प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 30 दिनों से कूटनीतिक गतिविधियों में संलग्न हैं। पाकिस्तान के खिलाफ 7–10 मई तक चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक नया दृष्टिकोण स्थापित किया है। इस संदर्भ में, भारत ने दुनिया भर में सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे, जो राजनयिक उद्देश्यों को पूरा करने में सफल रहे।
जी–7 सम्मेलन में भागीदारी
अगले कदम के रूप में, पीएम मोदी ने 16–17 जून तक कनाडा में जी–7 की बैठक में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने साइप्रस और क्रोएशिया का भी दौरा किया। हालांकि, शिखर सम्मेलन इज़रायल-ईरान युद्ध के कारण सुचारू रूप से नहीं चल सका। फिर भी, पीएम मोदी ने 17 जून को शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र को संबोधित किया और आतंकवाद पर वैश्विक ध्यान केंद्रित करने के लिए वैश्विक नेतृत्व से अपील की।
ग्लोबल साउथ की चिंताएँ
पीएम मोदी ने ग्लोबल साउथ के देशों में अस्थिरता और संघर्षों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने ऊर्जा सुरक्षा, प्रौद्योगिकी, एआई और जलवायु परिवर्तन के खतरों के विषय में भारत की जिम्मेदारी को रेखांकित किया।
भारत की वैश्विक पहलों
भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, वैश्विक जैव ईंधन और आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन जैसी कई वैश्विक पहलों का नेतृत्व किया है। पीएम मोदी ने जी–7 देशों से अधिक तकनीकी सहयोग का आग्रह किया।
ग्लोबल साउथ की परिभाषा
ग्लोबल साउथ एक भौगोलिक इकाई नहीं है, बल्कि मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के देशों का समूह है, जो समान इतिहास और विकास की चुनौतियों का सामना कर रहा है। भारत, जो जीडीपी के अनुसार चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, इस समूह का स्वाभाविक नेता बन सकता है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भागीदारी
पीएम मोदी ने 6–7 जुलाई को ब्राजील में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया और 13 दिवसीय विदेशी दौरे के दौरान घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना और नामीबिया का दौरा किया। इस दौरान, उन्होंने ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में अपनी भूमिका निभाई।
भारत की सैन्य शक्ति
भारत पहले से ही संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत शांति बल भेजता है और चिकित्सा सहायता में भी सक्रिय है। हालांकि, भारत को ग्लोबल साउथ के देशों को चीन के कर्ज के जाल से बाहर निकालने के लिए अधिक प्रयास करने होंगे।
संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के अवसर
ट्रम्प 2.0 प्रशासन के तहत अमेरिका के अंदरूनी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने से उसकी वैश्विक पुलिसिंग की भूमिका कमजोर हो सकती है, जिससे भारत के लिए वैश्विक शासन सुधारों को आगे बढ़ाने का अवसर उत्पन्न होता है।
ग्लोबल साउथ यूनियन की संभावना
ग्लोबल साउथ यूनियन बनाने की योजना है, जिसमें एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के 50 सदस्य देश शामिल हो सकते हैं। यह समूह गुटनिरपेक्षता 2.0 के रूप में उभर सकता है।
सर्वोच्च सम्मान और भविष्य की चुनौतियाँ
प्रधानमंत्री मोदी को 27 देशों से सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्राप्त हुआ है, जो भारतीय कूटनीति की सफलता को दर्शाता है। भारत को ग्लोबल साउथ का नेतृत्व करने के लिए अगले 3–4 वर्षों में सक्रिय रहना होगा।
जय भारत!