छग मोटरयान कराधान संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध तेज
छत्तीसगढ़ प्रदेश में लागू छग मोटरयान कराधान संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेजी से बढ़ रहे हैं। इस अधिनियम को लेकर छग ऑटोमोबाइल रेसलर एसोसिएशन (कारा) ने परिवहन मंत्री केदार कश्यप से तत्काल इसे वापस लेने की मांग की है। एसोसिएशन का कहना है कि यह संशोधन प्रदेश की 90% गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय उपभोक्ताओं को प्रभावित कर रहा है। इस स्थिति को लेकर लोगों में काफी नाराजगी है और इसे जनहित के खिलाफ बताया जा रहा है।
कारा के अध्यक्ष आनंद श्रीवास्तव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस अधिनियम के लागू होने से प्रदेश में रोजगार और व्यवसाय प्रभावित होंगे। उनका कहना है कि यह संशोधन अधिनियम तत्काल प्रभाव से रोका जाना चाहिए और इसके स्थान पर एक नया और व्यावहारिक नियम बनाया जाना चाहिए, ताकि लोगों को राहत मिल सके। मंत्री से मुलाकात करने वाले प्रतिनिधिमंडल में भाजपा नेता सच्चिदानंद उपासने, महासचिव कुलवंत सिंह गुंबर, कोषाध्यक्ष सुमित नाहटा और विधि सलाहकार विक्रम कुमार शर्मा शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि इस अधिनियम के कारण वाहन कारोबारियों और उपभोक्ताओं दोनों के सामने संकट खड़ा हो गया है।
कारा की मुख्य आपत्तियां
कारा ने इस अधिनियम के खिलाफ कई महत्वपूर्ण आपत्तियां उठाई हैं, जो निम्नलिखित हैं:
- जीवनकाल कर पर दोबारा वसूली अन्यायपूर्ण: पुराने वाहनों से पहले ही लाइफटाइम टैक्स लिया जा चुका है, इसलिए दोबारा कर लगाना विधि विरुद्ध है। यह उपभोक्ताओं के साथ अन्याय है, जो पहले ही टैक्स चुका चुके हैं।
- अंतरण कर को लेकर अस्पष्टता: स्वामित्व परिवर्तन के समय ट्रांसफर टैक्स कौन भरेगा, इस पर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। इससे विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जो लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है।
- दोहरे मापदंड: एक ही श्रेणी के दो वाहनों पर अलग-अलग कर वसूली अनुचित और भ्रमित करने वाली है। इससे उपभोक्ताओं में असंतोष पैदा हो रहा है, क्योंकि उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि उन्हें किस आधार पर टैक्स देना है।
सरकार की प्रतिक्रिया
इस बीच, प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह अधिनियम प्रदेश के विकास और संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा जनहित में निर्णय लेती है और इस मामले में भी सभी पक्षों की चिंताओं को ध्यान में रखा जाएगा। हालांकि, विपक्षी दलों ने सरकार के इस जवाब को नकारते हुए इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि सरकार इस मुद्दे पर उचित कदम नहीं उठाती है, तो यह आगामी चुनावों में उनके लिए बड़ा संकट बन सकता है। इसलिए, सरकार को इस मुद्दे पर जल्द ही कोई ठोस कदम उठाना चाहिए, ताकि आम जनता की नाराजगी को कम किया जा सके।
आगे की रणनीति
छग ऑटोमोबाइल रेसलर एसोसिएशन ने अपनी योजनाओं का खुलासा करते हुए कहा कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं, तो वे आगामी दिनों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं। इसके तहत वे रैलियों और धरनों का आयोजन कर सकते हैं, जिससे सरकार पर दबाव बनाया जा सके। एसोसिएशन के सदस्य यह सुनिश्चित करने के लिए एकजुट हैं कि उनकी आवाज को सुना जाए और उचित कार्रवाई की जाए।
इस प्रकार, छग मोटरयान कराधान संशोधन अधिनियम के खिलाफ उठाए गए कदम अब एक आंदोलन का रूप ले सकते हैं, जो न केवल ऑटोमोबाइल क्षेत्र बल्कि पूरे प्रदेश की राजनीति को प्रभावित कर सकता है। सभी की नजरें अब इस मामले पर हैं कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और क्या एसोसिएशन की मांगों को मान्यता दी जाएगी।