संभल में आयोजित हुआ श्रीकल्कि महोत्सव की घोषणा का कार्यक्रम
सनी गुप्ता, संभल – संभल के थाना ऐंचौड़ा कम्बोह स्थित श्रीकल्कि धाम में शनिवार को मासिक सत्संग का आयोजन किया गया। इस अवसर पर श्रीकल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम् ने प्रवचन दिया और आगामी श्रीकल्कि महोत्सव की घोषणा की। यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर था, जिसमें धार्मिक भावना और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला।
आचार्य प्रमोद कृष्णम् ने अपने प्रवचन में ‘क्षमा’ को सबसे बड़ा गुण बताया। उन्होंने कहा कि “क्षमा वीरों का आभूषण है” और इसे धारण करने वाला व्यक्ति व्यर्थ के बोझ से मुक्त होकर स्वतंत्र चिंतन से समृद्ध होता है। उनका यह संदेश सुनने के लिए उपस्थित श्रद्धालुओं ने ध्यानपूर्वक सुना। आचार्य ने यह भी उल्लेख किया कि श्रीकल्कि धाम अपने निर्माण से पूर्व ही सनातन धर्मावलंबियों की आस्था का केंद्र बन गया है, जिसका प्रमाण देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु हैं।
श्रीकल्कि महोत्सव का आयोजन
आचार्य कृष्णम् ने बताया कि श्रीकल्कि धाम में 01 से 07 दिसंबर तक श्रीकल्कि महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। इस महोत्सव में जगद्गुरु रामानंदाचार्य पूज्य स्वामी रामभद्राचार्य द्वारा श्रीकल्कि कथा का अमृत रस बरसाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह पहली बार होगा जब कथानुरागी श्रीराम कथा और श्रीमद्भागवत कथा के अतिरिक्त श्रीकल्कि कथा का श्रवण कर सकेंगे, जो अपने आप में एक अद्वितीय आयोजन होगा।
इस दौरान आचार्य ने कहा कि “श्रीकल्कि महोत्सव” केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि इस प्रकार के आयोजनों से भक्तों में एकता और भाईचारे का भाव विकसित होता है, जो समाज को एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाने में सहायक होता है।
देवदत्त नगर का प्रस्ताव
प्रवचन के दौरान यह भी बताया गया कि श्रीकल्कि धाम की महिमा के कारण भारतवर्ष के संतों ने ग्राम ऐंचौड़ा कम्बोह का नाम परिवर्तित कर ‘देवदत्त नगर’ करने का प्रस्ताव दिया है। यह प्रस्ताव इस क्षेत्र की धार्मिक महत्ता को और बढ़ाएगा और श्रद्धालुओं के आगमन को आकर्षित करेगा।
प्रवचन के समापन के बाद, सभी श्रीकल्कि भक्तों ने हवन में आहुति देकर भगवान के शीघ्र प्रकाट्य की प्रार्थना की। इसके बाद भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें उपस्थित सभी भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। इस भंडारे में श्रद्धालुओं ने एक-दूसरे के साथ मिलकर धार्मिक परंपरा का निर्वहन किया।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे, जिनमें सुधीर चाहल, लवकुश शर्मा, खिलेंद्र सिंह, बिजेंद्र त्यागी, ललिता त्यागी, सतपाल सिंह और आचार्य दुष्यंत शास्त्री शामिल थे। इन सभी ने इस पवित्र आयोजन में अपनी उपस्थिति से इसे और भी महत्वपूर्ण बनाया।
इस प्रकार, श्रीकल्कि धाम में आयोजित यह कार्यक्रम न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण साबित हुआ। श्रद्धालुओं ने इस आयोजन के माध्यम से अपनी आस्था को और मजबूत किया और एकजुटता का परिचय दिया। इस महोत्सव की तैयारियों और इसके महत्व को लेकर सभी में उत्साह का माहौल देखने को मिला।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि श्रीकल्कि महोत्सव का आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे को भी बढ़ावा देता है। आने वाले समय में इस प्रकार के आयोजन और भी अधिक सफल होंगे और जनमानस में धार्मिक चेतना का संचार करेंगे।























