Centenary: संघ शताब्दी वर्ष, दीनदयाल बस्ती में पथ संचलन, मुख्य वक्ता बोले- सनातन बचा रहेगा तो भारत बचा रहेगा



देवरिया में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पथ संचलन कार्यक्रम अनुग्रह नारायण शाही | देवरिया 2 मिनट पहले देवरिया में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में दीनदयाल…

Centenary: संघ शताब्दी वर्ष, दीनदयाल बस्ती में पथ संचलन, मुख्य वक्ता बोले- सनातन बचा रहेगा तो भारत बचा रहेगा

देवरिया में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का पथ संचलन कार्यक्रम

अनुग्रह नारायण शाही | देवरिया 2 मिनट पहले

देवरिया में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में दीनदयाल बस्ती में एक भव्य पथ संचलन कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह महत्वपूर्ण आयोजन संत विनोबा डिग्री कॉलेज के ऑडिटोरियम हॉल में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता अनिल त्रिपाठी ने की, जबकि क्षेत्र प्रचारक अनिल मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।

संस्कृति और परंपरा की अहमियत पर जोर

मुख्य वक्ता अनिल ने अपने संबोधन में भारतीय संस्कृति की गहराई और उसकी परंपराओं को जीवंत रखने का महत्व बताया। उन्होंने उल्लेख किया कि हमारे व्रत और त्योहार हिंदू संस्कृति और सनातन परंपरा को जीवित रखते हैं। उन्होंने महर्षि अरविंद घोष के प्रसिद्ध कथन को साझा करते हुए कहा, “यदि संतान बचा रहेगा, तो भारत भी बचा रहेगा, और यदि संतान छिन्न-भिन्न हो गया, तो भारत भी टूट जाएगा।”

अनिल ने बताया कि भारतीय संस्कृति की जड़ों की गहराई को दर्शाते हुए, दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश इंडोनेशिया में भी स्थानीय मुस्लिम समुदाय द्वारा रामलीला का मंचन किया जाता है। यह इस बात का प्रमाण है कि भारतीय संस्कृति का प्रभाव आज भी वैश्विक स्तर पर मौजूद है।

संघ और कम्युनिस्ट पार्टी का तुलनात्मक विश्लेषण

अनिल ने संघ की स्थापना की तारीख (सितंबर 1925) और उसी वर्ष कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया की स्थापना (दिसंबर 1925) का जिक्र करते हुए कहा कि आज समाज के सामने दोनों संगठनों के कार्य और उनके परिणाम स्पष्ट हैं। जहां एक विचारधारा समाज को तोड़ने का कार्य करती है, वहीं संघ समाज को जोड़ने और राष्ट्रीय एकता को सशक्त बनाने का कार्य करता है।

पूर्वोत्तर भारत में संघ का कार्य

उन्होंने यह भी बताया कि पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में संघ के स्वयंसेवक कठिन परिस्थितियों में भी अपना कार्य निरंतर करते हैं। उन्होंने कहा कि प्राचीन सभ्यताएं जैसे यूनान, मिस्र और रोम समाप्त हो गईं, लेकिन भारत आज भी जीवित है क्योंकि हमारे त्योहार, परंपराएं और संस्कृति हमें एक सूत्र में बांधती हैं।

पथ संचलन का आयोजन

कार्यक्रम के समापन पर पथ संचलन निकाला गया, जिसमें नेहरू नगर, शहीद भगत सिंह चौक, गुरुद्वारा, साकेत नगर और चकिया मोड़ से होते हुए पुनः संत विनोबा डिग्री कॉलेज पर समाप्त हुआ। यह पथ संचलन न केवल एक प्रतीकात्मक आयोजन था, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और एकता का भी प्रतीक बना।

उपस्थित व्यक्तियों की सूची

इस अवसर पर विभाग प्रचारक दीपक, जिला प्रचारक आकाश, जिला संघचालक मकसूदन, कार्यक्रम संयोजक अवनीन्द्र, विकास, दीपक, सतीश, राजेन्द्र सहित बड़ी संख्या में स्वयंसेवक, समाजबंधु और मातृशक्ति उपस्थित रहे। इस प्रकार, यह कार्यक्रम न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक एकता को भी दर्शाता है।

इस आयोजन के माध्यम से संघ ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय संस्कृति और परंपरा को बनाए रखना न केवल आवश्यक है, बल्कि यह हमारे भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।

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