“Farming: किसान ने उत्तराखंड का राजमा उज्जैन में उगाया, 2 सिंचाई में 100 दिन में फसल तैयार”



उज्जैन के किसान ने नवाचार से खेती को बनाया मुनाफे का स्रोत उज्जैन जिले के बिछड़ोद खालसा निवासी किसान राजेश रंगवाल ने खेती में नवाचार का उपयोग कर अपने लिए…

“Farming: किसान ने उत्तराखंड का राजमा उज्जैन में उगाया, 2 सिंचाई में 100 दिन में फसल तैयार”

उज्जैन के किसान ने नवाचार से खेती को बनाया मुनाफे का स्रोत

उज्जैन जिले के बिछड़ोद खालसा निवासी किसान राजेश रंगवाल ने खेती में नवाचार का उपयोग कर अपने लिए मुनाफे का एक नया रास्ता खोला है। खेती में सुधार लाने के लिए यदि किसान फसल और बीज के चयन के साथ-साथ खेती की प्रणाली पर ध्यान दें और योजनाबद्ध तरीके से कार्य करें, तो वे कम पानी और कम खर्च में भी भरपूर फसल प्राप्त कर सकते हैं। यही कुछ राजेश रंगवाल ने अपने अनुभव से साबित किया है।

राजेश का मानना है कि दूसरी फसलों के मुकाबले राजमा की खेती में लागत कम आती है, लेकिन उनके लिए यह भी जरूरी था कि वे ऐसी किस्म का चयन करें जिसमें खर्च भी कम हो और जोखिम भी न्यूनतम हो। इसीलिए उन्होंने उत्तराखंड की चित्रा किस्म का राजमा बोने का निर्णय लिया। यह बीज उन्हें 350 रुपए प्रति किलो की दर से मिला।

खर्च और लाभ का अनूठा संतुलन

किसान राजेश रंगवाल ने बताया कि राजमा की फसल की प्रति बीघा लागत लगभग 20,000 रुपए आती है। इसके साथ ही, पेस्टीसाइड के उपयोग से 25-30% फसल के खराब होने का भी डर रहता है। लेकिन चित्रा राजमा में गरड़ (गोबर खाद) का इस्तेमाल किया जाता है, जो लगभग मुफ्त में उपलब्ध होता है। इससे फसल भी सुरक्षित रहती है और प्रति बीघा 13,000 रुपए का सीधा फायदा होता है।

गरड़ के उपयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है, पौधों को जैविक पोषण मिलता है, मिट्टी में नमी बनी रहती है और पानी की आवश्यकता भी कम होती है। इसके अलावा, इस फसल में रोग भी नहीं लगते, जिससे किसान को अतिरिक्त चिंता और खर्च से राहत मिलती है।

फसल की सुरक्षा और बाजार में मांग

राजेश ने बताया कि राजमा की फसल को न तो गायें चरती हैं और न ही जंगली जानवर इसे नुकसान पहुँचाते हैं। इसलिए इस फसल की सुरक्षा पर अलग से कोई राशि खर्च नहीं करनी पड़ती है। अत्यधिक सर्दी में भी इस फसल को कोई नुकसान नहीं होता। राजमा में फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम और आयरन की अच्छी मात्रा होती है, जिसके कारण बाजार में इसकी मांग बनी रहती है।

राजेश ने यह भी साझा किया कि अब आसपास के कई किसान राजमा की खेती के गुर सीखने उनके पास आते हैं। यह नवाचार न केवल उनके लिए लाभकारी साबित हो रहा है, बल्कि इसके द्वारा वे अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं।

आप भी साझा करें अपने नवाचार

अगर आप भी एक किसान हैं और आपने खेती में ऐसे नवाचार किए हैं जो अन्य किसान भाइयों के लिए उपयोगी हो सकते हैं, तो आप हमें अपने विवरण और फोटो-वीडियो के साथ 9685881032 पर वॉट्सएप कर सकते हैं। ध्यान रखें कि ये नवाचार किसी भी मीडिया में पहले से प्रकाशित न हुए हों।

राजेश रंगवाल के इस प्रेरणादायक अनुभव से यह स्पष्ट होता है कि यदि किसान सही जानकारी और नवाचार का उपयोग करें, तो वे खेती को एक लाभदायक व्यवसाय में बदल सकते हैं। उज्जैन जिले के किसान राजेश की यह कहानी न केवल स्थानीय किसानों के लिए प्रेरणा है, बल्कि यह पूरे देश के किसानों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करती है कि कैसे सही विकल्पों का चयन कर, वे अपनी खेती को सफल बना सकते हैं।

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