उत्तर प्रदेश में शिक्षकों का ऑनलाइन हाजिरी के खिलाफ प्रदर्शन
कानपुर देहात: उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में शिक्षक संघ ने छात्र-छात्राओं की ऑनलाइन हाजिरी के खिलाफ एक ज्ञापन सौंपा है। इस ज्ञापन में संघ ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर शिक्षकों पर अनुचित दबाव बनाने का आरोप लगाया है और इस व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने की मांग की है।
ज्ञापन को जिलाधिकारी कार्यालय में जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए सौंपा गया। इस प्रदर्शन का नेतृत्व उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष एल.बी. सिंह ने किया, जिसमें सैकड़ों शिक्षकों ने भाग लिया। शिक्षकों का कहना है कि इस आदेश के चलते उनके कार्य की गुणवत्ता और छात्रों की उपस्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याएं
शिक्षकों ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे सुबह की समय पर विद्यालय नहीं पहुंच पाते हैं। सुबह 9 बजे तक छात्रों की संख्या बहुत कम होती है, और आमतौर पर भोजन के समय यानी लगभग 12 बजे उनकी उपस्थिति बढ़ जाती है। इस कारण सुबह 9 बजे तक सटीक उपस्थिति दर्ज करना असंभव है, क्योंकि बच्चे 9 बजे से लेकर 10:30 बजे तक विद्यालय आते रहते हैं।
इसके अलावा, शिक्षकों ने यह भी बताया कि ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क कनेक्टिविटी अक्सर खराब रहती है, जिससे ऑनलाइन हाजिरी दर्ज करने में गंभीर समस्याएं आती हैं। सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे गरीब परिवारों से आते हैं, जिनके लिए समय पर विद्यालय पहुंचना हमेशा संभव नहीं होता। इस स्थिति को देखते हुए शिक्षकों ने मांग की है कि इस व्यवस्था को तत्काल समाप्त किया जाए।
शिक्षक संघ का विरोध प्रदर्शन
ज्ञापन सौंपने के दौरान शिक्षक संघ के कई प्रमुख सदस्य भी उपस्थित थे, जिनमें देवेंद्र सिंह सचान, सुशील सचान, बलराम, राकेश तिवारी, रामनरेश कटियार, अश्वनी कुमार और योगेश मिश्रा शामिल थे। इन शिक्षकों ने एक स्वर में कहा कि ऑनलाइन हाजिरी की यह व्यवस्था छात्रों की वास्तविक उपस्थिति को प्रभावित कर रही है और यह उनकी पढ़ाई में बाधा उत्पन्न कर रही है।
शिक्षक संघ ने इस मामले में शिक्षा मंत्री और अन्य संबंधित अधिकारियों से भी अपील की है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और शिक्षकों के हितों की रक्षा करें। संघ का मानना है कि शिक्षकों के कार्य को समझना और उनके सुझावों पर ध्यान देना आवश्यक है, ताकि छात्रों की शिक्षा प्रभावित न हो।
शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता
इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। शिक्षकों का मानना है कि जब तक शिक्षा विभाग उनके समस्याओं का समाधान नहीं करेगा, तब तक शिक्षकों और छात्रों के बीच में दूरी बनी रहेगी। इसलिए, शिक्षा विभाग को चाहिए कि वह इस प्रकार की व्यवस्थाओं पर पुनर्विचार करे और एक ऐसी नीति बनाए जो शिक्षकों और छात्रों दोनों के हित में हो।
शिक्षक संघ के इस प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया है कि जब बात शिक्षा की हो, तो सभी को मिलकर काम करना चाहिए। शिक्षकों का यह विरोध न केवल उनकी समस्याओं का समाधान खोजने के लिए है, बल्कि यह एक जागरूकता का प्रतीक भी है जिसमें वे अपनी आवाज को उठाते हैं और अपनी अधिकारों की रक्षा करते हैं।
इस प्रकार, कानपुर देहात में शिक्षकों का यह कदम एक महत्वपूर्ण घटना साबित हो सकता है, जो भविष्य में शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने में सहायक हो सकता है।























