उत्तर प्रदेश में राह-वीर योजना: सड़क हादसों में घायलों के लिए एक नई पहल
उवैस चौधरी | इटावा – भारत सरकार ने सड़क हादसों में घायल व्यक्तियों की जान बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब यदि कोई व्यक्ति सड़क दुर्घटना में घायल को तात्कालिक सहायता देकर अस्पताल या ट्रॉमा सेंटर तक पहुंचाता है, तो उसे सरकार की राह-वीर योजना के तहत 25,000 रुपये का पुरस्कार मिलेगा। इस योजना का उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु दर को घटाना और घायलों को समय पर चिकित्सा सहायता प्रदान करना है।
परिवहन विभाग के अनुसार, हर साल देश में हजारों लोग सड़क दुर्घटनाओं के शिकार होते हैं, जिनमें से कई की जान इसलिए चली जाती है क्योंकि उन्हें समय पर चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पातीं। ऐसी स्थिति में यह योजना मानवता को बढ़ावा देने और लोगों को घायलों की सहायता के लिए प्रेरित करने का एक बड़ा प्रयास है।
राह-वीर योजना का उद्देश्य और महत्व
इटावा के उप संभागीय परिवहन अधिकारी प्रदीप देशमणि ने बताया कि पहले इस योजना के तहत केवल 5,000 रुपये का पुरस्कार दिया जाता था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि सड़क हादसों में कमी लाई जा सके।
उन्होंने जानकारी दी कि गोल्डन ऑवर यानी दुर्घटना के पहले एक घंटे का समय घायल व्यक्ति की जान बचाने के लिए सबसे अहम होता है। यदि इस अवधि में घायल को प्राथमिक उपचार या अस्पताल की सुविधा मिल जाती है, तो उसकी जान बचने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
मदद करने वालों के लिए सुरक्षा और प्रावधान
देशमणि ने आगे बताया कि भारत सरकार की यात्री सुरक्षित योजना के तहत यह भी प्रावधान है कि यदि मदद करने वाले व्यक्ति द्वारा अस्पताल पहुंचाए गए घायल की इलाज के दौरान मृत्यु हो जाती है, तब भी उस मददगार को राह-वीर योजना के तहत पुरस्कार मिलेगा। अस्पताल या ट्रॉमा सेंटर को यह प्रमाणित करना होगा कि मृत्यु सड़क दुर्घटना के कारण हुई है।
शासन की मंशा है कि इस योजना को जन-जन तक पहुंचाया जाए ताकि अधिक से अधिक लोग इससे जुड़ें और जरूरतमंदों की सहायता के लिए आगे आएं। इसके साथ ही शासन का लक्ष्य है कि इस योजना के माध्यम से सड़क हादसों की संख्या में कम से कम 50 प्रतिशत की कमी लाई जा सके।
सड़क हादसों में मदद करने की प्रेरणा
देशमणि ने यह भी स्पष्ट किया कि कई बार लोग हादसों के दौरान मदद नहीं करते क्योंकि उन्हें डर होता है कि पुलिस पूछताछ करेगी या कानूनी झंझट में फंसना पड़ेगा। लेकिन शासन ने अब यह स्पष्ट किया है कि सड़क हादसे में मदद करने वाले व्यक्ति से न तो पुलिस पूछताछ करेगी और न ही किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई होगी। इस प्रावधान से लोग निडर होकर मानवता का परिचय दे सकेंगे।
इस योजना के तहत जिलाधिकारी इस समिति के अध्यक्ष होंगे और इसके क्रियान्वयन में एआरटीओ विभाग, पुलिस विभाग तथा चिकित्सा विभाग की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। इस प्रकार, यह योजना न केवल घायलों की मदद के लिए प्रेरणा दे रही है, बल्कि समाज में मानवता के प्रति सजगता भी बढ़ा रही है।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि राह-वीर योजना के माध्यम से सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल की है जिससे सड़क हादसों में जान बचाने में मदद मिलेगी और समाज में सहानुभूति और सहयोग की भावना को बढ़ावा मिलेगा।























