“Rama Leela: आजमगढ़ में भगवान श्रीराम से मिले निषाद राज, जयकारों में गूंजे ‘आप कौन श्रीराम जी’”



आजमगढ़ में भव्य रामलीला का आयोजन आजमगढ़ के गंभीरपुर में चल रही भगवान श्री रामलीला ने स्थानीय कलाकारों की अद्भुत प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया है। इस ऐतिहासिक…

“Rama Leela: आजमगढ़ में भगवान श्रीराम से मिले निषाद राज, जयकारों में गूंजे ‘आप कौन श्रीराम जी'”

आजमगढ़ में भव्य रामलीला का आयोजन

आजमगढ़ के गंभीरपुर में चल रही भगवान श्री रामलीला ने स्थानीय कलाकारों की अद्भुत प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया है। इस ऐतिहासिक रामलीला में शनिवार को कई महत्वपूर्ण दृश्यों का मंचन किया गया, जिसमें निषाद राज से भेंट, केवट राम संवाद, दशरथ की मृत्यु, चित्रकूट में भरत मिलाप, और लक्ष्मण द्वारा सूर्पनखा का नाक और कान काटने का दृश्य शामिल था।

निषाद राज से श्री राम की भेंट

जब भगवान राम, लक्ष्मण, और सीता जी वन की ओर प्रस्थान करते हैं, तब उनकी मुलाकात निषाद राज से होती है। निषाद राज, श्री राम को देखकर प्रश्न करते हैं, “आप कौन हैं? आप कहाँ से आ रहे हैं?” इस पर श्री राम जी उत्तर देते हैं, “मैं अयोध्या के राजा दशरथ का पुत्र राम हूँ, और यह मेरी पत्नी सीता और मेरा भाई लक्ष्मण है। हम अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए 14 वर्षों के लिए वन में जा रहे हैं।” इस संवाद के बाद, वे गंगा नदी के किनारे पहुँचते हैं और प्रभु श्री राम केवट से गंगा पार करने का निवेदन करते हैं।

गंगा केवट की विनम्रता

केवट, प्रभु श्री राम की विनम्रता को समझते हुए कहते हैं, “हे प्रभु, मैं आपको अपनी नाव पर कैसे बैठा सकता हूँ? आपके चरणों के स्पर्श से मेरी नाव पत्थर की शिला से नारी रूप धारण कर लेगी।” इस पर श्री राम उन्हें आश्वस्त करते हैं और केवट उनका पैर धोकर उन्हें गंगा के पार ले जाता है। व्यास जी इस दृश्य को रामलीला का सार बताते हैं – “यही है राम की लीला, जब प्रभु श्री राम गंगा पार करते हैं।”

दशरथ की मृत्यु का दुखद क्षण

इस बीच, अयोध्या में दशरथ जी को जब यह पता चलता है कि राम, लक्ष्मण और सीता वापस नहीं आए हैं, तो वे अत्यंत दुखी होते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है। उस समय भरत और शत्रुघ्न अपने ननिहाल में थे। दूत भेजकर उन्हें अयोध्या बुलाया जाता है। भरत अयोध्या लौटकर अपने पिता का अंतिम संस्कार करते हैं और फिर चित्रकूट में प्रभु श्री राम को वापस लाने के लिए जाते हैं।

लक्ष्मण का क्रोध और भरत का निवेदन

जब भरत चित्रकूट पहुँचते हैं, तो लक्ष्मण क्रोधित होकर राम से कहते हैं, “भैया, वह भरत आ रहा है। आज मैं उसे ज़िंदा नहीं छोड़ूंगा।” राम इस पर गुस्सा होते हैं और लक्ष्मण को समझाते हैं कि इस तरह की बातें न करें। भरत प्रभु राम को प्रणाम करते हैं और अयोध्या लौटने का निवेदन करते हैं। लेकिन राम अयोध्या लौटने से मना कर देते हैं। अंत में, गुरु वशिष्ठ सलाह देते हैं कि राम 14 वर्ष वन में बिताएँ और भरत अयोध्या का राजगद्दी संभालें।

सूर्पनखा का हमला

इसी बीच, सूर्पनखा को यह जानकारी मिलती है कि वन में दो युवक आए हैं और उनके साथ एक कन्या भी है। वह राम से शादी करने का प्रस्ताव देती है, लेकिन राम उसे मना कर देते हैं। तब सूर्पनखा लक्ष्मण के पास जाती है, लेकिन लक्ष्मण भी उसे नकारते हैं। इससे क्रोधित होकर सूर्पनखा सीता पर हमला करने की कोशिश करती है, जिसे लक्ष्मण अपने तेज़ी से नाक और कान काटकर रोक देते हैं।

भक्तों की भीड़ और रामलीला का महत्त्व

इस रामलीला को देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त उपस्थित थे। स्थानीय कलाकारों ने अपनी निपुणता और समर्पण से इस प्रदर्शन को जीवंत बना दिया। रामलीला केवल एक नाटक नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है, जो हर साल श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

भगवान श्री राम की लीला को दर्शाने वाली इस रामलीला में शामिल होना एक विशेष अनुभव है, जो न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। आजमगढ़ की रामलीला ने एक बार फिर से सभी को एकत्रित किया और एकता का अनुभव कराया।

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