“Heart: 11 साल की शांभवी के दिल में था छेद, IPS अधिकारी ने दिल की बीमारी से जूझ रही बच्ची की जिंदगी बचाई”



छत्तीसगढ़ की शांभवी: दिल की बीमारी से जूझती एक मासूम की कहानी छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के छोटे से गांव वरदल्ली में रहने वाली 11 साल की शांभवी को दिल…

“Heart: 11 साल की शांभवी के दिल में था छेद, IPS अधिकारी ने दिल की बीमारी से जूझ रही बच्ची की जिंदगी बचाई”

छत्तीसगढ़ की शांभवी: दिल की बीमारी से जूझती एक मासूम की कहानी

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के छोटे से गांव वरदल्ली में रहने वाली 11 साल की शांभवी को दिल की एक गंभीर बीमारी ने घेर रखा था। उसके दिल में एक बड़ा छेद था, जो उसकी ज़िंदगी के लिए खतरा बन गया था। गरीब परिवार होने के कारण शांभवी के माता-पिता महंगा इलाज कराने में असमर्थ थे। इस मुश्किल घड़ी में, गांव के लोगों और एक IPS अधिकारी ने मिलकर उसकी मदद की और उसके जीवन को एक नई दिशा दी।

शांभवी की स्थिति गंभीर थी। जब उसकी तबीयत एक साल पहले बिगड़ी, तो गांव के डॉक्टर ने उसे रायपुर रेफर किया। लेकिन उसके माता-पिता के पास इतना पैसों का इंतजाम नहीं था कि वे उसे इलाज के लिए रायपुर ले जा सकें। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, और वे खेतों में मजदूरी कर किसी तरह अपना जीवन यापन करते थे।

गांववालों का सामूहिक प्रयास

शांभवी के माता-पिता की महीने भर की आमदनी मुश्किल से 2,500 से 3,000 रुपए होती थी। ऐसे में गांव के लोगों ने एकजुट होकर शांभवी की मदद करने का निर्णय लिया। उन्होंने चंदा इकट्ठा करने का काम शुरू किया और किसी तरह 10,000 रुपए जमा करके शांभवी को रायपुर भेजा। वहां पर डॉक्टरों ने उसकी स्थिति का आकलन किया और बताया कि उसके हृदय में गंभीर समस्या है, जिसके इलाज में लगभग 25 लाख रुपए की आवश्यकता होगी।

इस राशि को जुटाना शांभवी के गरीब माता-पिता के लिए नामुमकिन था। वे अगले एक साल तक विभिन्न अस्पतालों और संस्थाओं के चक्कर काटते रहे, लेकिन कहीं से भी उन्हें कोई उम्मीद नहीं मिली।

IPS अधिकारी की मानवीय पहल

एक दिन, जब शांभवी अपने माता-पिता के साथ सामुदायिक भवन में ठहरी हुई थी, वहां एक IPS अधिकारी किसी कार्यक्रम के सिलसिले में आए। जब उन्होंने शांभवी की स्थिति के बारे में सुना, तो उन्होंने तुरंत मदद का निर्णय लिया। इस अधिकारी ने न केवल शांभवी के इलाज का पूरा खर्च उठाने का वादा किया, बल्कि ऑपरेशन के दौरान जब रक्त की आवश्यकता पड़ी, तो उन्होंने स्वयं भी रक्त दान किया।

इस प्रकार, शांभवी को वह सहायता मिली, जिसकी उसे सबसे ज्यादा आवश्यकता थी। यह एक अद्भुत उदाहरण था कि कैसे एक व्यक्ति की मानवीय भावना दूसरों की ज़िंदगी को बदल सकती है।

शांभवी की नई शुरुआत

ऑपरेशन सफल रहा और अब शांभवी धीरे-धीरे स्वस्थ हो रही है। उसकी मां की आंखों में आंसू हैं, लेकिन यह आंसू अब कष्ट के नहीं, बल्कि कृतज्ञता और खुशी के हैं। शांभवी के स्वस्थ होने के साथ-साथ उसके परिवार ने भी राहत की सांस ली है।

यह कहानी केवल शांभवी की नहीं है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो जीवन में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। शांभवी की मां ने कहा, “हमारे लिए यह एक सपना था, और अब यह सच हो गया है। हम सभी का दिल से धन्यवाद करते हैं जिन्होंने हमारी मदद की।” यह घटना यह दर्शाती है कि जब समाज एकजुट होता है, तो किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है।

समाज की एकता और मानवता की मिसाल

शांभवी की कहानी यह साबित करती है कि मानवता आज भी जीवित है और जब कोई संकट आता है, तो समाज एकजुट होकर मदद करने के लिए खड़ा होता है। यह घटना न केवल शांभवी के लिए, बल्कि पूरे गांव और समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश है।

इस प्रकार, शांभवी की कहानी एक उदाहरण है कि जब हम एक-दूसरे के साथ खड़े होते हैं, तो हम किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं। यह हमें यह भी याद दिलाती है कि हर जीवन की कीमत होती है और हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।

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