बसपा सुप्रीमो मायावती का नया सियासी मोड़
लखनऊ में 9 अक्टूबर को आयोजित एक रैली में कार्यकर्ताओं की बड़ी भीड़ ने बसपा सुप्रीमो मायावती को एक नई ऊर्जा दी है। 69 साल की मायावती अब 23 साल बाद सक्रिय राजनीति में लौटने की तैयारी कर रही हैं। इस दौरान, वह खुद मंडलों में जाकर पार्टी कैडर के साथ कैम्प करेंगी, जिससे वह अपनी पार्टी को फिर से मजबूत बनाने का प्रयास करेंगी।
भतीजे आकाश आनंद की सक्रियता
मायावती के भतीजे आकाश आनंद भी सांसद चंद्रशेखर की तर्ज पर पूरे उत्तर प्रदेश में घूमकर सभाएं करेंगे। इसके साथ ही, पार्टी छोड़ चुके चेहरों को फिर से पार्टी में शामिल कराने की योजना बनाई गई है। बसपा अब मुस्लिम, अति पिछड़े, दलित और ब्राह्मण चेहरों पर विशेष ध्यान देने की रणनीति बना रही है।
महत्वपूर्ण बैठक की तैयारी
इस संबंध में 16 अक्टूबर को मायावती ने पार्टी के पदाधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। इस बैठक में मायावती और आकाश आनंद के कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की जाएगी। इस बार बुआ-भतीजे की जोड़ी यूपी में अपनी राजनीतिक जमीन को फतह करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
मायावती की सक्रियता का महत्व
मायावती के आलोचक अक्सर यह कहते हैं कि वह सड़कों पर उतकर संघर्ष करने वाले नेताओं में नहीं हैं। इसके विपरीत, चंद्रशेखर जैसे युवा नेता अपने सक्रियता के कारण दलितों के बीच अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं। यही कारण है कि दलितों का एक बड़ा हिस्सा चंद्रशेखर की ओर आकर्षित हो रहा है।
बसपा का कोर वोटबैंक और चुनावी प्रदर्शन
मायावती के निष्क्रिय होने के चलते बसपा कार्यकर्ता भी घर बैठ गए थे, जिससे पार्टी का कोर वोटबैंक बिखरने लगा। इसका फायदा भाजपा, सपा, कांग्रेस और चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी को हुआ। 2024 में बसपा ने उत्तर प्रदेश में सबसे खराब प्रदर्शन किया, जिसमें उसका वोट बैंक 21 फीसदी गिर गया। लोकसभा चुनाव में बसपा के 79 प्रत्याशियों में से 69 की जमानत जब्त हो गई थी, जिससे पार्टी की स्थिति और कमजोर हुई।
मायावती का जवाब और रैली का असर
मायावती पर यह आरोप भी लगा कि यदि वह सक्रिय रहतीं, तो उनका कोर वोटबैंक बिखरता नहीं। ऐसे में, 9 अक्टूबर को मायावती ने बसपा संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर राजधानी लखनऊ में अपने समर्थकों को बुलाकर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। इस रैली में एक लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए, जिसने कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाया। मायावती ने वादा किया कि वह अब अधिक बार उनके बीच आएंगी।
संगठन को मजबूत करने की योजना
मायावती अब संगठन को पुनः मजबूत करने के लिए कई योजनाएं बना रही हैं। 16 अक्टूबर को होने वाली बैठक में बूथ और भाईचारा समितियों के गठन पर जोर दिया जाएगा। मायावती ने पहले ही संकेत दिए हैं कि पार्टी की बूथ कमेटियां शत-प्रतिशत पूरी होंगी। इसके साथ ही, भाईचारा समितियों में दलित, मुस्लिम, ओबीसी और न्यायप्रिय सवर्ण समाज के लोगों को शामिल किया जाएगा।
आकाश आनंद की युवा रणनीति
बैठक में आकाश आनंद की भूमिका भी तय की जाएगी। वह पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की जिम्मेदारी संभालेंगे। आकाश आनंद की युवा दलितों के बीच लोकप्रियता को देखते हुए पार्टी उनके माध्यम से फिर से दलित युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करेगी। इसके लिए कुछ और युवा नेताओं की टीम भी बनाई जा सकती है।
अगले चुनावों की तैयारी
मायावती की योजना 2024 के चुनावों में पार्टी को मजबूत स्थिति में लाना है। इसके तहत, पार्टी में नए चेहरों को शामिल करने और पुराने चेहरों की वापसी की भी योजना है। अप्रैल 2026 में अति पिछड़ों में अलग-अलग जातियों की राजनीति करने वाले कई चेहरे बसपा में शामिल होने की संभावना है।
पंचायत चुनाव की रणनीति
पंचायत चुनाव में बसपा पार्टी सिंबल पर नहीं लड़ेगी, लेकिन पार्टी समर्थित उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के संकेत दिए गए हैं। इससे पार्टी का एक मजबूत आधार तैयार होगा, जो विधानसभा चुनाव में भी सहायक हो सकता है।
संभावित प्रत्याशियों की समीक्षा प्रक्रिया
बसपा की रणनीति के अनुसार, 2026 में संभावित प्रत्याशियों की घोषणा की जाएगी, लेकिन उन्हें विधानसभा प्रभारी के तौर पर नामित किया जाएगा। हर तीन महीने में उनकी प्रदर्शन की समीक्षा की जाएगी, जिससे पार्टी को चुनावों में सफलता की अधिक संभावना रहेगी।
यूपी के सियासी दंगल में बसपा एक बार फिर से अपने कोर वोटबैंक को मजबूत करने के लिए तैयार है। मायावती और आकाश आनंद की जोड़ी इस बार अपनी रणनीतियों के साथ मैदान में उतरेगी, जिससे पार्टी की स्थिति में सुधार हो सके।