राहुल शर्मा की संगीत यात्रा
संतूर के महान उस्ताद राहुल शिवकुमार शर्मा ने अपने संगीत करियर में लगभग 30 साल बिताए हैं और इस दौरान उन्होंने 75 से अधिक अलबम जारी किए हैं। वह अपने पिता और गुरु, पंडित शिवकुमार शर्मा की विरासत को आगे बढ़ाते हुए संतूर को एक नई दिशा देने में लगे हैं। हाल ही में उन्होंने कला गोद कला महोत्सव के लिए एक फ्यूजन फंडरेजर कॉन्सर्ट का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने अपने नवीनतम अलबम “Tree of Tranquility” से संगीत प्रस्तुत किया।
राहुल शर्मा का मानना है कि संतूर का हर संगीत महोत्सव में होना अनिवार्य है। उन्होंने कहा, “संतूर की धुन सुनने के लिए हर कोई आकर्षित होता है। यह संगीत का एक ऐसा साधन है जो हर किसी के दिल तक पहुंचता है।” वह अपने पिता की शिक्षा और मार्गदर्शन को याद करते हुए कहते हैं कि संतूर का समृद्ध इतिहास और इसकी अनोखी धुन इसे अन्य संगीत वाद्ययंत्रों से अलग बनाती है।
संतूर की पहचान और महत्व
राहुल का कहना है कि संतूर ने संगीत की दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने उल्लेख किया कि संतूर की उपस्थिति प्रमुख संगीत महोत्सवों में और यूएस बिलबोर्ड चार्ट पर भी देखी जा रही है। वह इस बात पर जोर देते हैं कि संगीत की सार्वभौमिक अपील इसे सभी सीमाओं से परे ले जाती है। “संगीत में वह शक्ति है जो समाज के सभी वर्गों को जोड़ती है,” उन्होंने कहा।
राहुल शर्मा का प्रेरणा स्रोत
राहुल शर्मा ने अपने संगीत में स्टिंग और वांजेलिस जैसे कलाकारों से प्रेरणा ली है। उनका मानना है कि अपने संगीत को प्रासंगिक रखने के लिए आवश्यक है कि वह उसे नये तरीके से प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा, “मेरे लिए यह जरूरी है कि मेरा संगीत सुनने में आनंददायक हो और उसमें बार-बार सुनने की क्षमता हो।” वह अपने संगीत को नए सिरे से बनाने की कला में विश्वास रखते हैं।
संगीत का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
राहुल शर्मा का मानना है कि संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी सहायक है। उन्होंने बताया कि संतूर की धुनें उन्हें मानसिक शांति प्रदान करती हैं। “संगीत में एक अद्भुत उपचार क्षमता होती है। यह न केवल मन को शांत करता है, बल्कि आत्मा को भी सुकून देता है,” उन्होंने कहा।
नई पीढ़ी के कलाकारों के लिए सलाह
राहुल शर्मा ने नए कलाकारों को सलाह दी कि यदि वे संगीत के क्षेत्र में सफल होना चाहते हैं, तो उन्हें समर्पण, अनुशासन और सही मार्गदर्शन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “किसी भी कला को mastering करना एक जीवनभर का प्रयास है।” उनका यह भी मानना है कि लगातार मेहनत और अभ्यास ही उन्हें अपने लक्ष्यों तक पहुंचाने में मदद करेंगे।
निष्कर्ष
राहुल शिवकुमार शर्मा की यात्रा संगीत की दुनिया में उनके पिता की विरासत को आगे बढ़ाने की प्रेरणा से भरी हुई है। उन्होंने संतूर को न केवल एक वाद्य यंत्र के रूप में, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में स्थापित किया है। उनकी कोशिशें न केवल उन्हें व्यक्तिगत रूप से सफल बनाएंगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत बनेंगी। संतूर के प्रति उनके समर्पण और उनके पिता की यादें, संगीत की दुनिया में एक अद्वितीय स्थान बनाती हैं।