“Remand: गाजियाबाद जेल के 2 बड़े मुल्जिमों को भगाने के प्रयास में सिपाहियों ने कहा- हमारे खातों की जांच कराओ, मोबाइल का भी प्रयोग नहीं किया”



गाजियाबाद जेल में सिपाहियों की साजिश का पर्दाफाश गाजियाबाद में जिला जेल के दो सिपाहियों, राहुल और सचिन, को जेल से बंदियों को भगाने के प्रयास के मामले में गिरफ्तार…

“Remand: गाजियाबाद जेल के 2 बड़े मुल्जिमों को भगाने के प्रयास में सिपाहियों ने कहा- हमारे खातों की जांच कराओ, मोबाइल का भी प्रयोग नहीं किया”

गाजियाबाद जेल में सिपाहियों की साजिश का पर्दाफाश

गाजियाबाद में जिला जेल के दो सिपाहियों, राहुल और सचिन, को जेल से बंदियों को भगाने के प्रयास के मामले में गिरफ्तार किया गया है। इनकी शातिर योजना का खुलासा तब हुआ जब उन्हें 11 अक्टूबर को कोर्ट में एक दिन के रिमांड पर लिया गया। पुलिस अधिकारियों ने इस मामले में गहन पूछताछ की, जिसमें कई महत्वपूर्ण साक्ष्य सामने आए हैं।

सीसीटीवी फुटेज से मिली महत्वपूर्ण जानकारी

गाजियाबाद के कविनगर थाने में पुलिस लाइन के आरआई-2 चंद्रभान सिंह ने सिपाही सचिन कुमार और राहुल कुमार के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इस मामले में जेल के बंदी बिजेंद्र हुड्‌डा का नाम भी जोड़ा गया है। बिजेंद्र को एसटीएफ मेरठ ने हापुड़ में उसके गैंग के साथ पकड़ा था। यह गैंग फर्जी डिग्रियां देने का कार्य करता था, और अब पुलिस इस मामले में जेल में बंद बिजेंद्र और वंश के बीच के कनेक्शन की जांच कर रही है।

सीसीटीवी फुटेज और अन्य साक्ष्य इस मामले में पुलिस के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं।

  • जेल में सीसीटीवी फुटेज
  • जेल के बाहर प्राइवेट गाड़ी के साक्ष्य
  • पुलिस लाइन से प्राइवेट कार से निकलकर डासना जेल पहुंचने का सबूत

जेल से मिलने वालों की जांच भी जारी

4 अक्टूबर को डासना जेल से 6 बंदियों को पेशी के लिए नोएडा ले जाना था। इस दौरान सिपाहियों ने एक शातिर योजना बनाई और शनिवार दोपहर को प्राइवेट कार से डासना जेल पहुंचे। जेल प्रशासन को पेशी का आदेश दिखाकर उन्होंने अंदर प्रवेश किया। सिपाही राहुल, जो गणना ऑफिस का मुंशी है, सचिन के साथ मिलकर इस योजना को अंजाम देने की कोशिश कर रहा था।

जेल प्रशासन ने स्पष्ट किया कि सभी 6 बंदियों को एक साथ ही पेशी के लिए भेजा जाएगा, लेकिन सिपाही केवल वंश को ले जाने पर अड़े रहे। अब पुलिस उन लोगों की जांच कर रही है जो बिजेंद्र और वंश से मिलने आए थे, क्योंकि पुलिस का मानना है कि इन्हीं लोगों ने सिपाहियों के साथ मिलकर भगाने की साजिश रची थी।

जांच की प्रक्रिया और आरोपियों की गिरफ्तारी

यह मामला तब गंभीर हो गया जब जेलर और वरिष्ठ अधिकारियों को इस घटना की जानकारी मिली। वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने एसीपी लाइन और डीसीपी को कॉल करके इस मामले की जानकारी दी। जांच के दौरान यह बात सामने आई कि गाजियाबाद पुलिस लाइन से किसी भी सरकारी वाहन द्वारा बंदियों को नोएडा की कोर्ट में ले जाने की कोई योजना नहीं थी। इसके बाद दोनों सिपाहियों की योजना का भंडाफोड़ हो गया।

इस खुलासे के बाद सिपाही राहुल और सचिन को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। यह मामला गाजियाबाद पुलिस के लिए एक चुनौती बन गया है, क्योंकि सिपाहियों की इस तरह की गतिविधियों से पुलिस की छवि पर असर पड़ता है।

सार्वजनिक प्रतिक्रिया और सुरक्षा के मुद्दे

इस घटना के बाद गाजियाबाद में सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। स्थानीय नागरिकों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और मांग की है कि पुलिस विभाग को इस मामले में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। कई लोगों का मानना है कि पुलिस की आंतरिक जांच प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।

गाजियाबाद के इस मामले ने यह साबित कर दिया है कि सुरक्षा व्यवस्था में कमी हो सकती है, और इसे सुधारने की आवश्यकता है। लोगों ने यह भी कहा है कि ऐसे मामलों में दोषी सिपाहियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह की साजिश करने की हिम्मत न कर सके।

जेल की सुरक्षा और बंदियों की स्थिति पर सवाल उठते रहे हैं, और इस प्रकार की घटनाएं पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती हैं। गाजियाबाद पुलिस को अब इस मामले में आगे की कार्रवाई करते हुए अपनी छवि को फिर से स्थापित करने की आवश्यकता है।

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