Election Update: कुटुंबा से ललन राम को प्रत्याशी बनाया, त्रिविक्रम को मिला टिकट



बिहार की राजनीति में हलचल: कुटुंबा विधानसभा सीट पर नए उम्मीदवारों की घोषणा बिहार के औरंगाबाद जिले की कुटुंबा विधानसभा सीट पर राजनीतिक गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। पूर्व…

Election Update: कुटुंबा से ललन राम को प्रत्याशी बनाया, त्रिविक्रम को मिला टिकट

बिहार की राजनीति में हलचल: कुटुंबा विधानसभा सीट पर नए उम्मीदवारों की घोषणा

बिहार के औरंगाबाद जिले की कुटुंबा विधानसभा सीट पर राजनीतिक गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। पूर्व विधायक ललन राम ने मंगलवार को हम (हिंदुस्तान हम पार्टी) में शामिल होकर अपनी राजनीतिक यात्रा को एक नया मोड़ दिया। कुछ ही समय बाद, पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।

दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी अपनी रणनीति को स्पष्ट करते हुए कुटुंबा विधानसभा सीट से त्रिविक्रम नारायण सिंह को उम्मीदवार के रूप में घोषित किया है। त्रिविक्रम, जो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह के बेटे हैं, वर्तमान में पार्टी के प्रदेश मंत्री के पद पर कार्यरत हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि उनकी युवा पीढ़ी के बीच लोकप्रियता और प्रशासनिक अनुभव उन्हें इस सीट के लिए एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है।

ललन राम का राजनीतिक सफर

ललन राम का राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प रहा है। वे 2010 में जदयू के टिकट पर विधायक बने थे, लेकिन 2020 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़कर तीसरा स्थान हासिल किया। इसके बाद वे पुनः जदयू में लौट आए और उन्हें अनुसूचित आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस बार भी ललन राम जदयू से टिकट के दावेदार थे, लेकिन राजनीतिक कारणों से यह सीट हम पार्टी के खाते में चली गई।

ललन राम ने हम पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद कहा कि भास्कर का सर्वेक्षण उनके लिए बहुत सटीक रहा। उन्हें इस बात का गर्व है कि वे पार्टी के उम्मीदवार बनें, और उनके समर्थकों में इस निर्णय के बाद उत्साह देखने को मिला।

भाजपा का चुनावी दृष्टिकोण

भाजपा ने त्रिविक्रम नारायण सिंह को उम्मीदवार बनाकर एक महत्वपूर्ण रणनीति अपनाई है। उनके अनुसार, वे मतदाताओं की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए पूरी मेहनत करेंगे। त्रिविक्रम का कहना है कि वे विकास, शिक्षा और युवाओं के रोजगार को प्राथमिकता देंगे। इसके साथ ही, वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में निष्पक्ष भागीदारी सुनिश्चित करने का भी वादा कर रहे हैं।

भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि त्रिविक्रम की प्रशासनिक अनुभव और युवा वर्ग के बीच उनकी स्वीकार्यता उन्हें इस चुनाव में एक महत्वपूर्ण शक्ति बनाती है। हालांकि, पहले वे नबीनगर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन यह सीट जदयू के खाते में चली गई। इसके बाद उन्हें कुटुंबा विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया।

राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव

बिहार की राजनीति में ये बदलाव नई दिशा में संकेत कर रहे हैं। ललन राम और त्रिविक्रम नारायण सिंह दोनों ही अपनी-अपनी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण उम्मीदवार साबित हो सकते हैं। जहां ललन राम का अनुभव और उनके समर्थकों का उत्साह उनकी ताकत है, वहीं त्रिविक्रम की युवा छवि और प्रशासनिक अनुभव भाजपा के लिए एक मजबूत आधार बना सकता है।

इस चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सा उम्मीदवार अपनी पार्टी के लिए जीत की ओर अग्रसर होता है और कुटुंबा विधानसभा सीट पर अपनी राजनीतिक उपस्थिति को मजबूत कर पाता है। राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि यह चुनाव न केवल उम्मीदवारों के लिए बल्कि बिहार की राजनीतिक दिशा के लिए भी महत्वपूर्ण होगा।

इस प्रकार, बिहार की राजनीति में कुटुंबा विधानसभा सीट पर चुनावी गतिविधियों का बढ़ना दर्शाता है कि यहां की राजनीतिक स्थिति में बदलाव की संभावना है। अब यह देखना होगा कि चुनावी मौसम में कौन सी पार्टी और कौन सा उम्मीदवार जनता का विश्वास जीतने में सफल होता है।

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