राजस्थान में बिजली करंट से किशोरी की मौत, ग्रामीणों का प्रदर्शन
डीग के परमदरा गांव में एक दुखद घटना में 15 वर्षीय किशोरी विशाखा गुर्जर की बिजली की 11 केवी लाइन की चपेट में आने से मौत हो गई। यह हादसा गुरुवार शाम को उस समय हुआ जब वह अपने घर की छत पर कपड़े सुखा रही थी। घटना के बाद गुस्साए परिजनों और ग्रामीणों ने शव को सड़क पर रखकर धरना दिया और बिजली विभाग के खिलाफ नारेबाजी की।
हादसे का विवरण
विशाखा (पुत्री जगमोहन गुर्जर) नवोदय विद्यालय की छात्रा थी, जो कक्षा 7 में पढ़ाई कर रही थी। हादसे के समय वह अपने घर की छत पर कपड़े सुखाने गई थी, जहां वह 11 केवी बिजली लाइन की चपेट में आ गई। इससे वह बुरी तरह झुलस गई और घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई। इस दर्दनाक घटना ने पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ा दी है।
ग्रामीणों का आक्रोश
इस घटना के बाद ग्रामीणों और परिजनों में आक्रोश फैल गया। उन्होंने शव को सड़क पर रखकर जाम लगा दिया और बिजली विभाग के अधिकारियों को मौके पर बुलाने की मांग की। उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे में पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता और संबंधित लाइनमैन के खिलाफ कार्रवाई की मांग शामिल थी। जाम के कारण सड़क पर लगभग 2 किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम लग गया।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
घटना की जानकारी मिलने पर डिप्टी एसपी मनीष गुर्जर, तहसीलदार जुगिता मीणा और खोह थाना अधिकारी विश्वभर मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने ग्रामीणों से शांति बनाए रखने और जाम खोलने की अपील की, लेकिन ग्रामीण तब तक नहीं माने जब तक बिजली विभाग के अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे। लगभग 5 घंटों की मशक्कत के बाद रात करीब 9:30 बजे जाम को खुलवाया गया।
पोस्टमॉर्टम और परिवार की स्थिति
जिला कलेक्टर उत्सव कौशल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत अधिकारियों को निर्देश दिए। देर रात डीग अस्पताल में विशाखा का पोस्टमॉर्टम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया गया। विशाखा सात बहनों में चौथे नंबर की थी और वह कठूमर के गांव तुषारी में अपनी मौसी के पास रहकर पढ़ाई कर रही थी। उसके पिता जगमोहन गुर्जर खेती-बाड़ी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं।
ग्रामीणों की मांगें
ग्रामीणों ने डीग तहसीलदार जुगिता मीणा, डीएसपी मनीष गुर्जर, भाजपा नेता लखपत गुर्जर और बिजली विभाग के एईएन हिम्मत सिंह गुर्जर के मौके पर पहुंचने पर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उन्होंने बिजली विभाग के दोषी अधिकारियों को निलंबित करने और गांव के मकानों के ऊपर से गुजर रही 11 केवी बिजली लाइन को तत्काल हटाने की मांग की।
सुरक्षा इंतजामों की आवश्यकता
यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि यह एक बड़े मुद्दे की ओर इंगित करती है, जो कि गांवों में बिजली सुरक्षा के इंतजामों की कमी है। ग्रामीणों का आरोप है कि बिजली विभाग ने सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया है, जिसके कारण यह हादसा हुआ। ऐसे में यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में इस तरह की घटनाएं फिर से हो सकती हैं।
निष्कर्ष
इस दुखद घटना ने न केवल विशाखा के परिवार को बर्बाद किया है, बल्कि पूरे गांव में एक गहरी चिंता की लहर पैदा कर दी है। स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वह इस मामले को गंभीरता से ले और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। ग्रामीणों की मांगें सुनने और उनके अधिकारों की सुरक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है।