनुच्छेद 28(1) के अनुसार, राज्य की निधि से चलने वाले किसी भी शैक्षणिक संस्थान में धार्मिक शिक्षा या उपदेश नहीं दिया जा सकता। ऐसे में सरकारी स्कूलों में किसी भी धर्म की धार्मिक गतिविधियों को अनिवार्य रूप से लागू नहीं किया जा सकता।