आरबीआई सर्वेक्षण: सेवाएँ और अवसंरचना कंपनियों का सकारात्मक दृष्टिकोण
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2025-26 की दूसरी तिमाही के लिए सेवाओं और अवसंरचना आउटलुक सर्वेक्षण (SIOS) के 46वें दौर के निष्कर्षों को जारी किया है। यह सर्वेक्षण दर्शाता है कि इन दोनों महत्वपूर्ण क्षेत्रों की कंपनियाँ अपने व्यवसाय के माहौल को कैसे देखती हैं।
इस सर्वेक्षण में कुल 706 कंपनियों के विचारों को शामिल किया गया है, जो मांग की स्थिति, लागत, रोजगार, और भविष्य की अपेक्षाओं पर आधारित है। यह सर्वेक्षण जुलाई से सितंबर 2025 के बीच किया गया था, जिसमें सेवाओं के क्षेत्र की कंपनियों ने समग्र व्यवसाय की स्थिति और कारोबार में सुधार की सूचना दी है।
सेवाओं के क्षेत्र में सुधार और सकारात्मक रोजगार के अवसर
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सेवाओं के क्षेत्र की कंपनियों ने जुलाई से सितंबर 2025 की तिमाही में व्यवसाय की समग्र स्थिति में सुधार और कारोबार में वृद्धि देखी। इस दौरान रोजगार के अवसर भी सकारात्मक बने रहे, जिसमें वित्त तक बेहतर पहुंच प्रदान की गई। हालांकि, इनपुट लागत में वृद्धि हुई, लेकिन वेतन और वित्तीय लागतों का दबाव कम हुआ, जिससे कई कंपनियों ने बिक्री की कीमतों और लाभ के मार्जिन के बारे में सकारात्मक भावनाएँ व्यक्त कीं।
2025-26 की तीसरी तिमाही की ओर देखते हुए, सेवाओं के क्षेत्र ने अधिक आशावाद व्यक्त किया है। कंपनियों को उम्मीद है कि उनका कारोबार बढ़ेगा, मांग मजबूत रहेगी, और पूर्णकालिक एवं अंशकालिक रोजगार में वृद्धि होगी। हालांकि, वेतन बिल, वित्तीय लागतें और इनपुट लागतें बढ़ने की संभावना है, फिर भी बिक्री की कीमतों में वृद्धि की संभावना को लाभ के मार्जिन को बनाए रखने के लिए एक सहारा माना जा रहा है।
अवसंरचना क्षेत्र की स्थिति और भविष्य की संभावनाएँ
अवसंरचना क्षेत्र में, कंपनियों ने वित्त वर्ष 25-26 की दूसरी तिमाही के दौरान मांग की स्थितियों में सुधार का आकलन किया है। इनपुट लागत, वित्तीय खर्च, और वेतन भुगतान ने उच्च दबाव डाला है, लेकिन व्यवसायों ने फिर भी बिक्री की कीमतों और लाभ के मार्जिन में मजबूत वृद्धि की सूचना दी है। अगले तिमाही के लिए, अवसंरचना कंपनियाँ समग्र व्यवसाय की स्थिति, कारोबार और रोजगार में सुधार की उम्मीद कर रही हैं।
हालाँकि, आरबीआई की रिपोर्ट में यह नोट किया गया है कि इन कंपनियों का आत्मविश्वास पिछले सर्वेक्षण दौर की तुलना में कुछ कम है। इनपुट लागत के दबावों में तीसरी तिमाही में कमी आने की उम्मीद है, लेकिन बिक्री की कीमतों और लाभ के मार्जिन में वृद्धि के प्रति आशावाद पहले की तिमाही की तुलना में कम प्रकट होता है।
आगे की संभावनाएँ और चुनौतियाँ
आगे देखते हुए, अवसंरचना कंपनियाँ 2026-27 की पहली तिमाही तक मांग और रोजगार की संभावनाओं के प्रति सकारात्मक बनी हुई हैं। हालांकि, इनपुट लागत का दबाव निकट भविष्य में बना रह सकता है, और बिक्री की कीमतें ऊँचे स्तर पर बनी रह सकती हैं।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेखित किया गया है कि सेवाएँ कंपनियाँ अपनी वर्तमान संसाधनों के साथ आगामी तिमाहियों में 10.7 प्रतिशत अतिरिक्त सेवाएँ प्रदान करने के लिए क्षमता बढ़ा सकती हैं। यह विकासशील दृष्टिकोण न केवल सेवाओं के क्षेत्र के लिए, बल्कि देश की सम्पूर्ण आर्थिक वृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
इस सर्वेक्षण के निष्कर्ष बताते हैं कि सेवाओं और अवसंरचना के क्षेत्र में कंपनियाँ अपने व्यवसाय की स्थिति को लेकर आशावादी हैं, भले ही इनपुट लागतों और अन्य वित्तीय दबावों के बावजूद। इन क्षेत्रों में सुधार और विकास की प्रवृत्ति भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो भविष्य में भी मजबूत मांग और रोजगार की संभावनाओं की ओर संकेत करती है।