उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा पेपर लीक मामला: छात्रों ने उठाई गंभीर सवाल
अपडेट किया गया: बुधवार, 08 अक्टूबर 2025 01:09 PM (IST)
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक मामले में एकल पीठ के समक्ष अभ्यर्थियों ने आयोग की कई खामियों को उजागर किया है। हाल ही में न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की सुनवाई में 13 अभ्यर्थियों ने परीक्षा में गड़बड़ियों का जिक्र करते हुए पेपर लीक की बात कही। छात्रों ने सीबीआई जांच की मांग के साथ-साथ स्नातक स्तरीय परीक्षा को रद्द करने की भी मांग की है।
परीक्षा में धांधली और आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल
जागरण संवाददाता, देहरादून से मिली जानकारी के अनुसार, 21 सितंबर को आयोजित स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक प्रकरण की सुनवाई के दौरान अभ्यर्थियों ने आयोग की कार्यप्रणाली और उसके द्वारा आयोजित परीक्षाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाए। छात्रों ने कहा कि आयोग की किसी भी परीक्षा में सभी 100 प्रश्न सही नहीं होते हैं। परीक्षा के कुछ दिन बाद आयोग खुद ही 4 से 10 प्रश्न हटा देता है, जिससे परीक्षा की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है।
अभ्यर्थियों का कहना है कि यदि आयोग के द्वारा बनाई गई प्रश्नपत्रों की गुणवत्ता पर सवाल उठता है, तो कैसे उन पर भरोसा किया जा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि पेपर बनाने वाले विशेषज्ञों के नाम सार्वजनिक किए जाने चाहिए ताकि पारदर्शिता बनी रहे। इसके अलावा, छात्रों ने सीबीआई जांच की भी मांग उठाई है, जिससे इस मामले की गहराई से जांच की जा सके।
छात्रों की मांग: जन सुनवाई और परीक्षा रद्द करने की आवश्यकता
छात्रों ने यह भी सवाल उठाया कि आयोग जन सुनवाई क्यों नहीं करता। प्रदेशभर से आए अभ्यर्थियों ने कहा कि आगे की परीक्षाओं में पेपर लीक होने की कोई गारंटी नहीं है। उन्होंने न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी से आग्रह किया कि उनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय लिया जाए। छात्रों की आवाज को सुनकर न्यायमूर्ति ध्यानी ने कहा कि वे छात्रों की चिंताओं के अनुसार निर्णय लेंगे।
आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठाने वाले अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ी
इस मामले में अभ्यर्थियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अधिकतर छात्रों का कहना है कि यदि ऐसी घटनाएं जारी रहीं, तो इससे शिक्षा प्रणाली और परीक्षा के मानक पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। अभ्यर्थियों ने यह भी कहा कि आयोग को इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए।
निष्कर्ष: छात्रों की आवाज को सुनने की आवश्यकता
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का यह पेपर लीक मामला केवल एक परीक्षा का मामला नहीं है, बल्कि यह शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता का संकेत है। छात्रों की मांगें और उनके तर्क इस बात को दर्शाते हैं कि उन्हें न्याय की आवश्यकता है। अगर आयोग अपनी प्रक्रियाओं को सुधारने में विफल रहता है, तो इसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों पर भी पड़ेगा।
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