सावन में डूबने की घटनाएं बढ़ीं: Gaumukh Ghat पर युवक की मौत, एक हफ्ते में पांचवीं Tragedy



ओंकारेश्वर, खंडवा। सावन माह में श्रद्धालुओं की भीड़ नर्मदा तट पर लगातार बढ़ रही है, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था की कमी के चलते हादसों की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले…

सावन में डूबने की घटनाएं बढ़ीं: Gaumukh Ghat पर युवक की मौत, एक हफ्ते में पांचवीं Tragedy

ओंकारेश्वर, खंडवा। सावन माह में श्रद्धालुओं की भीड़ नर्मदा तट पर लगातार बढ़ रही है, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था की कमी के चलते हादसों की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। सोमवार दोपहर लगभग 12 बजे ओंकारेश्वर के गौमुख घाट पर स्नान करते समय एक युवक की डूबने से मृत्यु हो गई।

नीमच से अपने परिवार के साथ ओंकारेश्वर आए 26 वर्षीय पंकज, पिता कैलाश, नर्मदा नदी में स्नान के दौरान गहरे पानी में चले गए, जहां वे तेज धाराओं में बह गए। स्थानीय गोताखोर तुकाराम ने होमगार्ड और एसडीईआरएफ जवानों की सहायता से युवक को बाहर निकाला, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सक ने पंकज को मृत घोषित कर दिया।

सावन में श्रद्धालुओं की भीड़ और सुरक्षा चुनौतियाँ

श्रावण मास के दौरान ओंकारेश्वर में लाखों श्रद्धालु दर्शन और स्नान के लिए पहुंचते हैं। घाटों पर भीड़ अत्यधिक है, लेकिन सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए हैं। बीते सात दिनों में यह पांचवीं घटना है, जिसमें स्नान के दौरान किसी श्रद्धालु की मृत्यु हुई है। प्रशासन रेस्क्यू ऑपरेशन कर मामले का समाधान दिखाता है, किन्तु स्थायी समाधान की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की गई है।

श्रद्धालुओं में असंतोष

घटना के बाद घाट पर उपस्थित बिहार से आए श्रद्धालु ने कहा कि इतने बड़े तीर्थ स्थल पर सुरक्षा के अभाव से वे स्तब्ध हैं। उनका कहना था कि हर घाट पर गोताखोर, चेतावनी बोर्ड और जीवन रक्षक उपकरण अनिवार्य रूप से होने चाहिए, ताकि इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।

सुरक्षा को लेकर प्रशासन की प्राथमिकता पर सवाल

घटनास्थल पर पहुंचे जिला होमगार्ड कमांडेंट आशीष कुशवाह ने बताया कि गोताखोरों की तैनाती और निगरानी बढ़ाई गई है, लेकिन श्रद्धालुओं को भी सतर्क रहना आवश्यक है। हालांकि, घाटों पर न तो पर्याप्त सुरक्षाकर्मी हैं और न ही पर्याप्त बचाव उपकरण, जिससे तीर्थ क्षेत्र में हादसों की आशंका बनी रहती है।

श्रद्धालुओं की प्रमुख मांगें

  • हर घाट पर प्रशिक्षित गोताखोर अनिवार्य रूप से तैनात किए जाएं।
  • चेतावनी संकेत और जीवन रक्षक उपकरण की व्यवस्था की जाए।
  • सावन जैसे पर्वों के दौरान अतिरिक्त सुरक्षा बल लगाया जाए।
  • घाटों की भौगोलिक स्थिति के अनुसार जोखिम क्षेत्रों को स्पष्ट रूप से चिन्हित किया जाए।

श्रद्धालुओं का मानना है कि जब तक प्रशासन, मंदिर प्रबंधन और स्थानीय निकाय मिलकर तीर्थ क्षेत्रों की सुरक्षा व्यवस्था को प्राथमिकता नहीं देंगे, तब तक ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति होती रहेगी।