MP News: Reward 2 लाख का इनामी TI संजीत माबई शिवपुरी से गिरफ्तार; गुना देवा पारदी कस्टडी डेथ केस में फरार था, SC ने दी थी 8 अक्टूबर की डेडलाइन



गुना जिले में देवा पारदी की पुलिस कस्टडी में मौत: सीबीआई ने टीआई संजीत माबई को किया गिरफ्तार मध्य प्रदेश के गुना जिले में देवा पारदी की पुलिस कस्टडी में…

MP News: Reward 2 लाख का इनामी TI संजीत माबई शिवपुरी से गिरफ्तार; गुना देवा पारदी कस्टडी डेथ केस में फरार था, SC ने दी थी 8 अक्टूबर की डेडलाइन

गुना जिले में देवा पारदी की पुलिस कस्टडी में मौत: सीबीआई ने टीआई संजीत माबई को किया गिरफ्तार

मध्य प्रदेश के गुना जिले में देवा पारदी की पुलिस कस्टडी में हुई मौत के मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। सीबीआई ने तत्कालीन थाना प्रभारी टीआई संजीत माबई को गिरफ्तार कर लिया है। उनकी गिरफ्तारी 2 लाख रुपए के इनाम की वजह से हुई है। इस कार्रवाई को स्थानीय पुलिस के सहयोग से गुना-बदरवास रोड पर अंजाम दिया गया।

बदरवास थाना प्रभारी विकास यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि संजीत माबई ने थाने में आत्मसमर्पण किया था। सूत्रों के अनुसार, माबई उस समय बदरवास थाना क्षेत्र के एक ढाबे में खाना खा रहे थे, तभी उन्हें गिरफ्तार किया गया। सीबीआई को माबई को गिरफ्तार करने का निर्देश था, इसलिए उन्हें थाने लाया गया और फिर इंदौर ले जाया गया। इस पूरे मामले ने स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया में बड़ा ध्यान आकर्षित किया है।

देवा पारदी की संदिग्ध मौत: मामला क्या है?

यह मामला 14 जुलाई 2024 का है, जब बीलाखेड़ी गांव के निवासी देवा पारदी (25) की शादी से एक दिन पहले उसे और उसके चाचा गंगाराम को पुलिस ने चोरी के मामले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था। कुछ घंटों बाद ही परिवार को सूचना मिली कि देवा की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई है। इस घटना ने पारदी समुदाय में गहरा आक्रोश पैदा किया और परिजनों ने न्याय की मांग की।

देवा की मौत की खबर सुनते ही पारदी समुदाय की महिलाएं जिला अस्पताल पहुंच गईं और वहां जमकर हंगामा किया। मृतक की चाची और उसकी होने वाली दुल्हन ने तो आत्मदाह करने की भी कोशिश की। इसके बाद महिलाएं कलेक्ट्रेट पहुंचकर अर्धनग्न प्रदर्शन करने लगीं, जिसमें उन्होंने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की।

मजिस्ट्रियल जांच में सामने आई सच्चाई

मामले की मजिस्ट्रियल जांच में यह बात सामने आई थी कि देवा पारदी की मौत पुलिस हिरासत में मारपीट और प्रताड़ना के कारण हुई थी। इसके आधार पर, 5 सितंबर 2024 को म्याना थाने में “तीन फूल और अन्य पुलिसकर्मी” के नाम से अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। यह जांच इस बात की पुष्टि करती है कि पुलिस को हिरासत में रखने की प्रक्रिया में गंभीर खामियां थीं।

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और आगे की कार्रवाई

इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्ती दिखाई। देवा की मां हंसुरा बाई की याचिका पर कोर्ट ने सीबीआई को एक महीने के अंदर आरोपियों की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। यदि कार्रवाई नहीं होती, तो कोर्ट ने 8 अक्टूबर तक की अंतिम समयसीमा दी थी। इसी समयसीमा के भीतर टीआई संजीत माबई को गिरफ्तार किया गया। उल्लेखनीय है कि इस मामले में दरोगा उत्तम सिंह कुशवाह को पहले ही गिरफ्तार कर इंदौर जेल भेजा जा चुका है।

इस प्रकार, गुना जिले में हुई इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे मध्य प्रदेश में पुलिस व्यवस्था और मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दों को उजागर किया है। यह मामला न्याय की मांग करने वाले लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन गया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि न्यायालय और प्रशासन इस मामले में किस प्रकार की कार्रवाई करते हैं और क्या पीड़ित परिवार को न्याय मिल पाता है।

निष्कर्ष

गुना जिले में देवा पारदी की पुलिस कस्टडी में मौत का मामला न केवल एक मानवाधिकार का उल्लंघन है, बल्कि यह भारतीय न्याय प्रणाली की गति को भी प्रश्न में डालता है। सीबीआई की कार्रवाई और सुप्रीम कोर्ट की सख्ती इस बात का संकेत है कि न्याय के लिए संघर्ष जारी रहेगा। इस मामले के पीछे की सच्चाई जानने और दोषियों को सजा दिलाने के लिए समाज को एकजुट होना होगा।

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