रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में HIV पेशेंट की पहचान उजागर करने का मामला
रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में एक HIV पॉजिटिव महिला की पहचान का मामला सामने आया है, जिसमें अस्पताल प्रशासन की लापरवाही ने एक गंभीर मुद्दा खड़ा कर दिया है। इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कड़ी नाराजगी जताई है और इस प्रकरण में एफआईआर दर्ज करवाई गई है। पुलिस ने अस्पताल प्रशासन को नोटिस भेजकर आरोपी डॉक्टरों के नाम पूछने का निर्देश दिया है।
हालांकि, अस्पताल प्रशासन का दावा है कि उन्हें अब तक कोई नोटिस नहीं मिला है और इस मामले की विभागीय जांच चल रही है। दैनिक भास्कर ने इस मामले में पीड़ित महिला के पति से बातचीत की, जिन्होंने बताया कि जब उन्होंने अपने बच्चे के पास ‘HIV पॉजिटिव मदर’ लिखा हुआ चार्ट देखा तो उनकी आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा कि इस घटना के बाद मेडिकल स्टाफ ने उनसे दूरी बनानी शुरू कर दी थी।
हाईकोर्ट की कड़ी नाराजगी
हाईकोर्ट ने HIV पॉजिटिव महिला मरीज की पहचान सार्वजनिक करने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। न्यायालय ने मुख्य सचिव से व्यक्तिगत शपथपत्र मांगा है। दैनिक भास्कर ने पूरे मामले पर सभी पक्षों से बात की है, जिसमें स्पष्ट हुआ है कि यह घटना न केवल अमानवीय है, बल्कि यह व्यक्तिगत निजता के अधिकार का भी उल्लंघन है।
हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद शामिल हैं, ने कहा कि “यह कृत्य न केवल अमानवीय है बल्कि नैतिकता और निजता के अधिकार का घोर उल्लंघन भी है।” इस बयान ने अस्पताल प्रशासन के प्रति न्यायालय के गंभीर रुख को स्पष्ट किया है।
मामले का पूरा विवरण
6 अक्टूबर को मेकाहारा अस्पताल में एक HIV पॉजिटिव महिला ने बच्चे को जन्म दिया। जन्म के बाद बच्चे को PICU में शिफ्ट किया गया, जहां मेडिकल स्टाफ ने एक बड़े चार्ट पेपर पर लाल रंग से ‘HIV POSITIVE MOTHER’ लिखा। यह चार्ट इतने बड़े अक्षरों में लिखा गया था कि इसे 100 मीटर की दूरी से भी पढ़ा जा सकता था। यह चार्ट बच्चे के पास चिपका दिया गया, जिससे पहचान उजागर हुई।
यह चार्ट तीन दिनों तक लगा रहा। जब महिला अपने बच्चे को दूध पिलाने जाती, तो यह बोर्ड उसे दिखता। उसने अपने पति को इस बारे में बताया, लेकिन पति को PICU में जाने की अनुमति नहीं थी। जब उन्होंने 9 अक्टूबर को बच्चे के नजदीक ‘HIV POSITIVE MOTHER’ का चार्ट देखा, तो उनकी आंखों में आंसू आ गए।
मेडिकल स्टाफ की असंवेदनशीलता
पीड़ित पिता ने दैनिक भास्कर को बताया कि वे भी HIV पॉजिटिव हैं और जब यह बात समाज को पता चली, तो मेडिकल स्टाफ ने उनसे सामान्य व्यवहार करना भी बंद कर दिया। उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि इस गलती को तीन दिनों तक नजरअंदाज किया गया।
हालांकि, जब अधिकारियों को इस मामले की जानकारी हुई, तो चार्ट तुरंत हटा दिया गया। मीडिया में खबर आने के बाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और मामले में एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस ने अस्पताल प्रशासन को नोटिस जारी किया लेकिन 48 घंटे बीतने के बावजूद अस्पताल ने गलती करने वाले डॉक्टरों के नाम नहीं बताए हैं।
NGO का हस्तक्षेप और पुलिस की कार्रवाई
इस मामले को सुराज जनकल्याण समिति के अध्यक्ष प्रीतम महानंद ने उजागर किया। उन्होंने बताया कि जब वे एक परिचित को देखने गए थे, तब पीड़ित पिता को रोते हुए देखा। इसके बाद उन्होंने मामले की शिकायत मौदहापारा थाने में दर्ज कराई। पुलिस ने कहा है कि अस्पताल प्रशासन ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है, जिससे आगे की कार्रवाई में देरी हो रही है।
अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि उन्हें पुलिस की ओर से कोई नोटिस नहीं मिला है और इस मामले में विभागीय जांच चल रही है। रिपोर्ट मंगलवार तक पेश की जाएगी।
HIV और AIDS के बारे में जानकारी
HIV (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस) एक वायरस है जो मानव इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है। जबकि AIDS (एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशियेंसी सिंड्रोम) एक ऐसी स्थिति है जो HIV संक्रमण के कारण उत्पन्न होती है। यदि किसी व्यक्ति को HIV संक्रमण का इलाज समय पर मिल जाता है, तो वह AIDS विकसित करने से बच सकता है।
वर्तमान में HIV का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) के माध्यम से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। यह संक्रमण के प्रगति को धीमा करता है और व्यक्ति को एक सामान्य जीवन जीने की अनुमति देता है।
निष्कर्ष
इस घटना ने न केवल मेडिकल क्षेत्र में असंवेदनशीलता को उजागर किया है, बल्कि यह भी दर्शाया है कि स्वास्थ्य सेवा में मरीजों की पहचान और निजता को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। हाईकोर्ट की कड़ी प्रतिक्रिया और पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई यह दर्शाती है कि इस मामले को हल्के में नहीं लिया जाएगा।
……………………………………….
इससे जुड़ी यह खबर भी पढ़ें…
नवजात के पोस्टर पर लिखा-बच्चे की मां HIV पॉजिटिव: पिता भावुक होकर रो पड़ा; हाईकोर्ट ने कहा- यह बेहद अमानवीय, दोबारा न हो ऐसी गलती
रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल की शर्मनाक हरकत पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। अस्पताल में नवजात शिशु के पास एक पोस्टर लगाया गया था, जिस पर लिखा था- बच्चे की मां एचआईवी पॉजिटिव है। यह पोस्टर स्त्री रोग वार्ड में भर्ती मां और नर्सरी वार्ड में रखे नवजात के बीच लगाया गया था। पढ़ें पूरी खबर…