शेयर बाजार में जबरदस्त रिकवरी
सोमवार, 21 जुलाई को भारतीय शेयर बाजार में शुरुआती गिरावट के बाद उल्लेखनीय रिकवरी दर्ज की गई। सेंसेक्स दिन के निचले स्तर से 650 अंक उछलकर लगभग 82,100 के आसपास कारोबार करता दिखा, जबकि निफ्टी में भी 80 अंकों की तेजी के साथ यह 25,050 के स्तर पर पहुंच गया।
- सेंसेक्स: 82,100 के स्तर पर कारोबार
- रिकवरी: सेंसेक्स में 650 अंक और निफ्टी में 80 अंक की बढ़त
सेंसेक्स की 30 में से 18 कंपनियों के शेयर बढ़त के साथ बंद हुए। इनमें HDFC बैंक, ICICI बैंक, अल्ट्राटेक सीमेंट, महिंद्रा एंड महिंद्रा और इटरनल में 2% तक की तेजी देखी गई। वहीं, रिलायंस, HCL टेक और TCS में कमजोरी देखने को मिली।[1][2]
प्रमुख लाभार्थी और घाटे में रहने वाले शेयर
- टॉप गेनर्स: HDFC बैंक, अल्ट्राटेक सीमेंट, इटरनल
- टॉप लूजर्स: रिलायंस, TCS
निफ्टी की चाल
निफ्टी के 50 में से 24 शेयरों में तेजी और 26 में गिरावट रही। हालांकि अधिकांश शेयरों में गिरावट थी, लेकिन कुछ मजबूत शेयरों के प्रदर्शन के चलते इंडेक्स बढ़त के साथ बंद हुआ। IT, PSU बैंक और ऑयल-गैस सेक्टर में कमजोरी रही, जबकि मेटल और रियल्टी सेक्टर में अच्छी खरीदारी देखी गई।[2]
वैश्विक बाजारों का प्रभाव
एशियाई बाजारों में कोरिया का कोस्पी इंडेक्स 0.55% की बढ़त के साथ बंद हुआ। अमेरिकी बाजारों में 18 जुलाई को डाउ जोंस और एसएंडपी 500 में हल्की गिरावट दर्ज की गई।
- कोस्पी (कोरिया): +17.41 (0.55%)
- Dow Jones: -142.30 (0.32%)
- S&P 500: -0.57 (0.0090%)
विदेशी और घरेलू निवेशकों की स्थिति
18 जुलाई को विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने ₹374.74 करोड़ की बिकवाली की, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने ₹2,103.51 करोड़ की खरीदारी की। जुलाई महीने में अब तक FII ने ₹16,955.75 करोड़ के शेयर बेचे हैं, वहीं DII ने ₹21,893.52 करोड़ की खरीदारी की है।
- FII (जुलाई): ₹-16,955.75 करोड़
पिछले सप्ताह की गिरावट और उसके कारण
पिछले सप्ताह शुक्रवार को सेंसेक्स 502 अंक गिरकर 81,758 और निफ्टी 143 अंक गिरकर 24,968 पर बंद हुआ था। इस गिरावट का मुख्य कारण विदेशी निवेशकों की बिकवाली और मुनाफावसूली रहा।
- विदेशी निवेशकों द्वारा बिकवाली
- प्राइवेट बैंकिंग इंडेक्स में 1.46% की गिरावट
- ऑटो, कंज़्यूमर ड्यूरेबल्स और PSU बैंक शेयरों में कमजोरी
निवेशकों के लिए संकेत
दिन की रिकवरी यह संकेत देती है कि भारतीय बाजार अब भी मजबूत हाथों में है। मेटल और रियल्टी जैसे साइक्लिकल सेक्टर्स में तेजी से यह उम्मीद बन रही है कि आने वाले समय में अर्थव्यवस्था में सुधार देखने को मिल सकता है। हालांकि, विदेशी निवेशकों की बिकवाली के चलते सतर्कता बनाए रखना आवश्यक है।[1][2]