मध्य प्रदेश में कफ सिरप से हुई मौतों के बाद सरकार ने उठाया बड़ा कदम
हाल ही में छिंदवाड़ा और बैतूल में कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मृत्यु के मामलों ने मध्य प्रदेश सरकार को गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर दिया है। इन घटनाओं के मद्देनजर, राज्य सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव करेंगे। यह समिति राज्य में नशीली दवाओं के दुरुपयोग, अवैध डाक व्यापार और मादक फसलों की खेती से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगी।
सरकार के आदेश के अनुसार, यह समिति प्रभावी तरीके से ड्रग कानूनों के कार्यान्वयन और नशीली दवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम के लिए प्रदेश के विभिन्न विभागों के बीच समन्वय स्थापित करेगी। राज्य सरकार का मानना है कि इस समिति के गठन से ड्रग्स नियंत्रण व्यवस्था में मजबूती आएगी और हाल के दिनों में बढ़ी हुई कफ सिरप और अन्य नशीली दवाओं से जुड़ी घटनाओं पर प्रभावी निगरानी रखी जा सकेगी।
समिति के प्रमुख कार्य
यह समिति निम्नलिखित प्रमुख कार्यों पर ध्यान केंद्रित करेगी:
- प्रदेश में नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों की स्थापना को प्रोत्साहन देना।
- नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए ठोस रणनीति तैयार करना।
- मादक फसलों की अवैध खेती से प्रभावित इलाकों में वैकल्पिक विकास कार्यक्रमों की योजना बनाना।
- भारत सरकार के Narco Coordination Centre (NCORD) से जुड़ी नीतिगत और क्षेत्रीय समस्याओं का समाधान करना।
समिति में शामिल प्रमुख अधिकारी
समिति में निम्नलिखित प्रमुख अधिकारी शामिल होंगे:
- अपर मुख्य सचिव
- प्रमुख सचिव (गृह, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण, वन, किसान कल्याण एवं कृषि विकास, वाणिज्यिक कर, शिक्षा विभाग)
- पुलिस महानिदेशक, पुलिस मुख्यालय, भोपाल
- अतिरिक्त महानिदेशक (DRI), इंदौर
- डिप्टी नारकोटिक्स कमिश्नर (CBN), ग्वालियर
- उप पुलिस महानिरीक्षक, रेल, भोपाल
- पोस्ट मास्टर जनरल
- स्टेट ड्रग कंट्रोलर
- खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) के वरिष्ठ अधिकारी
समिति की विस्तारित संरचना
इसके अतिरिक्त, समिति में निदेशक एसएफएसएल, क्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक सीमा सुरक्षा कंपनी, गृह मंत्रालय (खुफिया ब्यूरो) के प्रतिनिधि, क्षेत्रीय प्रमुख प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। इसके अलावा, राज्य एड्स नियंत्रण समिति (एसएसीएस) के प्रतिनिधि और SAFEM (FOP) अधिनियम के प्रशासक भी समिति के सदस्य होंगे।
एनसीओआरडी समिति की भूमिका
एनसीओआरडी समिति द्वारा निम्नलिखित कार्य किए जाएंगे:
- राज्य में मादक पदार्थों की तस्करी की निगरानी करना, जिसमें समुद्री मार्गों के माध्यम से तस्करी शामिल है।
- ड्रग कानून प्रवर्तन और नशीली दवाओं के दुरुपयोग से संबंधित मामलों पर विभिन्न विभागों के बीच समन्वय करना।
- राज्य स्तर पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देना।
- राज्य में क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण के मुद्दों को संबोधित करना।
- मादक फसलों की अवैध खेती से प्रभावित क्षेत्रों में वैकल्पिक विकास कार्यक्रमों की योजना बनाना।
- स्वापक नियंत्रण योजना के लिए स्वीकृत धन का उपयोग और निगरानी करना।
- नशीली दवाओं के दुरुपयोग के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कोष के तहत स्वीकृत धन की निगरानी करना।
- राज्य में फोरेंसिक क्षमता का गैप विश्लेषण और उसे भरने के लिए कदम उठाना।
- कोई अन्य मुद्दा जो समिति द्वारा उचित समझा जाए, उसके लिए काम करना।
समिति का गठन न केवल नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक ठोस कदम है, बल्कि यह समुदाय में जागरूकता बढ़ाने और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल है। इस प्रकार की कार्रवाई से राज्य में नशीली दवाओं के खिलाफ एक सकारात्मक वातावरण बनेगा, जिससे भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सकेगा।