“Opposition: त्रिस्तरीय पंचायती व्यवस्था की मजबूती के लिए मुखिया का विरोध, पंचायत भवनों की पुरानी दर पर उठे सवाल”

सारांश

बिहार में मुखिया संघ का विरोध प्रदर्शन, त्रिस्तरीय पंचायती व्यवस्था को मज़बूत करने की मांग बिहार सरकार द्वारा त्रिस्तरीय पंचायती व्यवस्था को मज़बूत करने के लिए संघर्ष कर रहे मुखिया संघ के सदस्यों ने अब खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया है। मंगलवार को पटना में मुखिया संघ के प्रदेश अध्यक्ष मिथिलेश कुमार राय के […]

kapil6294
Sep 30, 2025, 6:14 PM IST

बिहार में मुखिया संघ का विरोध प्रदर्शन, त्रिस्तरीय पंचायती व्यवस्था को मज़बूत करने की मांग

बिहार सरकार द्वारा त्रिस्तरीय पंचायती व्यवस्था को मज़बूत करने के लिए संघर्ष कर रहे मुखिया संघ के सदस्यों ने अब खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया है। मंगलवार को पटना में मुखिया संघ के प्रदेश अध्यक्ष मिथिलेश कुमार राय के नेतृत्व में आयोजित एक विरोध प्रदर्शन में मुखियाओं ने अपने अधिकारों की मांग की। इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य पंचायतों में सामुदायिक भवन, विवाह भवन और पंचायत भवन के निर्माण में पुरानी दरों का उपयोग करना था, जिसे मुखियाओं ने अस्वीकार कर दिया है।

मिथिलेश कुमार राय ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन “डेरा डालो, घेरा डालो” कार्यक्रम के तहत आयोजित किया गया था। हालांकि, इसे मुख्यमंत्री के शिलान्यास कार्यक्रम और दुर्गा पूजा को ध्यान में रखते हुए स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री कल पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर शिलान्यास करने जा रहे हैं, और इस पर भी मुखिया संघ की नज़र है।

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मुख्यमंत्री की कार्रवाई पर नजर, विरोध की चेतावनी

राय ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री उनके द्वारा उठाई गई मांगों के पक्ष में कदम उठाते हैं, तो यह ठीक रहेगा। लेकिन यदि उनकी मांगों की अनदेखी की जाती है, तो आने वाले दिनों में बिहार सरकार के सभी मंत्रियों को मुखिया संघ के विरोध का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में वे अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर “हल्ला बोल” कार्यक्रम आयोजित करेंगे, जिससे उनकी आवाज़ को और अधिक मजबूती मिलेगी।

विभागीय अधिकारियों पर गंभीर आरोप

मुखिया संघ के अध्यक्ष मिथिलेश राय ने विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वे साजिश रच रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विवाह भवन के निर्माण में भी इसी प्रकार की धांधली की जा रही है। पंचायतों के विकास के लिए दी जाने वाली छठी और 15वीं वित्त की राशि को पुराने एसओआर (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) के तहत जारी किया जा रहा है, जबकि नई दरें लागू की जानी चाहिए थीं।

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उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा निर्धारित लक्ष्य को भी घटा दिया गया है, जिससे पंचायत विकास प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा, मनरेगा के तहत 10 लाख रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति और भुगतान अधिकार भी अभी तक नहीं दिया गया है, जिससे पंचायतों के विकास कार्य ठप हो गए हैं।

मुखिया संघ की मांगें और समाधान की दिशा में प्रयास

मुखिया संघ की ओर से उठाई गई मांगें केवल वित्तीय सहायता तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पंचायतों के विकास और मुखियाओं की स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। मुखिया संघ का कहना है कि यदि सरकार उनकी मांगों का समाधान नहीं करती है, तो यह न केवल पंचायतों के विकास में बाधा बनेगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर लोगों की मूलभूत सुविधाओं पर भी प्रभाव डालेगा।

  • पंचायत भवनों का निर्माण नई दरों पर किया जाए।
  • मनरेगा के तहत प्रशासनिक स्वीकृति और भुगतान में तेजी लाई जाए।
  • विभागीय अधिकारियों की साजिशों की जांच की जाए।
  • मुखिया संघ के सदस्यों के साथ संवाद स्थापित किया जाए।

मुखिया संघ के इस विरोध प्रदर्शन ने बिहार की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है। यदि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेती है, तो यह आंदोलन और भी तेज़ हो सकता है। मुखिया संघ का कहना है कि वे अपनी मांगों के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं, और वे यह सुनिश्चित करेंगे कि उनकी आवाज़ सुनी जाए।

इस प्रकार, आगामी दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि बिहार सरकार मुखिया संघ की मांगों का कैसे समाधान करती है और क्या सरकार के कदम इस आंदोलन को शांत करने में सफल होंगे या नहीं।

बिहार समाचार हिंदी में


कपिल शर्मा 'जागरण न्यू मीडिया' (Jagran New Media) और अमर उजाला में बतौर पत्रकार के पद पर कार्यरत कर चुके है अब ये खबर २४ लाइव के साथ पारी शुरू करने से पहले रिपब्लिक भारत... Read More

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