प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह में दिया महत्वपूर्ण संदेश
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शताब्दी का समारोह मनाया। उन्होंने इस अवसर पर संघ की स्थापना का जिक्र करते हुए कहा कि यह संगठन दशहरा के दिन, यानी विजय दशमी के अवसर पर एक सौ साल पहले स्थापित हुआ था। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि RSS का जन्म समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण के उद्देश्यों के लिए हुआ था।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में संघ के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह संगठन केवल एक राजनीतिक इकाई नहीं है, बल्कि यह एक विचारधारा और एक ऐसा मंच है जो भारतीय संस्कृति, परंपरा और मूल्यों को मजबूत करने में योगदान देता है। उन्होंने बताया कि RSS ने देश की एकता और अखंडता के लिए हमेशा कार्य किया है और इसके सदस्यों ने विभिन्न क्षेत्रों में समाज सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित किया है।
RSS का सामाजिक योगदान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उद्देश्य समाज में एकता और सहयोग को बढ़ावा देना है। इसके सदस्यों ने समय-समय पर प्राकृतिक आपदाओं, स्वास्थ्य संकटों और अन्य सामाजिक चुनौतियों के समय में सहायता प्रदान की है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संघ ने हमेशा राष्ट्रहित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है और इसके कार्यों ने समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सहयोग और समर्पण की भावना को बढ़ावा दिया है।
- RSS ने आपातकालीन स्थितियों में राहत कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- संघ के स्वयंसेवक हमेशा समाज के कमजोर वर्गों की मदद के लिए अग्रसर रहते हैं।
- RSS के माध्यम से लाखों युवा देश सेवा में जुड़े हैं।
विकसित भारत की दिशा में कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में ‘विकसित भारत’ के लक्ष्यों की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि संघ के सदस्यों का समर्पण और सेवा की भावना हमें एक विकसित और आत्मनिर्भर भारत की ओर अग्रसर कर सकती है। उन्होंने अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए कहा कि हमें एक ऐसे भारत की आवश्यकता है जो न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हो, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध हो।
उन्होंने यह भी कहा कि संघ का यह शताब्दी वर्ष हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए नई ऊर्जा और उत्साह प्रदान करता है। मोदी ने कहा कि हमें मिलकर काम करना होगा ताकि हम अपने समाज और देश को और भी बेहतर बना सकें। उन्होंने सभी से अपील की कि वे संघ के सिद्धांतों को आत्मसात करें और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास करें।
RSS का भविष्य और नई पीढ़ी
प्रधानमंत्री मोदी ने नई पीढ़ी को संबोधित करते हुए कहा कि आज के युवा को संघ के मूल्यों और सिद्धांतों को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग को अपने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होना चाहिए और उन्हें समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि RSS का भविष्य उज्ज्वल है, क्योंकि इसके सदस्यों का समर्पण और सेवा भाव हमारे देश को एक नई दिशा में ले जाने में सहायक सिद्ध होगा।
संघ का यह शताब्दी समारोह केवल अतीत की याद नहीं है, बल्कि यह भविष्य की संभावनाओं का भी प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि संघ को अब केवल एक संगठन के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसे एक आंदोलन के रूप में देखना चाहिए जो समाज के हर वर्ग को जोड़ता है और एक साझा भविष्य के लिए काम करता है।
निष्कर्ष
संक्षेप में, प्रधानमंत्री मोदी का यह भाषण RSS की शताब्दी पर न केवल उसके अतीत की सराहना करता है, बल्कि इसके भविष्य के लक्ष्यों और नई पीढ़ी को प्रेरित करने में भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने समाज सेवकों और स्वयंसेवकों को उनके कार्यों के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि हमें मिलकर एक विकसित भारत की दिशा में आगे बढ़ना है।