उत्तर प्रदेश में किसानों का अनिश्चितकालीन धरना
मथुरा: जनपद में खाद की किल्लत से परेशान किसानों ने सोमवार को बलदेव स्थित जिला सहकारी बैंक पर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रतन सिंह पहलवान के नेतृत्व में किसानों ने शासन-प्रशासन पर खाद की सुचारु व्यवस्था न करने का आरोप लगाया। किसानों का मानना है कि बुवाई का समय निकट है, लेकिन सरकार अब तक खाद उपलब्ध कराने में असफल रही है।
धरने के दौरान रतन सिंह पहलवान ने कहा, “किसानों को खेतों में होना चाहिए, लेकिन वे खाद के लिए लंबी-लंबी लाइनों में खड़े होने को मजबूर हैं।” उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक किसानों को पर्याप्त खाद नहीं मिलती, उनका धरना जारी रहेगा। किसानों ने यह भी कहा कि सरकार की ओर से कोई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके।
किसानों का गुस्सा बढ़ा
प्रदर्शन के दौरान जब कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा तो किसानों का गुस्सा और बढ़ गया। इसके बाद उन्होंने अपने धरने को अनिश्चितकालीन घोषित कर दिया। को-ऑपरेटिव सचिव दमन लाल और जिला सहकारी बैंक के मैनेजर राजेश्वर कुमार ने किसानों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन किसानों ने सक्षम अधिकारियों से सीधे वार्ता करने की मांग रखी।
किसानों ने अपनी समस्याओं पर चर्चा करते हुए कहा कि अगर सरकार उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लेती है, तो वे और भी कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर हो सकते हैं। उनके अनुसार, यह उनकी जीविका का सवाल है और सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।
खाद वितरण की मांगें
धरने में जिला अध्यक्ष संजय पाराशर और प्रदेश महासचिव सतीश चंद्र ने खाद वितरण की जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि सभी सहकारी समितियों, जैसे पटलौनी, बरौली, मढ़ौरा, महावन आदि में खाद वितरण की स्थिति की समीक्षा की जानी चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने प्रत्येक समिति पर तत्काल कम से कम दो ट्रक खाद भेजने की भी मांग की।
धरने में सैकड़ों किसान शामिल हुए, जिनमें बिल्ला सिंह, कुंत भोज, राधेश्याम सिकरवार, हरपाल सिंह परिहार, हीरा सिंह, प्रकाश तोमर, सोनवीर सिंह तोमर, राजवीर सिंह, सत्यवीर सिंह, डॉ. सत्यवीर सिंह जैसे प्रमुख लोग शामिल थे। कार्यक्रम का संचालन जिला अध्यक्ष संजय पाराशर ने किया।
सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार
अब यह देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या कार्रवाई करती है। क्या वे किसानों की मांगों को गंभीरता से लेंगे और खाद की आपूर्ति में सुधार करेंगे? किसानों ने स्पष्ट किया है कि वे तब तक अपने धरने को समाप्त नहीं करेंगे जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता।
किसानों की इस स्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कृषि और खाद की आपूर्ति से संबंधित मुद्दे केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक भी हैं। सरकार को चाहिए कि वह किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता दे और उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान करे, ताकि वे अपनी फसलें समय पर बो सकें और अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकें।
किसान संगठनों का यह धरना न केवल खाद की कमी के खिलाफ है, बल्कि यह एक सशक्त आवाज है जो किसानों के अधिकारों और उनकी जरूरतों के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य कर रही है।
किसानों की एकता का संदेश
इस धरने ने यह संदेश भी दिया है कि जब भी किसान एकजुट होते हैं, वे अपनी समस्याओं को लेकर सरकार के सामने मजबूती से खड़े हो सकते हैं। यह धरना केवल खाद की समस्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह किसानों के अधिकारों, उनकी आवाज और उनकी आर्थिक स्थिति की लड़ाई भी है।
किसान संगठनों की एकजुटता और संघर्ष का यह उदाहरण अन्य राज्यों के किसानों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन सकता है। जब देश के किसान अपनी मांगों के लिए एकजुट होते हैं, तो उनकी आवाज को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
इसलिए, अब यह आवश्यक है कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले और किसानों की समस्याओं का समाधान करे, ताकि उनके संघर्ष का फल सकारात्मक परिणाम दे सके।