सीजेआई बी आर गवई पर जूता फेंकने का मामला: वकील राकेश किशोर की कार्रवाई पर विवाद
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बी आर गवई पर वकील राकेश किशोर द्वारा जूता फेंकने की घटना ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। बिलासपुर हाईकोर्ट के वकील सतीश गुप्ता ने इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा करते हुए जूता फेंकने वाले की शैक्षणिक पृष्ठभूमि और मुख्य न्यायाधीश की शिक्षा की तुलना की।
सतीश गुप्ता ने लिखा कि यह एक ऐतिहासिक पल था जब जूता CJI की ओर उड़ा। उन्होंने उल्लेख किया कि राकेश किशोर Msc में गोल्ड मेडलिस्ट हैं, जबकि CJI गवई तृतीय श्रेणी में BA पास हैं। इस तुलना ने इस घटना को और भी ज़्यादा चर्चित कर दिया है।
दलित सम्मान पर हमला: भूपेश बघेल की प्रतिक्रिया
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह सिर्फ एक जूता नहीं, बल्कि दलित सम्मान पर हमला है। उन्होंने कहा कि सरकारी वकील द्वारा न्यायाधीश पर हमला करना न केवल कानून का मजाक है, बल्कि यह अनुसूचित जाति के समाज का अपमान भी है।
बघेल ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। यदि भाजपा इस वकील को पद पर बनाए रखती है, तो क्या यह नहीं माना जाए कि वह इस मानसिकता को संरक्षण दे रही है? बघेल ने भाजपा की चुप्पी की आलोचना की और इसे गंभीर मुद्दा बताया।
कांग्रेस नेताओं की टिप्पणियाँ
कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। सुप्रिया श्रीनेत और रागिनी नायक ने भाजपा की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि उस व्यवस्था पर हमला है जो दलितों के लिए न्याय दिलाने के लिए खड़ी की गई थी।
बीवी श्रीनिवास ने इसे “भारत के सामाजिक न्याय तंत्र के खिलाफ सुनियोजित हमला” बताते हुए केंद्र सरकार से मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।
घटना का विस्तृत विवरण
यह घटना 6 अक्टूबर को हुई, जब वकील राकेश किशोर ने सुप्रीम कोर्ट के अंदर CJI गवई पर जूता फेंकने का प्रयास किया। हालांकि, जूता CJI तक नहीं पहुंच सका और सुरक्षाकर्मियों ने उसे पकड़कर बाहर कर दिया। इस दौरान, राकेश ने नारे लगाया, “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान”।
पुलिस ने जूता फेंकने वाले वकील को हिरासत में लेकर सुप्रीम कोर्ट कैंपस में 3 घंटे तक पूछताछ की। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों ने मामले में कोई शिकायत नहीं की, जिसके बाद वकील को छोड़ दिया गया।
वकील राकेश किशोर का लाइसेंस रद्द
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने उसी दिन राकेश किशोर का लाइसेंस रद्द कर दिया। उनका रजिस्ट्रेशन 2011 का था। इसके बाद, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने भी उसे तुरंत निलंबित कर दिया। BCI के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने यह आदेश जारी किया।
उन्होंने कहा कि यह वकीलों के आचरण और नियमों का उल्लंघन है। निलंबन के दौरान राकेश कहीं भी प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे, और 15 दिनों में शो कॉज नोटिस भी जारी किया जाएगा।
राकेश किशोर का बयान
इस हमले के एक दिन बाद, 7 अक्टूबर को राकेश किशोर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्होंने जो किया, उस पर उन्हें कोई अफसोस नहीं है। उन्होंने बताया कि वे भगवान विष्णु के लिए CJI के बयान से आहत थे, और यही उनकी कार्रवाई का कारण बना।
राकेश ने कहा कि यह उनकी प्रतिक्रिया थी और उन्होंने यह भी कहा कि वे नशे में नहीं थे। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि CJI कई बार विभिन्न धर्मों के खिलाफ कदम उठाते हैं, जो उन्हें उचित नहीं लगता।
इस घटना ने न केवल सुप्रीम कोर्ट में हलचल मचाई है, बल्कि समाज में भी कई प्रश्न खड़े किए हैं। अब यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और इसका समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है।