“NaMo Lab: क्या भुवनेश्वर का यह केंद्र भारत के सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र के लिए उत्प्रेरक बन सकता है?”



भुवनेश्वर में निर्मित ‘नमो सेमीकंडक्टर लैब’ का उद्घाटन भारत के बढ़ते सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा, भुवनेश्वर में स्थित नया नमो सेमीकंडक्टर लैब सेमीकंडक्टर अनुसंधान और कौशल विकास…

“NaMo Lab: क्या भुवनेश्वर का यह केंद्र भारत के सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र के लिए उत्प्रेरक बन सकता है?”

भुवनेश्वर में निर्मित ‘नमो सेमीकंडक्टर लैब’ का उद्घाटन

भारत के बढ़ते सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा, भुवनेश्वर में स्थित नया नमो सेमीकंडक्टर लैब सेमीकंडक्टर अनुसंधान और कौशल विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिज़ाइन इन इंडिया’ पहलों को भी प्रोत्साहित करेगा। इस लैब की स्थापना से भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग को एक नई दिशा मिलेगी, जिससे देश में तकनीकी विकास को गति मिलेगी।

नमो सेमीकंडक्टर लैब की विशेषताएँ

आईआईटी भुवनेश्वर में स्थापित यह नमो सेमीकंडक्टर लैब सांसद स्थानीय निधि विकास योजना (MPLAD) के अंतर्गत वित्त पोषित की जाएगी। इस परियोजना की अनुमानित लागत 4.95 करोड़ रुपये है, जिसमें से 35 लाख रुपये सॉफ़्टवेयर के लिए निर्धारित किए गए हैं। इस केंद्र का उद्देश्य चिप निर्माण और पैकेजिंग इकाइयों के लिए प्रतिभा विकसित करना है, जो पूरे भारत में स्थापित हो रही हैं।

भारत में चिप डिजाइन प्रतिभा का विकास

भारत न केवल वैश्विक चिप डिजाइन प्रतिभा का 20 प्रतिशत हिस्सा रखता है, बल्कि हाल ही में देश ने अपनी पहली ‘मेड इन इंडिया’ चिप्स का उत्पादन किया है। ये चिप्स सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रस्तुत की गई थीं। यह भारत की तकनीकी प्रगति का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम है।

सेमीकंडक्टर उद्योग के विकास की दिशा में कदम

भारत की प्राथमिकता अब उत्पाद विकास को बढ़ाने, सेवा क्षमताओं का विस्तार करने और कौशल विकास क्षेत्र को मजबूत करने पर है। इसका उद्देश्य एक आत्मनिर्भर सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है। इस दिशा में, देश के 295 विश्वविद्यालयों के छात्र नवीनतम ईडीए टूल्स का उपयोग कर रहे हैं, और 20 संस्थानों से 28 छात्र-डिज़ाइन की गई चिप्स एससीएल मोहाली में तैयार की गई हैं।

ओडिशा में सेमीकंडक्टर परियोजनाओं का विकास

हाल ही में ओडिशा ने इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के तहत दो सेमीकंडक्टर परियोजनाओं के लिए मंजूरी प्राप्त की है। इनमें से एक है सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) आधारित यौगिक सेमीकंडक्टर के लिए एक एकीकृत सुविधा और दूसरी है एक उन्नत 3डी ग्लास पैकेजिंग सुविधा। यह जानकारी इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय द्वारा साझा की गई है।

आईआईटी भुवनेश्वर की पहले से मौजूद सुविधाएँ

आईआईटी भुवनेश्वर पहले से ही सिलिकॉन कार्बाइड अनुसंधान और नवाचार केंद्र (SiCRIC) का संचालन कर रहा है। नया लैब संस्थान की मौजूदा क्लीनरूम सुविधाओं में इजाफा करेगा। यह भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग को समर्थन देने के लिए अनुसंधान और विकास (R&D) सुविधाएँ प्रदान करेगा। इस तरह की सुविधाएँ न केवल छात्रों के लिए बल्कि उद्योग के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

समापन विचार

भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है, और नमो सेमीकंडक्टर लैब जैसे परियोजनाएं इस विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। यह लैब न केवल अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देगी, बल्कि देश में सेमीकंडक्टर क्षेत्र में कौशल विकास को भी प्रोत्साहित करेगी। भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में यह एक और कदम है, जो आने वाले वर्षों में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में मदद करेगा।

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