Road पर मवेशी: हाईकोर्ट ने मांगी मुख्य सचिव से रोड मैप



हाईकोर्ट में मवेशियों के कारण बढ़ते सड़क हादसों पर सुनवाई छत्तीसगढ़ में प्रदेश की सड़कों पर मवेशियों की बढ़ती संख्या और उससे होने वाले सड़क हादसों पर आज हाईकोर्ट में…

Road पर मवेशी: हाईकोर्ट ने मांगी मुख्य सचिव से रोड मैप

हाईकोर्ट में मवेशियों के कारण बढ़ते सड़क हादसों पर सुनवाई

छत्तीसगढ़ में प्रदेश की सड़कों पर मवेशियों की बढ़ती संख्या और उससे होने वाले सड़क हादसों पर आज हाईकोर्ट में महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। इस मामले में एक जनहित याचिका और हस्तक्षेप याचिका दायर की गई है, जिसमें बिलासपुर से जांजगीर तक नेशनल हाईवे पर मवेशियों के झुंडों की तस्वीरें प्रदर्शित की गई हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि NHAI अपनी सड़कों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में नाकाम है। मवेशियों के कारण बढ़ते हादसों से चिंतित याचिकाकर्ता ने न्यायालय से इस मामले में कार्रवाई की मांग की है।

सुनवाई के दौरान, चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने कहा कि सड़क पर मवेशियों के बैठने के लिए केवल सरकार ही नहीं, बल्कि आम लोग भी जिम्मेदार हैं। राज्य सरकार ने नए मुख्य सचिव की नियुक्ति का हवाला देते हुए जवाब के लिए समय की मांग की, जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि मुख्य सचिव को सड़क पर मवेशियों के खतरे के संबंध में दो हफ्ते में व्यक्तिगत शपथपत्र पेश करना होगा।

नई हस्तक्षेप याचिका का प्रस्तुतिकरण

इस मामले की सुनवाई के दौरान, एक नई हस्तक्षेप याचिका भी पेश की गई। याचिकाकर्ता ने बिलासपुर से जांजगीर तक एनएचएआई की सड़कों पर मवेशियों के जमावड़े की तस्वीरें प्रस्तुत की और कहा कि यदि एनएचएआई अपनी सड़कों की सुरक्षा नहीं कर सकता, तो लोगों से टोल टैक्स वसूलना अनुचित है। यह याचिका इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाती है, जिससे सड़क पर होने वाले हादसों की संभावना बढ़ जाती है।

राज्य सरकार ने इस मामले में जवाब देने के लिए समय मांगा है, जिसे हाईकोर्ट ने मान लिया। यह स्पष्ट है कि सड़क पर मवेशियों की समस्या को लेकर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में होने वाले हादसों को रोका जा सके।

हाईकोर्ट का रोडमैप बनाने का आदेश

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वह सड़क पर घूम रहे मवेशियों की समस्या से निपटने के लिए एक ठोस रोडमैप तैयार करे। इसके साथ ही, बिलासपुर के कलेक्टर ने पिछले आदेश के अनुपालन में शपथपत्र प्रस्तुत किया, जिसमें आवारा पशुओं के प्रबंधन और सड़क हादसों को रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई।

कलेक्टर द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, जुलाई से सितंबर के बीच तीन घटनाओं में 39 मवेशियों की जान गई। इनमें से एक घटना में, 14 जुलाई को कोटा के ग्राम बारीडीह में तेज रफ्तार वाहन की टक्कर से 13 गायों की मौत हो गई और 4 गायें घायल हुईं।

इसके अलावा, 28 जुलाई को बिल्हा ब्लॉक में एक अज्ञात वाहन ने 19 गायों को कुचल दिया, जिनमें से 18 की मौत हो गई। 17 सितंबर को गतौरा के पास एनएच-130 पर 8 मवेशियों को कुचलने की घटना भी सामने आई। इन मामलों में संबंधित चालकों और मवेशी मालिकों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया है। यह घटनाएं सड़क पर मवेशियों की मौजूदगी के खतरों को स्पष्ट करती हैं।

सड़क पर मवेशियों के प्रबंधन के उपाय

राज्य सरकार ने मवेशियों की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें सोलर लाइट लगाना शामिल है, जिसे नेशनल हाईवे पर मवेशियों के जमाव वाले स्थानों पर स्थापित किया जा रहा है। दर्रीघाट और ढेका में यह इंस्टॉलेशन पूरा हो चुका है। इसके साथ ही, संवेदनशील क्षेत्रों में इंडिकेटर बोर्ड भी लगाए जा रहे हैं ताकि ड्राइवरों को सतर्क किया जा सके।

ग्राम सभाओं में सड़क पर आवारा पशुओं को प्रबंधित करने को अनिवार्य एजेंडा बनाया गया है। इसके तहत दीवार लेखन, पोस्टर, और बैनर के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। हर महीने मवेशी मालिकों के साथ समीक्षा बैठकें करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।

सरकार के उठाए गए अन्य कदम

  • घायल मवेशियों के उपचार के लिए भारत सरकार का टोल-फ्री नंबर 1962 जारी किया गया है।
  • बिलासपुर जिले में 6 मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयां सक्रिय हैं।
  • जोगीपुर गौ-अभयारण्य में 205 एकड़ भूमि पर 600 पशुओं की क्षमता वाले तीन शेड बनाए गए हैं।
  • कुल 1600 वृद्ध मवेशियों को रखने का लक्ष्य है।
  • 7 नई जगहों पर गौधाम स्थापित करने का प्रस्ताव गौ सेवा आयोग को भेजा गया है।

इस प्रकार, हाईकोर्ट ने मवेशियों की सड़क पर मौजूदगी की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार से ठोस कदम उठाने की अपील की है। यह मुद्दा न केवल मवेशियों बल्कि सड़क पर चलने वाले लोगों की सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है। ऐसे में सभी संबंधित अधिकारियों को इस दिशा में सक्रियता से कार्य करना आवश्यक है।

लेखक –